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ایوب 9:5 - किताबे-मुक़द्दस

5 अल्लाह पहाड़ों को खिसका देता है, और उन्हें पता ही नहीं चलता। वह ग़ुस्से में आकर उन्हें उलटा देता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

5 وہ پہاڑوں کو ہٹا دیتے ہیں اَور اُنہیں خبر بھی نہیں ہو پاتی، وہ اَپنے قہر میں اُنہیں تہہ و بالا کر دیتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

5 وہ پہاڑوں کو ہٹا دیتا ہے اور اُنہیں پتا بھی نہیں لگتا۔ وہ اپنے قہر میں اُنہیں اُلٹ دیتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

5 اللہ پہاڑوں کو کھسکا دیتا ہے، اور اُنہیں پتا ہی نہیں چلتا۔ وہ غصے میں آ کر اُنہیں اُلٹا دیتا ہے۔

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ایوب 9:5
23 حوالہ جات  

शदीद ज़लज़ले आएँगे, जगह जगह काल पड़ेंगे और वबाई बीमारियाँ फैल जाएँगी। हैबतनाक वाक़ियात और आसमान पर बड़े निशान देखने में आएँगे।


उसी वक़्त बैतुल-मुक़द्दस के मुक़द्दसतरीन कमरे के सामने लटका हुआ परदा ऊपर से लेकर नीचे तक दो हिस्सों में फट गया। ज़लज़ला आया, चट्टानें फट गईं


उसी वक़्त एक शदीद ज़लज़ला आया और शहर का दसवाँ हिस्सा गिरकर तबाह हो गया। 7,000 अफ़राद उस की ज़द में आकर मर गए। बचे हुए लोगों में दहशत फैल गई और वह आसमान के ख़ुदा को जलाल देने लगे।


तुझे देखकर पहाड़ काँप उठते, मूसलाधार बारिश बरसने लगती और पानी की गहराइयाँ गरजती हुई अपने हाथ आसमान की तरफ़ उठाती हैं।


आसमान तूमार की तरह जब उसे लपेटकर बंद किया जाता है पीछे हट गया। और हर पहाड़ और जज़ीरा अपनी अपनी जगह से खिसक गया।


ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ, अगर तुम शक न करो बल्कि ईमान रखो तो फिर तुम न सिर्फ़ ऐसा काम कर सकोगे बल्कि इससे भी बड़ा। तुम इस पहाड़ से कहोगे, ‘उठ, अपने आपको समुंदर में गिरा दे’ तो यह हो जाएगा।


अगर मेरी नबुव्वत की नेमत हो और मुझे तमाम भेदों और हर इल्म से वाक़िफ़ियत हो, साथ ही मेरा ऐसा ईमान हो कि पहाड़ों को खिसका सकूँ, लेकिन मेरा दिल मुहब्बत से ख़ाली हो तो मैं कुछ भी नहीं।


क्या रास्ते में बड़ा पहाड़ हायल है? ज़रुब्बाबल के सामने वह हमवार मैदान बन जाएगा। और जब ज़रुब्बाबल रब के घर का आख़िरी पत्थर लगाएगा तो हाज़िरीन पुकार उठेंगे, ‘मुबारक हो! मुबारक हो’!”


जहाँ भी क़दम उठाए, वहाँ ज़मीन हिल जाती, जहाँ भी नज़र डाले वहाँ अक़वाम लरज़ उठती हैं। तब क़दीम पहाड़ फट जाते, पुरानी पहाड़ियाँ दबक जाती हैं। उस की राहें अज़ल से ऐसी ही रही हैं।


किसने अपने हाथ से दुनिया का पानी नाप लिया है? किसने अपने हाथ से आसमान की पैमाइश की है? किसने ज़मीन की मिट्टी की मिक़दार मालूम की या तराज़ू से पहाड़ों का कुल वज़न मुतैयिन किया है?


ऐ पहाड़ो, क्या हुआ कि तुम मेंढों की तरह कूदने लगे हो? ऐ पहाड़ियो, क्या हुआ कि तुम जवान भेड़-बकरियों की तरह फाँदने लगी हो?


तो ज़मीन लरज़ उठी और आसमान से बारिश टपकने लगी। हाँ, अल्लाह के हुज़ूर जो कोहे-सीना और इसराईल का ख़ुदा है ऐसा ही हुआ।


इसलिए हम ख़ौफ़ नहीं खाएँगे, गो ज़मीन लरज़ उठे और पहाड़ झूमकर समुंदर की गहराइयों में गिर जाएँ,


इनसान संगे-चक़माक़ पर हाथ लगाकर पहाड़ों को जड़ से उलटा देता है।


हाँ, उसके सामने पाताल बरहना और उस की गहराइयाँ बेनिक़ाब हैं।


वह तो उनकी हरकतों से वाक़िफ़ है और उन्हें रात के वक़्त यों तहो-बाला कर सकता है कि चूर चूर हो जाएँ।


किसने मुझे कुछ दिया है कि मैं उसका मुआवज़ा दूँ। आसमान तले हर चीज़ मेरी ही है!


बयकवक़्त अपना शदीद क़हर मुख़्तलिफ़ जगहों पर नाज़िल कर, हर मग़रूर को अपना निशाना बनाकर उसे ख़ाक में मिला दे।


उसके सामने पहाड़ लरज़ उठते, पहाड़ियाँ पिघल जाती हैं। उसके हुज़ूर पूरी ज़मीन अपने बाशिंदों समेत लरज़ उठती है।


कौन उस की नाराज़ी और उसके शदीद क़हर का सामना कर सकता है? उसका ग़ज़ब आग की तरह भड़ककर ज़मीन पर नाज़िल होता है, उसके आने पर पत्थर फटकर टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं।


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