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ایوب 40:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 “मैं तो नालायक़ हूँ, मैं किस तरह तुझे जवाब दूँ? मैं अपने मुँह पर हाथ रखकर ख़ामोश रहूँगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 ”میں ناچیز ہُوں۔ مَیں آپ کو کیسے جَواب دُوں؟ میں اَپنا ہاتھ اَپنے مُنہ پر رکھتا ہُوں۔

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کِتابِ مُقادّس

4 دیکھ! مَیں ناچِیز ہُوں۔ مَیں تُجھے کیا جواب دُوں؟ مَیں اپنا ہاتھ اپنے مُنہ پر رکھتا ہُوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 ”مَیں تو نالائق ہوں، مَیں کس طرح تجھے جواب دوں؟ مَیں اپنے منہ پر ہاتھ رکھ کر خاموش رہوں گا۔

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ایوب 40:4
35 حوالہ جات  

अगर तूने मग़रूर होकर हमाक़त की या बुरे मनसूबे बाँधे तो अपने मुँह पर हाथ रखकर ख़ामोश हो जा,


रईस बोलने से बाज़ आकर मुँह पर हाथ रखते,


मुझ पर नज़र डालो तो तुम्हारे रोंगटे खड़े हो जाएंगे और तुम हैरानी से अपना हाथ मुँह पर रखोगे।


इसलिए मैं अपनी बातें मुस्तरद करता, अपने आप पर ख़ाक और राख डालकर तौबा करता हूँ।”


लेकिन टैक्स लेनेवाला दूर ही खड़ा रहा। उसने अपनी आँखें आसमान की तरफ़ उठाने तक की जुर्रत न की बल्कि अपनी छाती पीट पीटकर कहने लगा, ‘ऐ ख़ुदा, मुझ गुनाहगार पर रहम कर!’


मैं चिल्ला उठा, “मुझ पर अफ़सोस, मैं बरबाद हो गया हूँ! क्योंकि गो मेरे होंट नापाक हैं, और जिस क़ौम के दरमियान रहता हूँ उसके होंट भी नजिस हैं तो भी मैंने अपनी आँखों से बादशाह रब्बुल-अफ़वाज को देखा है।”


“ऐ मेरे ख़ुदा, मैं निहायत शरमिंदा हूँ। अपना मुँह तेरी तरफ़ उठाने की मुझमें जुर्रत नहीं रही। क्योंकि हमारे गुनाहों का इतना बड़ा ढेर लग गया है कि वह हमसे ऊँचा है, बल्कि हमारा क़ुसूर आसमान तक पहुँच गया है।


उन्होंने कहा, “चुप! कोई बात न करो बल्कि हमारे साथ जाकर हमारे बाप और इमाम बनो। हमारे साथ जाओगे तो पूरे क़बीले के इमाम बनोगे। क्या यह एक ही ख़ानदान की ख़िदमत करने से कहीं बेहतर नहीं होगा?”


मैं उस तमाम मेहरबानी और वफ़ादारी के लायक़ नहीं जो तूने अपने ख़ादिम को दिखाई है। जब मैंने लाबन के पास जाते वक़्त दरियाए-यरदन को पार किया तो मेरे पास सिर्फ़ यह लाठी थी, और अब मेरे पास यह दो गुरोह हैं।


इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है अगरचे मैं ख़ाक और राख ही हूँ।


हम इस क़ाबिले-क़बूल बात पर पूरा भरोसा रख सकते हैं कि मसीह ईसा गुनाहगारों को नजात देने के लिए इस दुनिया में आया। उनमें से मैं सबसे बड़ा गुनाहगार हूँ,


जब शमौन पतरस ने यह सब कुछ देखा तो उसने ईसा के सामने मुँह के बल गिरकर कहा, “ख़ुदावंद, मुझसे दूर चले जाएँ। मैं तो गुनाहगार हूँ।”


तमाम इनसान रब के सामने ख़ामोश हो जाएँ, क्योंकि वह उठकर अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह से निकल आया है।


