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یوحنا 19:31 - किताबे-मुक़द्दस

31 फ़सह की तैयारी का दिन था और अगले दिन ईद का आग़ाज़ और एक ख़ास सबत था। इसलिए यहूदी नहीं चाहते थे कि मसलूब हुई लाशें अगले दिन तक सलीबों पर लटकी रहें। चुनाँचे उन्होंने पीलातुस से गुज़ारिश की कि वह उनकी टाँगें तुड़वाकर उन्हें सलीबों से उतारने दे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

31 یہ فسح کی تیّاری کا دِن تھا، اَور اگلے دِن خصوصی سَبت تھا۔ یہُودی رہنما نہیں چاہتے تھے کہ سَبت کے دِن لاشیں صلیبوں پر ٹنگی رہیں، لہٰذا اُنہُوں نے پِیلاطُسؔ کے پاس جا کر درخواست کی کہ مُجرموں کی ٹانگیں توڑ کر اُن کی لاشوں کو نیچے اُتار لیا جائے۔

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کِتابِ مُقادّس

31 پس چُونکہ تیّاری کا دِن تھا یہُودِیوں نے پِیلاطُسؔ سے درخواست کی کہ اُن کی ٹانگیں توڑ دی جائیں اور لاشیں اُتار لی جائیں تاکہ سبت کے دِن صلِیب پر نہ رہیں کیونکہ وہ سبت ایک خاص دِن تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

31 فسح کی تیاری کا دن تھا اور اگلے دن عید کا آغاز اور ایک خاص سبت تھا۔ اِس لئے یہودی نہیں چاہتے تھے کہ مصلوب ہوئی لاشیں اگلے دن تک صلیبوں پر لٹکی رہیں۔ چنانچہ اُنہوں نے پیلاطس سے گزارش کی کہ وہ اُن کی ٹانگیں تڑوا کر اُنہیں صلیبوں سے اُتارنے دے۔

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یوحنا 19:31
12 حوالہ جات  

अब दोपहर के तक़रीबन बारह बज गए थे। उस दिन ईद के लिए तैयारियाँ की जाती थीं, क्योंकि अगले दिन ईद का आग़ाज़ था। पीलातुस बोल उठा, “लो, तुम्हारा बादशाह!”


उसके क़रीब होने के सबब से उन्होंने ईसा को उसमें रख दिया, क्योंकि फ़सह की तैयारी का दिन था और अगले दिन ईद का आग़ाज़ था।


यह सब कुछ जुमे को हुआ जो अगले दिन के सबत के लिए तैयारी का दिन था। जब शाम होने को थी


अई के बादशाह की लाश उसने शाम तक दरख़्त से लटकाए रखी। फिर जब सूरज डूबने लगा तो यशुअ ने अपने लोगों को हुक्म दिया कि बादशाह की लाश को दरख़्त से उतार दें। तब उन्होंने उसे शहर के दरवाज़े के पास फेंककर उस पर पत्थर का बड़ा ढेर लगा दिया। यह ढेर आज तक मौजूद है।


फिर पीलातुस ने ईसा को कोड़े लगवाए।


क्योंकि तुम मेरी क़ौम का गोश्त खा लेते हो। उनकी खाल उतारकर तुम उनकी हड्डियों और गोश्त को टुकड़े टुकड़े करके देग में फेंक देते हो।”


रास्तबाज़ अपने मवेशी का भी ख़याल करता है जबकि बेदीन का दिल ज़ालिम ही ज़ालिम है।


इस ईद के पहले और आख़िरी दिन मुक़द्दस इजतिमा मुनअक़िद करना। इन तमाम दिनों के दौरान काम न करना। सिर्फ़ एक काम की इजाज़त है और वह है अपना खाना तैयार करना।


अगले दिन, जो सबत का दिन था, राहनुमा इमाम और फ़रीसी पीलातुस के पास आए।


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