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یوحنا 8:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 तुम्हारी शरीअत में लिखा है कि दो आदमियों की गवाही मोतबर है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 تمہاری توریت میں بھی لِکھّا ہے کہ دو آدمیوں کی گواہی سچّی ہوتی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 اور تُمہاری تَورَیت میں بھی لِکھا ہے کہ دو آدمِیوں کی گواہی مِل کر سچّی ہوتی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 تمہاری شریعت میں لکھا ہے کہ دو آدمیوں کی گواہی معتبر ہے۔

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یوحنا 8:17
13 حوالہ جات  

तू किसी को एक ही गवाह के कहने पर क़ुसूरवार नहीं ठहरा सकता। जो भी जुर्म सरज़द हुआ है, कम अज़ कम दो या तीन गवाहों की ज़रूरत है। वरना तू उसे क़ुसूरवार नहीं ठहरा सकता।


लेकिन लाज़िम है कि पहले कम अज़ कम दो या तीन लोग गवाही दें कि उसने ऐसा ही किया है। उसे सज़ाए-मौत देने के लिए एक गवाह काफ़ी नहीं।


जो मूसा की शरीअत रद्द करता है उस पर रहम नहीं किया जा सकता बल्कि अगर दो या इससे ज़ायद लोग इस जुर्म की गवाही दें तो उसे सज़ाए-मौत दी जाए।


लेकिन अगर वह न माने तो एक या दो और लोगों को अपने साथ ले जा ताकि तुम्हारी हर बात की दो या तीन गवाहों से तसदीक़ हो जाए।


यों शरीअत को हमारी तरबियत करने की ज़िम्मादारी दी गई। उसे हमें मसीह तक पहुँचाना था ताकि हमें ईमान से रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।


अब मैं तीसरी दफ़ा आपके पास आ रहा हूँ। कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ लाज़िम है कि हर इलज़ाम की तसदीक़ दो या तीन गवाहों से की जाए।


और मैं अपने दो गवाहों को इख़्तियार दूँगा, और वह टाट ओढ़कर 1,260 दिनों के दौरान नबुव्वत करेंगे।”


आप जो शरीअत के ताबे रहना चाहते हैं मुझे एक बात बताएँ, क्या आप वह बात नहीं सुनते जो शरीअत कहती है?


हम तो इनसान की गवाही क़बूल करते हैं, लेकिन अल्लाह की गवाही इससे कहीं अफ़ज़ल है। और अल्लाह की गवाही यह है कि उसने अपने फ़रज़ंद की तसदीक़ की है।


लेकिन उसके मुक़ाबिल दो बदमाशों को बिठा देना। इजतिमा के दौरान यह आदमी सबके सामने नबोत पर इलज़ाम लगाएँ, ‘इस शख़्स ने अल्लाह और बादशाह पर लानत भेजी है! हम इसके गवाह हैं।’ फिर उसे शहर से बाहर ले जाकर संगसार करें।”


और ऐसा होना भी था ताकि कलामे-मुक़द्दस की यह पेशगोई पूरी हो जाए कि ‘उन्होंने बिलावजह मुझसे कीना रखा है।’


ईसा ने कहा, “क्या यह तुम्हारी शरीअत में नहीं लिखा है कि अल्लाह ने फ़रमाया, ‘तुम ख़ुदा हो’?


जिस पर क़त्ल का इलज़ाम लगाया गया हो उसे सिर्फ़ इस सूरत में सज़ाए-मौत दी जा सकती है कि कम अज़ कम दो गवाह हों। एक गवाह काफ़ी नहीं है।


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