लेकिन रब अपने मुक़द्दस घर में मौजूद है। उसके हुज़ूर पूरी दुनिया ख़ामोश रहे।”


यह देखकर अक़वाम शरमिंदा हो जाएँगी और अपनी तमाम ताक़त के बावुजूद कुछ नहीं कर पाएँगी। वह घबराकर मुँह पर हाथ रखेंगी, उनके कान बहरे हो जाएंगे।


ऐ रब, तू हक़-बजानिब है जबकि इस दिन हम सब शर्मसार हैं, ख़ाह यहूदाह, यरूशलम या इसराईल के हों, ख़ाह क़रीब या उन तमाम दूर-दराज़ ममालिक में रहते हों जहाँ तूने हमें हमारी बेवफ़ाई के सबब से मुंतशिर कर दिया है। क्योंकि हम तेरे ही साथ बेवफ़ा रहे हैं।


लेकिन हमने गुनाह और बदी की है। हम बेदीन और बाग़ी होकर तेरे अहकाम और हिदायात से भटक गए हैं।


हम सब नापाक हो गए हैं, हमारे तमाम नाम-निहाद रास्त काम गंदे चीथड़ों की मानिंद हैं। हम सब पत्तों की तरह मुरझा गए हैं, और हमारे गुनाह हमें हवा के झोंकों की तरह उड़ाकर ले जा रहे हैं।


हम सब भेड़-बकरियों की तरह आवारा फिर रहे थे, हर एक ने अपनी अपनी राह इख़्तियार की। लेकिन रब ने उसे हम सबके क़ुसूर का निशाना बनाया।


मैं ख़ामोश हो गया हूँ और कभी अपना मुँह नहीं खोलता, क्योंकि यह सब कुछ तेरे ही हाथ से हुआ है।


मैं अल्लाह को अपने क़दमों का पूरा हिसाब-किताब देकर रईस की तरह उसके क़रीब पहुँचता।


मेरी आहें अल्लाह के सामने फ़ानी इनसान के हक़ में बात करेंगी, उस तरह जिस तरह कोई अपने दोस्त के हक़ में बात करे।


हक़ीक़त तो यह है कि जो भी मुसीबत हम पर आई है उसमें तू रास्त साबित हुआ है। तू वफ़ादार रहा है, गो हम क़ुसूरवार ठहरे हैं।


ऐ रब इसराईल के ख़ुदा, तू ही आदिल है। आज हम बचे हुए हिस्से की हैसियत से तेरे हुज़ूर खड़े हैं। हम क़ुसूरवार हैं और तेरे सामने क़ायम नहीं रह सकते।”


आगे रेगिस्तान में जा निकला। एक दिन के सफ़र के बाद वह सींक की झाड़ी के पास पहुँच गया और उसके साये में बैठकर दुआ करने लगा, “ऐ रब, मुझे मरने दे। बस अब काफ़ी है। मेरी जान ले ले, क्योंकि मैं अपने बापदादा से बेहतर नहीं हूँ।”


लेकिन अब दाऊद का ज़मीर उसको मलामत करने लगा। उसने रब से दुआ की, “मुझसे संगीन गुनाह सरज़द हुआ है। ऐ रब, अब अपने ख़ादिम का क़ुसूर मुआफ़ कर। मुझसे बड़ी हमाक़त हुई है।”


तब अय्यूब ने जवाब देकर रब से कहा,


वह ख़ाक में औंधे मुँह हो जाए, शायद अभी तक उम्मीद हो।


लेकिन अगर बीमारी जल्दी से फैल गई हो, यहाँ तक कि सर से लेकर पाँव तक पूरी जिल्द मुतअस्सिर हुई हो


हमें बताएँ कि अल्लाह से क्या कहें! अफ़सोस, अंधेरे के बाइस हम अपने ख़यालात को तरतीब नहीं दे सकते।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, ‘जब मैं तेरे तमाम गुनाहों को मुआफ़ करूँगा तब तुझे उनका ख़याल आकर शरमिंदगी महसूस होगी, और तू शर्म के मारे गुमसुम रहेगी’।”


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