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ایوب 2:11 - किताबे-मुक़द्दस

11 अय्यूब के तीन दोस्त थे। उनके नाम इलीफ़ज़ तेमानी, बिलदद सूख़ी और ज़ूफ़र नामाती थे। जब उन्हें इत्तला मिली कि अय्यूब पर यह तमाम आफ़त आ गई है तो हर एक अपने घर से रवाना हुआ। उन्होंने मिलकर फ़ैसला किया कि इकट्ठे अफ़सोस करने और अय्यूब को तसल्ली देने जाएंगे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

11 جَب ایُّوب کے تینوں دوستوں کو اُن کی تمام مُصیبتوں اَور دردناک حالات کی خبر مِلی جو ایُّوب پر نازل ہُوئی تھیں، تو تینوں اَپنے اَپنے گھر سے ایُّوب سے مِلنے آئے، تیمانؔ سے اِلیفزؔ، شوحی سے بِلددؔ اَور نَعمات سے صُوفرؔ۔ اِن تینوں نے آپَس میں عہد کیا تھا کہ جا کر ایُّوب سے ہمدردی جتائیں گے اَور اُنہیں تسلّی دیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

11 جب ایُّوب کے تِین دوستوں تیمانی الِیفز اور سُوخی بِلدد اور نعماتی ضُوفر نے اُس ساری آفت کا حال جو اُس پر آئی تھی سُنا تو وہ اپنی اپنی جگہ سے چلے اور اُنہوں نے آپس میں عہد کِیا کہ جا کر اُس کے ساتھ روئیں اور اُسے تسلّی دیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

11 ایوب کے تین دوست تھے۔ اُن کے نام اِلی فز تیمانی، بِلدد سوخی اور ضوفر نعماتی تھے۔ جب اُنہیں اطلاع ملی کہ ایوب پر یہ تمام آفت آ گئی ہے تو ہر ایک اپنے گھر سے روانہ ہوا۔ اُنہوں نے مل کر فیصلہ کیا کہ اکٹھے افسوس کرنے اور ایوب کو تسلی دینے جائیں گے۔

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ایوب 2:11
34 حوالہ جات  

ख़ुशी मनानेवालों के साथ ख़ुशी मनाएँ और रोनेवालों के साथ रोएँ।


तब उसके तमाम भाई-बहनें और पुराने जाननेवाले उसके पास आए और घर में उसके साथ खाना खाकर उस आफ़त पर अफ़सोस किया जो रब अय्यूब पर लाया था। हर एक ने उसे तसल्ली देकर उसे एक सिक्का और सोने का एक छल्ला दे दिया।


रब्बुल-अफ़वाज अदोम के बारे में फ़रमाता है, “क्या तेमान में हिकमत का नामो-निशान नहीं रहा? क्या दानिशमंद सहीह मशवरा नहीं दे सकते? क्या उनकी दानाई बेकार हो गई है?


पड़ोसी वह है जो हर वक़्त मुहब्बत रखता है, भाई वह है जो मुसीबत में सहारा देने के लिए पैदा हुआ है।


जो अपने दोस्त पर मेहरबानी करने से इनकार करे वह अल्लाह का ख़ौफ़ तर्क करता है।


अगर एक अज़ु दुख में हो तो उसके साथ दीगर तमाम आज़ा भी दुख महसूस करते हैं। अगर एक अज़ु सरफ़राज़ हो जाए तो उसके साथ बाक़ी तमाम आज़ा भी मसरूर होते हैं।


क़तूरा के छः बेटे पैदा हुए, ज़िमरान, युक़सान, मिदान, मिदियान, इसबाक़ और सूख़।


और बहुत-से यहूदी मर्था और मरियम को उनके भाई के बारे में तसल्ली देने के लिए आए हुए थे।


मेरे दोस्तो, मुझ पर तरस खाओ, मुझ पर तरस खाओ। क्योंकि अल्लाह ही के हाथ ने मुझे मारा है।


“इस तरह की मैंने बहुत-सी बातें सुनी हैं, तुम्हारी तसल्ली सिर्फ़ दुख-दर्द का बाइस है।


तैमा के क़ाफ़िले इस पानी की तलाश में रहते, सबा के सफ़र करनेवाले ताजिर उस पर उम्मीद रखते हैं,


