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یوحنا 4:20 - किताबे-मुक़द्दस

20 हमारे बापदादा तो इसी पहाड़ पर इबादत करते थे जबकि आप यहूदी लोग इसरार करते हैं कि यरूशलम वह मरकज़ है जहाँ हमें इबादत करनी है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

20 ہمارے آباؤاَجداد نے اِس پہاڑ پر پرستش کی لیکن تُم یہُودی دعویٰ کرتے ہو کہ وہ جگہ جہاں پرستش کرنا چاہئے یروشلیمؔ میں ہے۔“

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کِتابِ مُقادّس

20 ہمارے باپ دادا نے اِس پہاڑ پر پرستِش کی اور تُم کہتے ہو کہ وہ جگہ جہاں پرستِش کرنا چاہیے یروشلِیم میں ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

20 ہمارے باپ دادا تو اِسی پہاڑ پر عبادت کرتے تھے جبکہ آپ یہودی لوگ اصرار کرتے ہیں کہ یروشلم وہ مرکز ہے جہاں ہمیں عبادت کرنی ہے۔“

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یوحنا 4:20
20 حوالہ جات  

“दरियाए-यरदन को पार करने के बाद शमौन, लावी, यहूदाह, इशकार, यूसुफ़ और बिनयमीन के क़बीले गरिज़ीम पहाड़ पर खड़े हो जाएँ। वहाँ वह बरकत के अलफ़ाज़ बोलें।


जब रब तेरा ख़ुदा तुझे उस मुल्क में ले जाएगा जिस पर तू क़ब्ज़ा करेगा तो लाज़िम है कि गरिज़ीम पहाड़ पर चढ़कर बरकत का एलान करे और ऐबाल पहाड़ पर लानत का।


एक रात रब उस पर ज़ाहिर हुआ और कहा, “मैंने तेरी दुआ को सुनकर तय कर लिया है कि यह घर वही जगह हो जहाँ तुम मुझे क़ुरबानियाँ पेश कर सको।


लेकिन गाँव के लोगों ने ईसा को टिकने न दिया, क्योंकि उस की मनज़िले-मक़सूद यरूशलम थी।


क्योंकि रब ने कोहे-सिय्यून को चुन लिया है, और वही वहाँ सुकूनत करने का आरज़ूमंद था।


बल्कि यहूदाह के क़बीले और कोहे-सिय्यून को चुन लिया जो उसे प्यारा था।


क्योंकि मैंने इस घर को चुनकर मख़सूसो-मुक़द्दस कर रखा है ताकि मेरा नाम हमेशा तक यहाँ क़ायम रहे। मेरी आँखें और दिल हमेशा इसमें हाज़िर रहेंगे।


लेकिन अब मैंने यरूशलम को अपने नाम की सुकूनतगाह और दाऊद को अपनी क़ौम इसराईल का बादशाह बनाया है।’


इसलिए दाऊद ने फ़ैसला किया, “रब हमारे ख़ुदा का घर गाहने की इस जगह पर होगा, और यहाँ वह क़ुरबानगाह भी होगी जिस पर इसराईल के लिए भस्म होनेवाली क़ुरबानी जलाई जाती है।”


उसने वहाँ रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह तामीर करके उस पर भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाईं। जब उसने रब से इलतमास की तो रब ने उस की सुनी और जवाब में आसमान से भस्म होनेवाली क़ुरबानी पर आग भेज दी।


उसने सुलेमान से कहा, “जो दुआ और इल्तिजा तूने मेरे हुज़ूर की उसे मैंने सुनकर इस इमारत को जो तूने बनाई है अपने लिए मख़सूसो-मुक़द्दस कर लिया है। उसमें मैं अपना नाम अबद तक क़ायम रखूँगा। मेरी आँखें और दिल अबद तक वहाँ हाज़िर रहेंगे।


रब फ़रमाता है, “आसमान मेरा तख़्त है और ज़मीन मेरे पाँवों की चौकी, तो फिर वह घर कहाँ है जो तुम मेरे लिए बनाओगे? वह जगह कहाँ है जहाँ मैं आराम करूँगा?”


क्या आप हमारे बाप याक़ूब से बड़े हैं जिसने हमें यह कुआँ दिया और जो ख़ुद भी अपने बेटों और रेवड़ों समेत उसके पानी से लुत्फ़अंदोज़ हुआ?”


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