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یوحنا 15:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 मैं अंगूर की हक़ीक़ी बेल हूँ और मेरा बाप माली है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 ”میں انگور کی حقیقی بیل ہُوں، اَور میرا باپ باغبان ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

1 انگُور کا حقِیقی درخت مَیں ہُوں اور میرا باپ باغبان ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 مَیں انگور کی حقیقی بیل ہوں اور میرا باپ مالی ہے۔

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یوحنا 15:1
28 حوالہ جات  

पहले तू अंगूर की मख़सूस और क़ाबिले-एतमाद नसल की पनीरी थी जिसे मैंने ख़ुद ज़मीन में लगाया। तो यह क्या हुआ कि तू बिगड़कर जंगली बेल बन गई?


क्योंकि हम अल्लाह के मुआविन हैं जबकि आप अल्लाह का खेत और उस की इमारत हैं।


तब तेरी क़ौम के तमाम अफ़राद रास्तबाज़ होंगे, और मुल्क हमेशा तक उनकी मिलकियत रहेगा। क्योंकि वह मेरे हाथ से लगाई हुई पनीरी होंगे, मेरे हाथ का काम जिससे मैं अपना जलाल ज़ाहिर करूँगा।


उस दिन जो कुछ रब फूटने देगा वह शानदार और जलाली होगा, मुल्क की पैदावार बचे हुए इसराईलियों के लिए फ़ख़र और आबो-ताब का बाइस होगी।


क्योंकि मेरा गोश्त हक़ीक़ी ख़ुराक और मेरा ख़ून हक़ीक़ी पीने की चीज़ है।


मुतअद्दिद गल्लाबानों ने मेरे अंगूर के बाग़ को ख़राब कर दिया है। मेरे प्यारे खेत को उन्होंने पाँवों तले रौंदकर रेगिस्तान में बदल दिया है।


लेकिन दूसरी तरफ़ से यह हुक्म नया भी है, और इसकी सच्चाई मसीह और आपमें ज़ाहिर हुई है। क्योंकि तारीकी ख़त्म होनेवाली है और हक़ीक़ी रौशनी चमकने लग गई है।


फिर वह तमसीलों में उनसे बात करने लगा। “किसी आदमी ने अंगूर का एक बाग़ लगाया। उसने उस की चारदीवारी बनाई, अंगूरों का रस निकालने के लिए एक गढ़े की खुदाई की और पहरेदारों के लिए बुर्ज तामीर किया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बैरूने-मुल्क चला गया।


एक और तमसील सुनो। एक ज़मीनदार था जिसने अंगूर का बाग़ लगाया। उसने उस की चारदीवारी बनाई, अंगूरों का रस निकालने के लिए एक गढ़े की खुदाई की और पहरेदारों के लिए बुर्ज तामीर किया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बैरूने-मुल्क चला गया।


इसराईल अंगूर की फलती-फूलती बेल था जो काफ़ी फल लाती रही। लेकिन जितना उसका फल बढ़ता गया उतना ही वह बुतों के लिए क़ुरबानगाहें बनाता गया। जितना उसका मुल्क तरक़्क़ी करता गया उतना ही वह देवताओं के मख़सूस सतूनों को सजाता गया।


ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि ख़ुद मूसा ने तुमको आसमान से रोटी नहीं खिलाई बल्कि मेरे बाप ने। वही तुमको आसमान से हक़ीक़ी रोटी देता है।


फिर ईसा ने उन्हें यह तमसील सुनाई, “किसी ने अपने बाग़ में अंजीर का दरख़्त लगाया। जब वह उसका फल तोड़ने के लिए आया तो कोई फल नहीं था।


क्योंकि आसमान की बादशाही उस ज़मीनदार से मुताबिक़त रखती है जो एक दिन सुबह-सवेरे निकला ताकि अपने अंगूर के बाग़ के लिए मज़दूर ढूँडे।


आ, हम सुबह-सवेरे अंगूर के बाग़ों में जाकर मालूम करें कि क्या बेलों से कोंपलें निकल आई हैं और फूल लगे हैं, कि क्या अनार के दरख़्त खिल रहे हैं। वहाँ मैं तुझ पर अपनी मुहब्बत का इज़हार करूँगी।


ऐ इमामे-आज़म यशुअ, सुन! तू और तेरे सामने बैठे तेरे इमाम भाई मिलकर उस वक़्त की तरफ़ इशारा हैं जब मैं अपने ख़ादिम को जो कोंपल कहलाता है आने दूँगा।


हक़ीक़ी नूर जो हर शख़्स को रौशन करता है दुनिया में आने को था।


क्योंकि शरीअत मूसा की मारिफ़त दी गई, लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल और सच्चाई ईसा मसीह के वसीले से क़ायम हुई।


और सिय्यून के सोगवारों को दिलासा देकर राख के बजाए शानदार ताज, मातम के बजाए ख़ुशी का तेल और शिकस्ता रूह के बजाए हम्दो-सना का लिबास मुहैया करूँ। तब वह ‘रास्ती के दरख़्त’ कहलाएँगे, ऐसे पौदे जो रब ने अपना जलाल ज़ाहिर करने के लिए लगाए हैं।


तेरी माँ पानी के किनारे लगाई गई अंगूर की-सी बेल थी। बेल कसरत के पानी के बाइस फलदार और शाख़दार थी।


उसने जवाब दिया, “जो भी पौदा मेरे आसमानी बाप ने नहीं लगाया उसे जड़ से उखाड़ा जाएगा।


वह मेरी हर शाख़ को जो फल नहीं लाती काटकर फेंक देता है। लेकिन जो शाख़ फल लाती है उस की वह काँट-छाँट करता है ताकि ज़्यादा फल लाए।


ज़ैतून के दरख़्त की कुछ शाख़ें तोड़ दी गई हैं और उनकी जगह जंगली ज़ैतून के दरख़्त की एक शाख़ पैवंद की गई है। आप ग़ैरयहूदी इस जंगली शाख़ से मुताबिक़त रखते हैं। जिस तरह यह दूसरे दरख़्त की जड़ से रस और तक़वियत पाती है उसी तरह आप भी यहूदी क़ौम की रूहानी जड़ से तक़वियत पाते हैं।


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