इब्राहीम की दाश्ता क़तूरा के बेटे ज़िमरान, युक़सान, मिदान, मिदियान, इसबाक़ और सूख़ थे। युक़सान के दो बेटे सबा और ददान पैदा हुए


उसके तमाम बेटे-बेटियाँ उसे तसल्ली देने आए, लेकिन उसने तसल्ली पाने से इनकार किया और कहा, “मैं पाताल में उतरते हुए भी अपने बेटे के लिए मातम करूँगा।” इस हालत में वह अपने बेटे के लिए रोता रहा।


एसौ से मुख़्तलिफ़ क़बीलों के सरदार निकले। उसके पहलौठे इलीफ़ज़ से यह क़बायली सरदार निकले : तेमान, ओमर, सफ़ो, क़नज़,


इलीफ़ज़ के बेटे तेमान, ओमर, सफ़ो, जाताम, क़नज़


जो क़ैद में हैं, उन्हें यों याद रखना जैसे आप ख़ुद उनके साथ क़ैद में हों। और जिनके साथ बदसुलूकी हो रही है उन्हें यों याद रखना जैसे आपसे यह बदसुलूकी हो रही हो।


तुझ पर दो आफ़तें आईं यानी बरबादीओ-तबाही, काल और तलवार। लेकिन किसने हमदर्दी का इज़हार किया? किसने तुझे तसल्ली दी?


अपने दोस्तों को कभी न छोड़, न अपने ज़ाती दोस्तों को न अपने बाप के दोस्तों को। तब तुझे मुसीबत के दिन अपने भाई से मदद नहीं माँगनी पड़ेगी। क्योंकि क़रीब का पड़ोसी दूर के भाई से बेहतर है।


कई दोस्त तुझे तबाह करते हैं, लेकिन ऐसे भी हैं जो तुझसे भाई से ज़्यादा लिपटे रहते हैं।


अय्यूब से यह तमाम बातें कहने के बाद रब इलीफ़ज़ तेमानी से हमकलाम हुआ, “मैं तुझसे और तेरे दो दोस्तों से ग़ुस्से हूँ, क्योंकि गो मेरे बंदे अय्यूब ने मेरे बारे में दुरुस्त बातें कीं मगर तुमने ऐसा नहीं किया।


मेरे दिली दोस्त मुझे कराहियत की निगाह से देखते हैं, जो मुझे प्यारे थे वह मेरे मुख़ालिफ़ हो गए हैं।


बिलदद सूख़ी ने जवाब देकर कहा,


मेरी आहो-ज़ारी मेरा तरजुमान है, मैं बेख़ाबी से अल्लाह के इंतज़ार में रहता हूँ।


तब इलीफ़ज़ तेमानी ने जवाब देकर कहा,


जहाँ तक तुम्हारा ताल्लुक़ है, तुम सब फ़रेबदेह लेप लगानेवाले और बेकार डाक्टर हो।


तब बिलदद सूख़ी ने जवाब देकर कहा,


उस की मौत पर हुशाम जो तेमानियों के मुल्क का था।


उनका बाप इफ़राईम काफ़ी अरसे तक उनका मातम करता रहा, और उसके रिश्तेदार उससे मिलने आए ताकि उसे तसल्ली दें।


इलीफ़ज़ तेमानी, बिलदद सूख़ी और ज़ूफ़र नामाती ने वह कुछ किया जो रब ने उन्हें करने को कहा था तो रब ने अय्यूब की सुनी।


ऐ तेमान, तेरे सूरमे भी सख़्त दहशत खाएँगे, क्योंकि उस वक़्त एसौ के पहाड़ी इलाक़े में क़त्लो-ग़ारत आम होगी, कोई नहीं बचेगा।


उस की मौत पर हुशाम जो तेमानियों के मुल्क का था।


जदीरोत, बैत-दजून, नामा और मक़्क़ेदा। इन शहरों की तादाद 16 थी। हर शहर के गिर्दो-नवाह की आबादियाँ उसके साथ गिनी जाती थीं।


यह कुछ सुनकर इलीफ़ज़ तेमानी ने जवाब दिया,


फिर ज़ूफ़र नामाती ने जवाब देकर कहा,


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