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یوحنا 7:37 - किताबे-मुक़द्दस

37 ईद के आख़िरी दिन जो सबसे अहम है ईसा खड़ा हुआ और ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “जो प्यासा हो वह मेरे पास आए,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

37 عید کے آخِری اَور خاص دِن یِسوعؔ کھڑے ہویٔے اَور بہ آواز بُلند فرمایا، ”اگر کویٔی پیاسا ہے تو میرے پاس آئے اَور پیئے۔

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کِتابِ مُقادّس

37 پِھر عِید کے آخِری دِن جو خاص دِن ہے یِسُوعؔ کھڑا ہُؤا اور پُکار کر کہا اگر کوئی پِیاسا ہو تو میرے پاس آ کر پِئے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

37 عید کے آخری دن جو سب سے اہم ہے عیسیٰ کھڑا ہوا اور اونچی آواز سے پکار اُٹھا، ”جو پیاسا ہو وہ میرے پاس آئے،

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یوحنا 7:37
50 حوالہ جات  

“क्या तुम प्यासे हो? आओ, सब पानी के पास आओ! क्या तुम्हारे पास पैसे नहीं? इधर आओ, सौदा ख़रीदकर खाना खाओ। यहाँ की मै और दूध मुफ़्त है। आओ, उसे पैसे दिए बग़ैर ख़रीदो।


लेकिन जिसे मैं पानी पिला दूँ उसे बाद में कभी भी प्यास नहीं लगेगी। बल्कि जो पानी मैं उसे दूँगा वह उसमें एक चश्मा बन जाएगा जिससे पानी फूटकर अबदी ज़िंदगी मुहैया करेगा।”


जवाब में ईसा ने कहा, “मैं ही ज़िंदगी की रोटी हूँ। जो मेरे पास आए उसे फिर कभी भूक नहीं लगेगी। और जो मुझ पर ईमान लाए उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी।


तुम शादमानी से नजात के चश्मों से पानी भरोगे।


रूह और दुलहन कहती हैं, “आ!” हर सुननेवाला भी यही कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए और जो चाहे वह ज़िंदगी का पानी मुफ़्त ले ले।


क्योंकि मैं प्यासी ज़मीन पर पानी डालूँगा और ख़ुश्की पर नदियाँ बहने दूँगा। मैं अपना रूह तेरी औलाद पर नाज़िल करूँगा, अपनी बरकत तेरे बच्चों को बख़्शूँगा।


ईसा ने जवाब दिया, “अगर तू उस बख़्शिश से वाक़िफ़ होती जो अल्लाह तुझको देना चाहता है और तू उसे जानती जो तुझसे पानी माँग रहा है तो तू उससे माँगती और वह तुझे ज़िंदगी का पानी देता।”


फिर उसने कहा, “काम मुकम्मल हो गया है! मैं अलिफ़ और ये, अव्वल और आख़िर हूँ। जो प्यासा है उसे मैं ज़िंदगी के चश्मे से मुफ़्त पानी पिलाऊँगा।


मेरी जान ख़ुदा, हाँ ज़िंदा ख़ुदा की प्यासी है। मैं कब जाकर अल्लाह का चेहरा देखूँगा?


दाऊद का ज़बूर। यह उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब वह यहूदाह के रेगिस्तान में था। ऐ अल्लाह, तू मेरा ख़ुदा है जिसे मैं ढूँडता हूँ। मेरी जान तेरी प्यासी है, मेरा पूरा जिस्म तेरे लिए तरसता है। मैं उस ख़ुश्क और निढाल मुल्क की मानिंद हूँ जिसमें पानी नहीं है।


मैं अपने हाथ तेरी तरफ़ उठाता हूँ, मेरी जान ख़ुश्क ज़मीन की तरह तेरी प्यासी है। (सिलाह)


फिर फ़रिश्ते ने मुझे ज़िंदगी के पानी का दरिया दिखाया। वह बिल्लौर जैसा साफ़-शफ़्फ़ाफ़ था और अल्लाह और लेले के तख़्त से निकल कर


