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ایوب 32:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 यक़ीनन न मैं किसी की जानिबदारी, न किसी की चापलूसी करूँगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 میں کسی کی طرفداری نہ کروں گا، نہ کسی اِنسان کی خُوشامد کروں گا؛

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کِتابِ مُقادّس

21 نہ مَیں کِسی آدمی کی طرف داری کرُوں گا نہ مَیں کِسی شخص کو خُوشامد کے خِطاب دُوں گا

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 یقیناً نہ مَیں کسی کی جانب داری، نہ کسی کی چاپلوسی کروں گا۔

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ایوب 32:21
18 حوالہ جات  

अदालत में किसी की हक़तलफ़ी न करना। फ़ैसला करते वक़्त किसी की भी जानिबदारी न करना, चाहे वह ग़रीब या असरो-रसूख़वाला हो। इनसाफ़ से अपने पड़ोसी की अदालत कर।


इस मक़सद के तहत उन्होंने अपने शागिर्दों को हेरोदेस के पैरोकारों समेत ईसा के पास भेजा। उन्होंने कहा, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप सच्चे हैं और दियानतदारी से अल्लाह की राह की तालीम देते हैं। आप किसी की परवा नहीं करते क्योंकि आप ग़ैरजानिबदार हैं।


वह तो न रईसों की जानिबदारी करता, न ओहदेदारों को पस्तहालों पर तरजीह देता है, क्योंकि सब ही को उसके हाथों ने बनाया है।


क्या तुम उस की जानिबदारी करना चाहते हो, अल्लाह के हक़ में लड़ना चाहते हो?


ज़ैल में दानिशमंदों की मज़ीद कहावतें क़लमबंद हैं। अदालत में जानिबदारी दिखाना बुरी बात है।


अगर तुम ख़ुफ़िया तौर पर भी जानिबदारी दिखाओ तो वह तुम्हें ज़रूर सख़्त सज़ा देगा।


क्योंकि वह आपको यह बात बराहे-रास्त नहीं पेश करना चाहता था। लेकिन मेरे आक़ा को अल्लाह के फ़रिश्ते की-सी हिकमत हासिल है। जो कुछ भी मुल्क में वुक़ू में आता है उसका आपको पता चल जाता है।”


ख़याल यह था कि अगर बादशाह मामला हल कर दें तो फिर मुझे दुबारा सुकून मिलेगा, क्योंकि आप अच्छी और बुरी बातों का इम्तियाज़ करने में अल्लाह के फ़रिश्ते जैसे हैं। रब आपका ख़ुदा आपके साथ हो।”


न किसी के हुक़ूक़ मारना, न जानिबदारी दिखाना। रिश्वत क़बूल न करना, क्योंकि रिश्वत दानिशमंदों को अंधा कर देती और रास्तबाज़ की बातें पलट देती है।


अदालत करते वक़्त जानिबदारी न करना। छोटे और बड़े की बात सुनकर दोनों के साथ एक जैसा सुलूक करना। किसी से मत डरना, क्योंकि अल्लाह ही ने तुम्हें अदालत करने की ज़िम्मादारी दी है। अगर किसी मामले में फ़ैसला करना तुम्हारे लिए मुश्किल हो तो उसे मुझे पेश करो। फिर मैं ही उसका फ़ैसला करूँगा।”


मुझे बोलना है ताकि आराम पाऊँ, लाज़िम ही है कि मैं अपने होंटों को खोलकर जवाब दूँ।


क्योंकि मैं ख़ुशामद कर ही नहीं सकता, वरना मेरा ख़ालिक़ मुझे जल्द ही उड़ा ले जाएगा।


मेरे अलफ़ाज़ सीधी राह पर चलनेवाले दिल से उभर आते हैं, मेरे होंट दियानतदारी से वह कुछ बयान करते हैं जो मैं जानता हूँ।


“तुम कब तक अदालत में ग़लत फ़ैसले करके बेदीनों की जानिबदारी करोगे? (सिलाह)


आख़िरकार नसीहत देनेवाला चापलूसी करनेवाले से ज़्यादा मंज़ूर होता है।


इसलिए मैंने तुम्हें तमाम क़ौम के सामने ज़लील कर दिया है, सब तुम्हें हक़ीर जानते हैं। क्योंकि तुम मेरी राहों पर नहीं रहते बल्कि तालीम देते वक़्त जानिबदारी दिखाते हो।”


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