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یوحنا 11:47 - किताबे-मुक़द्दस

47 तब राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने यहूदी अदालते-आलिया का इजलास मुनअक़िद किया। उन्होंने एक दूसरे से पूछा, “हम क्या कर रहे हैं? यह आदमी बहुत-से इलाही निशान दिखा रहा है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

47 تَب اہم کاہِنوں اَور فریسیوں نے عدالتِ عالیہ کا اِجلاس طلب کیا اَور کہنے لگے، ”ہم کیا کر رہے ہیں؟ یہ آدمی تو یہاں معجزوں پر معجزے کیٔے جا رہاہے۔

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کِتابِ مُقادّس

47 پس سردار کاہِنوں اور فرِیسِیوں نے صَدرعدالت کے لوگوں کو جمع کر کے کہا ہم کرتے کیا ہیں؟ یہ آدمی تو بُہت مُعجِزے دِکھاتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

47 تب راہنما اماموں اور فریسیوں نے یہودی عدالتِ عالیہ کا اجلاس منعقد کیا۔ اُنہوں نے ایک دوسرے سے پوچھا، ”ہم کیا کر رہے ہیں؟ یہ آدمی بہت سے الٰہی نشان دکھا رہا ہے۔

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یوحنا 11:47
17 حوالہ جات  

फिर राहनुमा इमाम और क़ौम के बुज़ुर्ग कायफ़ा नामी इमामे-आज़म के महल में जमा हुए


यह देखकर फ़रीसी आपस में कहने लगे, “आप देख रहे हैं कि बात नहीं बन रही। देखो, तमाम दुनिया उसके पीछे हो ली है।”


लेकिन राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने हुक्म दिया था, “अगर किसी को मालूम हो जाए कि ईसा कहाँ है तो वह इत्तला दे ताकि हम उसे गिरिफ़्तार कर लें।”


यों ईसा ने गलील के क़ाना में यह पहला इलाही निशान दिखाकर अपने जलाल का इज़हार किया। यह देखकर उसके शागिर्द उस पर ईमान लाए।


लेकिन मैं तुमको बताता हूँ कि जो भी अपने भाई पर ग़ुस्सा करे उसे अदालत में जवाब देना होगा। इसी तरह जो अपने भाई को ‘अहमक़’ कहे उसे यहूदी अदालते-आलिया में जवाब देना होगा। और जो उसको ‘बेवुक़ूफ़!’ कहे वह जहन्नुम की आग में फेंके जाने के लायक़ ठहरेगा।


यह सुनकर बैतुल-मुक़द्दस के पहरेदारों का कप्तान और राहनुमा इमाम बड़ी उलझन में पड़ गए और सोचने लगे कि अब क्या होगा?


फ़रिश्ते की सुनकर रसूल सुबह-सवेरे बैतुल-मुक़द्दस में जाकर तालीम देने लगे। अब ऐसा हुआ कि इमामे-आज़म अपने साथियों समेत पहुँचा और यहूदी अदालते-आलिया का इजलास मुनअक़िद किया। इसमें इसराईल के तमाम बुज़ुर्ग शरीक हुए। फिर उन्होंने अपने मुलाज़िमों को क़ैदख़ाने में भेज दिया ताकि रसूलों को लाकर उनके सामने पेश किया जाए।


राहनुमा इमाम और शरीअत के उलमा ईसा को क़त्ल करने का कोई मौज़ूँ मौक़ा ढूँड रहे थे, क्योंकि वह अवाम के रद्दे-अमल से डरते थे।


फ़सह और बेख़मीरी रोटी की ईद क़रीब आ गई थी। सिर्फ़ दो दिन रह गए थे। राहनुमा इमाम और शरीअत के उलमा ईसा को किसी चालाकी से गिरिफ़्तार करके क़त्ल करने की तलाश में थे।


एक बड़ा हुजूम उसके पीछे लग गया था, क्योंकि उसने इलाही निशान दिखाकर मरीज़ों को शफ़ा दी थी और लोगों ने इसका मुशाहदा किया था।


फ़रीसियों ने देखा कि हुजूम में इस क़िस्म की बातें धीमी धीमी आवाज़ के साथ फैल रही हैं। चुनाँचे उन्होंने राहनुमा इमामों के साथ मिलकर बैतुल-मुक़द्दस के पहरेदार ईसा को गिरिफ़्तार करने के लिए भेजे।


इतने में बैतुल-मुक़द्दस के पहरेदार राहनुमा इमामों और फ़रीसियों के पास वापस आए। वह ईसा को लेकर नहीं आए थे, इसलिए राहनुमाओं ने पूछा, “तुम उसे क्यों नहीं लाए?”


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