ख़ाह हम यहूदी थे या यूनानी, ग़ुलाम थे या आज़ाद, बपतिस्मे से हम सबको एक ही रूह की मारिफ़त एक ही बदन में शामिल किया गया है, हम सबको एक ही रूह पिलाया गया है।


क्योंकि मेरा गोश्त हक़ीक़ी ख़ुराक और मेरा ख़ून हक़ीक़ी पीने की चीज़ है।


ऐ थकेमाँदे और बोझ तले दबे हुए लोगो, सब मेरे पास आओ! मैं तुमको आराम दूँगा।


ईद के आठवें दिन काम न करना बल्कि मुक़द्दस इजतिमा के लिए इकट्ठे होना।


आप ख़ुदावंद के प्याले और साथ ही शयातीन के प्याले से नहीं पी सकते। आप ख़ुदावंद के रिफ़ाक़ती खाने और साथ ही शयातीन के रिफ़ाक़ती खाने में शरीक नहीं हो सकते।


और सबने एक ही रूहानी पानी पिया। क्योंकि मसीह रूहानी चट्टान की सूरत में उनके साथ साथ चलता रहा और वही उन सबको पानी पिलाता रहा।


गला फाड़कर आवाज़ दे, रुक रुककर बात न कर! नरसिंगे की-सी बुलंद आवाज़ के साथ मेरी क़ौम को उस की सरकशी सुना, याक़ूब के घराने को उसके गुनाहों की फ़हरिस्त बयान कर।


इन सात दिनों के दौरान रब को जलनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करना। आठवें दिन मुक़द्दस इजतिमा हो। रब को जलनेवाली क़ुरबानी पेश करो। इस ख़ास इजतिमा के दिन भी काम नहीं करना है।


शराब में मत्वाले न हो जाएँ, क्योंकि इसका अंजाम ऐयाशी है। इसके बजाए रूहुल-क़ुद्स से मामूर होते जाएँ।


इसी तरह उसने खाने के बाद प्याला लेकर कहा, “मै का यह प्याला वह नया अहद है जो मेरे ख़ून के ज़रीए क़ायम किया जाता है। जब कभी इसे पियो तो मुझे याद करने के लिए पियो।”


ईसा ने जवाब दिया, “राह और हक़ और ज़िंदगी मैं हूँ। कोई मेरे वसीले के बग़ैर बाप के पास नहीं आ सकता।


जितने भी बाप ने मुझे दिए हैं वह मेरे पास आएँगे और जो भी मेरे पास आएगा उसे मैं हरगिज़ निकाल न दूँगा।


तो भी तुम ज़िंदगी पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते।


यहया ने यसायाह नबी का हवाला देकर जवाब दिया, “मैं रेगिस्तान में वह आवाज़ हूँ जो पुकार रही है, रब का रास्ता सीधा बनाओ।”


रब्बुल-अफ़वाज ख़ुद इसराईलियों को पनाह देगा। तब वह दुश्मन को खा खाकर उसके फेंके हुए पत्थरों को ख़ाक में मिला देंगे और ख़ून को मै की तरह पी पीकर शोर मचाएँगे। वह क़ुरबानी के ख़ून से भरे कटोरे की तरह भर जाएंगे, क़ुरबानगाह के कोनों जैसे ख़ूनआलूदा हो जाएंगे।


सुनो! रब यरूशलम को आवाज़ दे रहा है। तवज्जुह दो, क्योंकि दानिशमंद उसके नाम का ख़ौफ़ मानता है। ऐ क़बीले, ध्यान दो कि किसने यह मुक़र्रर किया है,


ऐ रब, तू मेरी क़ुव्वत और मेरा क़िला है, मुसीबत के दिन मैं तुझमें पनाह लेता हूँ। दुनिया की इंतहा से अक़वाम तेरे पास आकर कहेंगी, “हमारे बापदादा को मीरास में झूट ही मिला, ऐसे बेकार बुत जो उनकी मदद न कर सके।


“जा, ज़ोर से यरूशलम के कान में पुकार कि रब फ़रमाता है, ‘मुझे तेरी जवानी की वफ़ादारी ख़ूब याद है। जब तेरी शादी क़रीब आई तो तू मुझे कितना प्यार करती थी, यहाँ तक कि तू रेगिस्तान में भी जहाँ खेतीबाड़ी नामुमकिन थी मेरे पीछे पीछे चलती रही।


