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ایوب 18:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 गो तू आग-बगूला होकर अपने आपको फाड़ रहा है, लेकिन क्या तेरे बाइस ज़मीन को वीरान होना चाहिए और चट्टानों को अपनी जगह से खिसक्ना चाहिए? हरगिज़ नहीं!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 تُم جو غُصّے میں خُود اَپنے ہی ٹکڑے ٹکڑے کر رہے ہو، کیا تمہاری خاطِر زمین اُجڑ جائے گی؟ یا چٹّانیں اَپنی جگہ سے ہٹا دی جایٔیں گی؟

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کِتابِ مُقادّس

4 تُو جو اپنے قہر میں اپنے کو پھاڑتا ہے تو کیا زمِین تیرے سبب سے اُجڑ جائے گی یا چٹان اپنی جگہ سے ہٹا دی جائے گی؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 گو تُو آگ بگولا ہو کر اپنے آپ کو پھاڑ رہا ہے، لیکن کیا تیرے باعث زمین کو ویران ہونا چاہئے اور چٹانوں کو اپنی جگہ سے کھسکنا چاہئے؟ ہرگز نہیں!

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ایوب 18:4
13 حوالہ جات  

अल्लाह का ग़ज़ब मुझे फाड़ रहा है, वह मेरा दुश्मन और मेरा मुख़ालिफ़ बन गया है जो मेरे ख़िलाफ़ दाँत पीस पीसकर मुझे अपनी आँखों से छेद रहा है।


लेकिन अफ़सोस! जिस तरह पहाड़ गिरकर चूर चूर हो जाता और चट्टान खिसक जाती है,


मैं अपने आपको ख़तरे में डालने के लिए तैयार हूँ, मैं अपनी जान पर खेलूँगा।


एक बदरूह उसे बार बार अपनी गिरिफ़्त में ले लेती है। फिर वह अचानक चीख़ें मारने लगता है। बदरूह उसे झँझोड़कर इतना तंग करती है कि उसके मुँह से झाग निकलने लगता है। वह उसे कुचल कुचलकर मुश्किल से छोड़ती है।


और जब भी वह उस पर ग़ालिब आती है वह उसे ज़मीन पर पटक देती है। बेटे के मुँह से झाग निकलने लगता और वह दाँत पीसने लगता है। फिर उसका जिस्म अकड़ जाता है। मैंने आपके शागिर्दों से कहा तो था कि वह बदरूह को निकाल दें, लेकिन वह न निकाल सके।”


आसमानो-ज़मीन तो जाते रहेंगे, लेकिन मेरी बातें हमेशा तक क़ायम रहेंगी।


तब अल्लाह ने उससे पूछा, “क्या तू बेल के सबब से ग़ुस्से होने में हक़-बजानिब है?” यूनुस ने जवाब दिया, “जी हाँ, मैं मरने तक ग़ुस्से हूँ, और इसमें मैं हक़-बजानिब भी हूँ।”


रब ने जवाब दिया, “इसराईल और यहूदाह के लोगों का क़ुसूर निहायत ही संगीन है। मुल्क में क़त्लो-ग़ारत आम है, और शहर नाइनसाफ़ी से भर गया है। क्योंकि लोग कहते हैं, ‘रब ने मुल्क को तर्क किया है, हम उसे नज़र ही नहीं आते।’


गो पहाड़ हट जाएँ और पहाड़ियाँ जुंबिश खाएँ, लेकिन मेरी शफ़क़त तुझ पर से कभी नहीं हटेगी, मेरा सलामती का अहद कभी नहीं हिलेगा।” यह रब का फ़रमान है जो तुझ पर तरस खाता है।


क्या तू वाक़ई मेरा इनसाफ़ मनसूख़ करके मुझे मुजरिम ठहराना चाहता है ताकि ख़ुद रास्तबाज़ ठहरे?


क्योंकि अहमक़ की रंजीदगी उसे मार डालती, सादालौह की सरगरमी उसे मौत के घाट उतार देती है।


तू हमें डंगर जैसे अहमक़ क्यों समझता है?


यक़ीनन बेदीन का चराग़ बुझ जाएगा, उस की आग का शोला आइंदा नहीं चमकेगा।


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