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ایوب 2:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 उस की बीवी बोली, “क्या तू अब तक अपने बेइलज़ाम किरदार पर क़ायम है? अल्लाह पर लानत करके दम छोड़ दे!”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 اُن کی بیوی نے ایُّوب سے کہا، ”کیا تُم اَب بھی اَپنی راستبازی پر قائِم رہوگے؟ خُدا پر لعنت بھیجو اَور مَر جاؤ۔“

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کِتابِ مُقادّس

9 تب اُس کی بِیوی اُس سے کہنے لگی کہ کیا تُو اب بھی اپنی راستی پر قائِم رہے گا؟ خُدا کی تکفِیر کر اور مَر جا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 اُس کی بیوی بولی، ”کیا تُو اب تک اپنے بےالزام کردار پر قائم ہے؟ اللہ پر لعنت کر کے دم چھوڑ دے!“

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ایوب 2:9
13 حوالہ جات  

लेकिन वह क्या करेगा अगर तू अपना हाथ ज़रा बढ़ाकर उसका जिस्म छू दे? तब वह तेरे मुँह पर ही तुझ पर लानत करेगा।”


रब बोला, “क्या तूने मेरे बंदे अय्यूब पर तवज्जुह दी? ज़मीन पर उस जैसा कोई और नहीं। वह बेइलज़ाम है, वह सीधी राह पर चलता, अल्लाह का ख़ौफ़ मानता और हर बुराई से दूर रहता है। अभी तक वह अपने बेइलज़ाम किरदार पर क़ायम है हालाँकि तूने मुझे उसे बिलावजह तबाह करने पर उकसाया।”


इसमें कि तुम कहते हो, ‘अल्लाह की ख़िदमत करना अबस है। क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज की हिदायात पर ध्यान देने और मुँह लटकाकर उसके हुज़ूर फिरने से हमें क्या फ़ायदा हुआ है?


लेकिन वह क्या करेगा अगर तू अपना हाथ ज़रा बढ़ाकर सब कुछ तबाह करे जो उसे हासिल है। तब वह तेरे मुँह पर ही तुझ पर लानत करेगा।”


इलीशा अभी बात कर ही रहा था कि क़ासिद पहुँच गया और उसके पीछे बादशाह भी। बादशाह बोला, “रब ही ने हमें इस मुसीबत में फँसा दिया है। मैं मज़ीद उस की मदद के इंतज़ार में क्यों रहूँ?”


औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।


जब वह बूढ़ा हो गया तो उन्होंने उसका दिल दीगर माबूदों की तरफ़ मायल कर दिया। यों वह बुढ़ापे में अपने बाप दाऊद की तरह पूरे दिल से रब का वफ़ादार न रहा


आदम ने कहा, “जो औरत तूने मेरे साथ रहने के लिए दी है उसने मुझे फल दिया। इसलिए मैंने खा लिया।”


तब अय्यूब राख में बैठ गया और ठीकरे से अपनी जिल्द को खुरचने लगा।


लेकिन उसने जवाब दिया, “तू अहमक़ औरत की-सी बातें कर रही है। अल्लाह की तरफ़ से भलाई तो हम क़बूल करते हैं, तो क्या मुनासिब नहीं कि उसके हाथ से मुसीबत भी क़बूल करें?” इस सारे मामले में अय्यूब ने अपने मुँह से गुनाह न किया।


ज़ियाफ़त के पूरे हफ़ते के दौरान दुलहन उसके सामने रोती रही। सातवें दिन समसून दुलहन की इल्तिजाओं से इतना तंग आ गया कि उसने उसे पहेली का हल बता दिया। तब दुलहन ने फुरती से सब कुछ फ़िलिस्तियों को सुना दिया।


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