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یوحنا 15:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 वह मेरी हर शाख़ को जो फल नहीं लाती काटकर फेंक देता है। लेकिन जो शाख़ फल लाती है उस की वह काँट-छाँट करता है ताकि ज़्यादा फल लाए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 میری جو شاخ پھل نہیں لاتی وہ اُسے کاٹ ڈالتا ہے، اَورجو پھل لاتی ہے اُسے تراشتا ہے تاکہ وہ زِیادہ پھل لایٔے۔

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کِتابِ مُقادّس

2 جو ڈالی مُجھ میں ہے اور پَھل نہیں لاتی اُسے وہ کاٹ ڈالتا ہے اور جو پَھل لاتی ہے اُسے چھانٹتا ہے تاکہ زِیادہ پَھل لائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 وہ میری ہر شاخ کو جو پھل نہیں لاتی کاٹ کر پھینک دیتا ہے۔ لیکن جو شاخ پھل لاتی ہے اُس کی وہ کانٹ چھانٹ کرتا ہے تاکہ زیادہ پھل لائے۔

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یوحنا 15:2
42 حوالہ جات  

अब तो अदालत की कुल्हाड़ी दरख़्तों की जड़ों पर रखी हुई है। हर दरख़्त जो अच्छा फल न लाए काटा और आग में झोंका जाएगा।


उसने जवाब दिया, “जो भी पौदा मेरे आसमानी बाप ने नहीं लगाया उसे जड़ से उखाड़ा जाएगा।


जिनको मैं प्यार करता हूँ उनकी मैं सज़ा देकर तरबियत करता हूँ। अब संजीदा हो जा और तौबा कर।


जब तुम बहुत-सा फल लाते और यों मेरे शागिर्द साबित होते हो तो इससे मेरे बाप को जलाल मिलता है।


जिसके पास कुछ है उसे और दिया जाएगा और उसके पास कसरत की चीज़ें होंगी। लेकिन जिसके पास कुछ नहीं है उससे वह भी छीन लिया जाएगा जो उसके पास है।


वह हाथ में छाज पकड़े हुए अनाज को भूसे से अलग करने के लिए तैयार खड़ा है। वह गाहने की जगह बिलकुल साफ़ करके अनाज को अपने गोदाम में जमा करेगा। लेकिन भूसे को वह ऐसी आग में झोंकेगा जो बुझने की नहीं।”


रास्ते के क़रीब अंजीर का एक दरख़्त देखकर वह उसके पास गया। लेकिन जब वह वहाँ पहुँचा तो देखा कि फल नहीं लगा बल्कि सिर्फ़ पत्ते ही पत्ते हैं। इस पर उसने दरख़्त से कहा, “अब से कभी भी तुझमें फल न लगे!” दरख़्त फ़ौरन सूख गया।


रास्तबाज़ अपनी राह पर क़ायम रहते, और जिनके हाथ पाक हैं वह तक़वियत पाते हैं।


इस पर ध्यान देना कि कोई अल्लाह के फ़ज़ल से महरूम न रहे। ऐसा न हो कि कोई कड़वी जड़ फूट निकले और बढ़कर तकलीफ़ का बाइस बन जाए और बहुतों को नापाक कर दे।


तुमने मुझे नहीं चुना बल्कि मैंने तुमको चुन लिया है। मैंने तुमको मुक़र्रर किया कि जाकर फल लाओ, ऐसा फल जो क़ायम रहे। फिर बाप तुमको वह कुछ देगा जो तुम मेरे नाम में माँगोगे।


पथरीली ज़मीन पर गिरे हुए दाने वह लोग हैं जो कलाम सुनकर उसे ख़ुशी से क़बूल तो कर लेते हैं, लेकिन जड़ नहीं पकड़ते। नतीजे में अगरचे वह कुछ देर के लिए ईमान रखते हैं तो भी जब किसी आज़माइश का सामना करना पड़ता है तो वह बरगश्ता हो जाते हैं।


वह बैठकर चाँदी को पिघलाकर पाक-साफ़ करेगा। जिस तरह सोने-चाँदी को पिघलाकर पाक-साफ़ किया जाता है उसी तरह वह लावी के क़बीले को पाक-साफ़ करेगा। तब वह रब को रास्त क़ुरबानियाँ पेश करेंगे।


यह लोग हममें से निकले तो हैं, लेकिन हक़ीक़त में हममें से नहीं थे। क्योंकि अगर वह हममें से होते तो वह हमारे साथ ही रहते। लेकिन हमें छोड़ने से ज़ाहिर हुआ कि सब हममें से नहीं हैं।


क्योंकि मसीह ने हमारे लिए अपनी जान दे दी ताकि फ़िद्या देकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ाकर अपने लिए एक पाक और मख़सूस क़ौम बनाए जो नेक काम करने में सरगरम हो।