कान लगाकर मेरे पास आओ! सुनो तो जीते रहोगे। मैं तुम्हारे साथ अबदी अहद बाँधूँगा, तुम्हें उन अनमिट मेहरबानियों से नवाज़ूँगा जिनका वादा दाऊद से किया था।


एक आवाज़ ने कहा, “ज़ोर से आवाज़ दे!” मैंने पूछा, “मैं क्या कहूँ?” “यह कि तमाम इनसान घास ही हैं, उनकी तमाम शानो-शौकत जंगली फूल की मानिंद है।


ईद के हर दिन अज़रा ने अल्लाह की शरीअत की तिलावत की। सात दिन इसराईलियों ने ईद मनाई, और आठवें दिन सब लोग इजतिमा के लिए इकट्ठे हुए, बिलकुल उन हिदायात के मुताबिक़ जो शरीअत में दी गई हैं।


चुनाँचे सातवें महीने के पंद्रहवें दिन फ़सल की कटाई के इख़्तिताम पर रब की यह ईद यानी झोंपड़ियों की ईद मनाओ। इसे सात दिन मनाना। पहला और आख़िरी दिन आराम के दिन हैं।


ईसा बैतुल-मुक़द्दस में तालीम दे रहा था। अब वह पुकार उठा, “तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहाँ से हूँ। लेकिन मैं अपनी तरफ़ से नहीं आया। जिसने मुझे भेजा है वह सच्चा है और उसे तुम नहीं जानते।


नरमी से यरूशलम से बात करो, बुलंद आवाज़ से उसे बताओ कि तेरी ग़ुलामी के दिन पूरे हो गए हैं, तेरा क़ुसूर मुआफ़ हो गया है। क्योंकि तुझे रब के हाथ से तमाम गुनाहों की दुगनी सज़ा मिल गई है।”


मेरी बहन, मेरी दुलहन, अब मैं अपने बाग़ में दाख़िल हो गया हूँ। मैंने अपना मुर अपने बलसान समेत चुन लिया, अपना छत्ता शहद समेत खा लिया, अपनी मै अपने दूध समेत पी ली है। खाओ, मेरे दोस्तो, खाओ और पियो, मुहब्बत से सरशार हो जाओ!


शहर के दरवाज़ों पर जहाँ लोग निकलते और दाख़िल होते हैं वहाँ हिकमत ज़ोरदार आवाज़ से पुकारती है,


यहया वही है जिसके बारे में यसायाह नबी ने फ़रमाया, ‘रेगिस्तान में एक आवाज़ पुकार रही है, रब की राह तैयार करो! उसके रास्ते सीधे बनाओ।’


अब उसने अपनी नौकरानियों को भेजा है, और ख़ुद भी लोगों को शहर की बुलंदियों से ज़ियाफ़त करने की दावत देती है,


सुनो! क्या हिकमत आवाज़ नहीं देती? हाँ, समझ ऊँची आवाज़ से एलान करती है।


हिकमत गली में ज़ोर से आवाज़ देती, चौकों में बुलंद आवाज़ से पुकारती है।


जो मुझे प्यार करते हैं उन्हें मैं प्यार करती हूँ, और जो मुझे ढूँडते हैं वह मुझे पा लेते हैं।


जहाँ भी दरिया बहेगा वहाँ के बेशुमार जानदार जीते रहेंगे। बहुत मछलियाँ होंगी, और दरिया बहीराए-मुरदार का नमकीन पानी पीने के क़ाबिल बनाएगा। जहाँ से भी गुज़रेगा वहाँ सब कुछ फलता-फूलता रहेगा।


मुबारक हैं वह जिन्हें रास्तबाज़ी की भूक और प्यास है, क्योंकि वह सेर हो जाएंगे।


ख़ातून ने कहा, “ख़ुदावंद, आपके पास तो बालटी नहीं है और यह कुआँ गहरा है। आपको ज़िंदगी का यह पानी कहाँ से मिला?


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