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یوحنا 3:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 जो कुछ जिस्म से पैदा होता है वह जिस्मानी है, लेकिन जो रूह से पैदा होता है वह रूहानी है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 بشر سے تو بشر ہی پیدا ہوتاہے مگر جو رُوح سے پیدا ہوتاہے وہ رُوح ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

6 جو جِسم سے پَیدا ہُؤا ہے جِسم ہے اور جو رُوح سے پَیدا ہُؤا ہے رُوح ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 جو کچھ جسم سے پیدا ہوتا ہے وہ جسمانی ہے، لیکن جو روح سے پیدا ہوتا ہے وہ روحانی ہے۔

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یوحنا 3:6
25 حوالہ جات  

चुनाँचे जो मसीह में है वह नया मख़लूक़ है। पुरानी ज़िंदगी जाती रही और नई ज़िंदगी शुरू हो गई है।


जो भी अल्लाह से पैदा होकर उसका फ़रज़ंद बन गया है वह गुनाह नहीं करेगा, क्योंकि अल्लाह की फ़ितरत उसमें रहती है। वह गुनाह कर ही नहीं सकता क्योंकि वह अल्लाह से पैदा होकर उसका फ़रज़ंद बन गया है।


इसके बरअक्स जो ख़ुदावंद से लिपट जाता है वह उसके साथ एक रूह हो जाता है।


मुझे मालूम है कि मेरे अंदर यानी मेरी पुरानी फ़ितरत में कोई अच्छी चीज़ नहीं बसती। अगरचे मुझमें नेक काम करने का इरादा तो मौजूद है लेकिन मैं उसे अमली जामा नहीं पहना सकता।


जहाँ भी अल्लाह देखता दुनिया ख़राब थी, क्योंकि तमाम जानदारों ने ज़मीन पर अपनी रविश को बिगाड़ दिया था।


ऐ अल्लाह, मेरे अंदर पाक दिल पैदा कर, मुझमें नए सिरे से साबितक़दम रूह क़ायम कर।


तो फिर इनसान अल्लाह के सामने किस तरह रास्तबाज़ ठहर सकता है? जो औरत से पैदा हुआ वह किस तरह पाक-साफ़ साबित हो सकता है?


कौन नापाक चीज़ को पाक-साफ़ कर सकता है? कोई नहीं!


क्योंकि अगर आप अपनी पुरानी फ़ितरत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें तो आप हलाक हो जाएंगे। लेकिन अगर आप रूहुल-क़ुद्स की क़ुव्वत से अपनी पुरानी फ़ितरत के ग़लत कामों को नेस्तो-नाबूद करें तो फिर आप ज़िंदा रहेंगे।


पहले तो हम भी सब उनमें ज़िंदगी गुज़ारते थे। हम भी अपनी पुरानी फ़ितरत की शहवतें, मरज़ी और सोच पूरी करने की कोशिश करते रहे। दूसरों की तरह हम पर भी फ़ितरी तौर पर अल्लाह का ग़ज़ब नाज़िल होना था।


उसमें आते वक़्त आपका ख़तना भी करवाया गया। लेकिन यह ख़तना इनसानी हाथों से नहीं किया गया बल्कि मसीह के वसीले से। उस वक़्त आपकी पुरानी फ़ितरत उतार दी गई,


और जो मसीह ईसा के हैं उन्होंने अपनी पुरानी फ़ितरत को उस की रग़बतों और बुरी ख़ाहिशों समेत मसलूब कर दिया है।


ऐसे फ़रज़ंद जो न फ़ितरी तौर पर, न किसी इनसान या मर्द के मनसूबे से पैदा हुए बल्कि अल्लाह से।


क्योंकि जब हम अपनी पुरानी फ़ितरत के तहत ज़िंदगी गुज़ारते थे तो शरीअत हमारी गुनाहआलूदा रग़बतों को उकसाती थी। फिर यही रग़बतें हमारे आज़ा पर असरअंदाज़ होती थीं और नतीजे में हम ऐसा फल लाते थे जिसका अंजाम मौत है।


रब ने देखा कि इनसान निहायत बिगड़ गया है, कि उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ मायल रहते हैं।


आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका बेटा सेत पैदा हुआ। सेत सूरत के लिहाज़ से अपने बाप की मानिंद था, वह उससे मुशाबहत रखता था।


ख़ुदा का शुक्र है जो हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से यह काम करता है। ग़रज़ यही मेरी हालत है, मसीह के बग़ैर मैं अल्लाह की शरीअत की ख़िदमत सिर्फ़ अपनी समझ से कर सकता हूँ जबकि मेरी पुरानी फ़ितरत गुनाह की शरीअत की ग़ुलाम रहकर उसी की ख़िदमत करती है।


इसलिए तू ताज्जुब न कर कि मैं कहता हूँ, ‘तुम्हें नए सिरे से पैदा होना ज़रूर है।’


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