अगर मैं इनसानों और फ़रिश्तों की ज़बानें बोलूँ, लेकिन मुहब्बत न रखूँ तो फिर मैं बस गूँजता हुआ घड़ियाल या ठनठनाती हुई झाँझ ही हूँ।


और हम जानते हैं कि जो अल्लाह से मुहब्बत रखते हैं उनके लिए सब कुछ मिलकर भलाई का बाइस बनता है, उनके लिए जो उसके इरादे के मुताबिक़ बुलाए गए हैं।


जितनी देर मैं उनके साथ रहा मैंने उन्हें तेरे नाम में महफ़ूज़ रखा, उसी नाम में जो तूने मुझे दिया था। मैंने यों उनकी निगहबानी की कि उनमें से एक भी हलाक नहीं हुआ सिवाए हलाकत के फ़रज़ंद के। यों कलाम की पेशगोई पूरी हुई।


लेकिन रास्तबाज़ की राह तुलूए-सुबह की पहली रौशनी की मानिंद है जो दिन के उरूज तक बढ़ती रहती है।


उसने उन्हें एक और तमसील भी सुनाई। “आसमान की बादशाही ख़मीर की मानिंद है जो किसी औरत ने लेकर तक़रीबन 27 किलोग्राम आटे में मिला दिया। गो वह उसमें छुप गया तो भी होते होते पूरे गुंधे हुए आटे को ख़मीर बना दिया।”


आओ, हम उसे जान लें, हम पूरी जिद्दो-जहद के साथ रब को जानने के लिए कोशाँ रहें। वह ज़रूर हम पर ज़ाहिर होगा। यह उतना यक़ीनी है जितना सूरज का रोज़ाना तुलू होना यक़ीनी है। जिस तरह मौसमे-बहार की तेज़ बारिश ज़मीन को सेराब करती है उसी तरह अल्लाह भी हमारे पास आएगा।”


एक बार फिर फ़रोतन रब की ख़ुशी मनाएँगे, और मुहताज इसराईल के क़ुद्दूस के बाइस शादियाना बजाएंगे।


इस तरह याक़ूब के क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाएगा। और जब इसराईल का गुनाह दूर हो जाएगा तो नतीजे में वह तमाम ग़लत क़ुरबानगाहों को चूने के पत्थरों की तरह चकनाचूर करेगा। न यसीरत देवी के खंबे, न बख़ूर जलाने की ग़लत क़ुरबानगाहें खड़ी रहेंगी।


वह बुढ़ापे में भी फल लाएँगे और तरो-ताज़ा और हरे-भरे रहेंगे।


समझदारों में से कुछ डाँवाँडोल हो जाएंगे ताकि लोगों को आज़माकर आख़िरी वक़्त तक ख़ालिस और पाक-साफ़ किया जाए। क्योंकि मुक़र्ररा वक़्त कुछ देर के बाद आएगा।


जो भी दरख़्त अच्छा फल नहीं लाता उसे काटकर आग में झोंका जाता है।


क्योंकि जिसके पास कुछ है उसे और दिया जाएगा और उसके पास कसरत की चीज़ें होंगी। लेकिन जिसके पास कुछ नहीं है उससे वह भी छीन लिया जाएगा जो उसके पास है।


इसके मुक़ाबले में ज़रख़ेज़ ज़मीन में गिरे हुए दाने वह लोग हैं जो कलाम सुनकर उसे क़बूल करते और बढ़ते बढ़ते तीस गुना, साठ गुना बल्कि सौ गुना तक फल लाते हैं।”


मैं अंगूर की हक़ीक़ी बेल हूँ और मेरा बाप माली है।


उस कलाम के ज़रीए जो मैंने तुमको सुनाया है तुम तो पाक-साफ़ हो चुके हो।


जो मुझमें क़ायम नहीं रहता और न मैं उसमें उसे बेफ़ायदा शाख़ की तरह बाहर फेंक दिया जाता है। ऐसी शाख़ें सूख जाती हैं और लोग उनका ढेर लगाकर उन्हें आग में झोंक देते हैं जहाँ वह जल जाती हैं।


ज़ैतून के दरख़्त की कुछ शाख़ें तोड़ दी गई हैं और उनकी जगह जंगली ज़ैतून के दरख़्त की एक शाख़ पैवंद की गई है। आप ग़ैरयहूदी इस जंगली शाख़ से मुताबिक़त रखते हैं। जिस तरह यह दूसरे दरख़्त की जड़ से रस और तक़वियत पाती है उसी तरह आप भी यहूदी क़ौम की रूहानी जड़ से तक़वियत पाते हैं।


यहाँ हमें अल्लाह की मेहरबानी और सख़्ती नज़र आती है—जो गिर गए हैं उनके सिलसिले में उस की सख़्ती, लेकिन आपके सिलसिले में उस की मेहरबानी। और यह मेहरबानी रहेगी जब तक आप उस की मेहरबानी से लिपटे रहेंगे। वरना आपको भी दरख़्त से काट डाला जाएगा।


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