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یوئیل 1:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 अंगूर की बेल सूख गई, अंजीर का दरख़्त मुरझा गया है। अनार, खजूर, सेब बल्कि फल लानेवाले तमाम दरख़्त पज़मुरदा हो गए हैं। इनसान की तमाम ख़ुशी ख़ाक में मिलाई गई है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 انگور کی بیل سُوکھ گئی اَور اَنجیر کا درخت مُرجھاگیا؛ انار، کھجور اَور سیب کے درخت الغرض کھیت کے تمام درخت سُوکھ گیٔے ہیں۔ یقیناً بنی آدمؔ کی خُوشی بھی مُرجھا گئی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

12 تاک خُشک ہو گئی۔ انجِیر کا درخت مُرجھا گیا۔ انار اور کھجُور اور سیب کے درخت ہاں مَیدان کے تمام درخت مُرجھا گئے اور بنی آدمؔ سے خُوشی جاتی رہی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 انگور کی بیل سوکھ گئی، انجیر کا درخت مُرجھا گیا ہے۔ انار، کھجور، سیب بلکہ پھل لانے والے تمام درخت پژمُردہ ہو گئے ہیں۔ انسان کی تمام خوشی خاک میں ملائی گئی ہے۔

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یوئیل 1:12
19 حوالہ جات  

गलियों में लोग गिर्याओ-ज़ारी कर रहे हैं कि मै ख़त्म है। हर ख़ुशी दूर हो गई है, हर शादमानी ज़मीन से ग़ायब है।


अब ख़ुशीओ-शादमानी बाग़ों से ग़ायब हो गई है, अंगूर के बाग़ों में गीत और ख़ुशी के नारे बंद हो गए हैं। कोई नहीं रहा जो हौज़ों में अंगूर को रौंदकर रस निकाले, क्योंकि मैंने फ़सल की ख़ुशियाँ ख़त्म कर दी हैं।


क्या ऐसा नहीं हुआ कि हमारे देखते देखते हमसे ख़ुराक छीन ली गई, कि अल्लाह के घर में ख़ुशीओ-शादमानी बंद हो गई है?


खेत तबाह हुए, ज़मीन झुलस गई है। अनाज ख़त्म, अंगूर ख़त्म, ज़ैतून ख़त्म।


जवान आदमियों में मेरा महबूब जंगल में सेब के दरख़्त की मानिंद है। मैं उसके साये में बैठने की कितनी आरज़ूमंद हूँ, उसका फल मुझे कितना मीठा लगता है।


कि क्या आइंदा भी गोदाम में जमाशुदा बीज ज़ाया हो जाएगा, कि क्या आइंदा भी अंगूर, अंजीर, अनार और ज़ैतून का फल न होने के बराबर होगा। क्योंकि आज से मैं तुम्हें बरकत दूँगा।”


अब ख़ुशीओ-शादमानी मोआब के बाग़ों और खेतों से जाती रही है। मैंने अंगूर का रस निकालने का काम रोक दिया है। कोई ख़ुशी के नारे लगा लगाकर अंगूर को पाँवों तले नहीं रौंदता। शोर तो मच रहा है, लेकिन ख़ुशी के नारे बुलंद नहीं हो रहे बल्कि जंग के।


सुनो! होरोनायम से चीख़ें बुलंद हो रही हैं। तबाही और बड़ी शिकस्त का शोर मच रहा है।


तूने क़ौम को बढ़ाकर उसे बड़ी ख़ुशी दिलाई है। तेरे हुज़ूर वह यों ख़ुशी मनाते हैं जिस तरह फ़सल काटते और लूट का माल बाँटते वक़्त मनाई जाती है।


बाग़ में अनार के दरख़्त लगे हैं जिन पर लज़ीज़ फल पक रहा है। मेहँदी के पौदे भी उग रहे हैं।


रास्तबाज़ खजूर के दरख़्त की तरह फले-फूलेगा, वह लुबनान के देवदार के दरख़्त की तरह बढ़ेगा।


तूने मेरे दिल को ख़ुशी से भर दिया है, ऐसी ख़ुशी से जो उनके पास भी नहीं होती जिनके पास कसरत का अनाज और अंगूर है।


जब वह वादीए-इसकाल तक पहुँचे तो उन्होंने एक डाली काट ली जिस पर अंगूर का गुच्छा लगा हुआ था। दो आदमियों ने यह अंगूर, कुछ अनार और कुछ अंजीर लाठी पर लटकाए और उसे उठाकर चल पड़े।


अंगूर का ताज़ा रस सूखकर ख़त्म हो रहा, अंगूर की बेलें मुरझा रही हैं। जो पहले ख़ुशबाश थे वह आहें भरने लगे हैं।


लेकिन अगले दिन जब पौ फटने लगी तो अल्लाह ने एक कीड़ा भेजा जिसने बेल पर हमला किया। बेल जल्द ही मुरझा गई।


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मैं कीड़ों को तुम्हारी फ़सलों से दूर रखूँगा ताकि तुम्हारे खेतों की पैदावार और तुम्हारे अंगूर ख़राब न हो जाएँ बल्कि पक जाएँ।


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