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ایوب 40:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 “क्या मलामत करनेवाला अदालत में क़ादिरे-मुतलक़ से झगड़ना चाहता है? अल्लाह की सरज़निश करनेवाला उसे जवाब दे!”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 ”جو قادرمُطلق کی شکایت کرتا ہے، کیا اُس کی تادیب نہیں ہونا چاہئے؟ جو خُدا پر اِلزام لگاتاہے اُسے اُن باتوں کا جَواب بھی دینا ہوگا۔“

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کِتابِ مُقادّس

2 کیا جو فضُول حُجّت کرتا ہے وہ قادرِ مُطلق سے جھگڑا کرے؟ جو خُدا سے بحث کرتا ہے وہ اِس کا جواب دے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 ”کیا ملامت کرنے والا عدالت میں قادرِ مطلق سے جھگڑنا چاہتا ہے؟ اللہ کی سرزنش کرنے والا اُسے جواب دے!“

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ایوب 40:2
35 حوالہ جات  

चुनाँचे पाक कलाम में लिखा है, “किसने रब की सोच को जाना? कौन उसको तालीम देगा?” लेकिन हम मसीह की सोच रखते हैं।


क्या उसे किसी से मशवरा लेने की ज़रूरत है ताकि उसे समझ आकर रास्त राह की तालीम मिल जाए? हरगिज़ नहीं! क्या किसी ने कभी उसे इल्मो-इरफ़ान या समझदार ज़िंदगी गुज़ारने का फ़न सिखाया है? हरगिज़ नहीं!


आप उससे झगड़कर क्यों कहते हैं, ‘वह मेरी किसी भी बात का जवाब नहीं देता’?


इस पर वह ज़मीनदार के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाने लगे,


जो मुझे रास्त ठहराता है वह क़रीब ही है। तो फिर कौन मेरे साथ झगड़ेगा? आओ, हम मिलकर अदालत में खड़े हो जाएँ। कौन मुझ पर इलज़ाम लगाने की जुर्रत करेगा? वह आकर मेरा सामना करे!


“तुम लोग मुल्के-इसराईल के लिए यह कहावत क्यों इस्तेमाल करते हो, ‘वालिदैन ने खट्टे अंगूर खाए, लेकिन उनके बच्चों ही के दाँत खट्टे हो गए हैं।’


“अल्लाह की हयात की क़सम जिसने मेरा इनसाफ़ करने से इनकार किया, क़ादिरे-मुतलक़ की क़सम जिसने मेरी ज़िंदगी तलख़ कर दी है,


अगर वह अदालत में अल्लाह के साथ लड़ना चाहे तो उसके हज़ार सवालात पर एक का भी जवाब नहीं दे सकेगा।


अल्लाह उसको ज़िंदा क्यों रखता जिसकी नज़रों से रास्ता ओझल हो गया है और जिसके चारों तरफ़ उसने बाड़ लगाई है।


अल्लाह मुसीबतज़दों को रौशनी और शिकस्तादिलों को ज़िंदगी क्यों अता करता है?


या क्या हम अल्लाह की ग़ैरत को उकसाना चाहते हैं? क्या हम उससे ताक़तवर हैं?


जो कुछ भी पेश आता है उसका नाम पहले ही रखा गया है, जो भी इनसान वुजूद में आता है वह पहले ही मालूम था। कोई भी इनसान उसका मुक़ाबला नहीं कर सकता जो उससे ताक़तवर है।


तू मेरे साथ अपना सुलूक बदलकर मुझ पर ज़ुल्म करने लगा, अपने हाथ के पूरे ज़ोर से मुझे सताने लगा है।


ऐ अल्लाह, क्या मैं समुंदर या समुंदरी अज़दहा हूँ कि तूने मुझे नज़रबंद कर रखा है?


मैं अल्लाह से कहूँगा कि मुझे मुजरिम न ठहरा बल्कि बता कि तेरा मुझ पर क्या इलज़ाम है।


लेकिन मैं क़ादिरे-मुतलक़ से ही बात करना चाहता हूँ, अल्लाह के साथ ही मुबाहसा करने की आरज़ू रखता हूँ।


फिर मैं अपना मामला तरतीबवार उसके सामने पेश करता, मैं अपना मुँह दलायल से भर लेता।


काश कोई मेरी सुने! देखो, यहाँ मेरी बात पर मेरे दस्तख़त हैं, अब क़ादिरे-मुतलक़ मुझे जवाब दे। काश मेरे मुख़ालिफ़ लिखकर मुझे वह इलज़ामात बताएँ जो उन्होंने मुझ पर लगाए हैं!


रब ने अय्यूब से पूछा,


तब अय्यूब ने जवाब देकर रब से कहा,


ऐ बाबल, तूने अपने लिए फंदा लगा दिया और तू उसमें फँस भी गया—तुझे पता भी न चला। तुझे ढूँड निकाला गया और तुझे पकड़ा भी गया। क्यों? इसलिए कि तूने रब का मुक़ाबला किया।”


मर्द की तरह कमरबस्ता हो जा! मैं तुझसे सवाल करता हूँ, और तू मुझे तालीम दे।


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