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ایوب 15:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 जब अल्लाह की मजलिस मुनअक़िद हो जाए तो क्या तू भी उनकी बातें सुनता है? क्या सिर्फ़ तुझे ही हिकमत हासिल है?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 کیا تُم خُدا کی مشورت پر کان لگاتے ہو؟ یا حِکمت کو صِرف اَپنی حَد تک محدُود رکھتے ہو؟

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کِتابِ مُقادّس

8 کیا تُو نے خُدا کی پوشِیدہ مصلحت سُن لی ہے اور اپنے لِئے عقل مندی کا ٹھیکہ لے رکھّا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 جب اللہ کی مجلس منعقد ہو جائے تو کیا تُو بھی اُن کی باتیں سنتا ہے؟ کیا صرف تجھے ہی حکمت حاصل ہے؟

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ایوب 15:8
18 حوالہ جات  

कलामे-मुक़द्दस यों फ़रमाता है, “किसने रब की सोच को जाना? या कौन इतना इल्म रखता है कि वह उसे मशवरा दे?


बात तो यह है : कौन रब की मजलिस में शरीक हुआ है? वह देख ले और उसका फ़रमान सुन ले! किसने तवज्जुह देकर मेरा कलाम सुन लिया है?


चुनाँचे पाक कलाम में लिखा है, “किसने रब की सोच को जाना? कौन उसको तालीम देगा?” लेकिन हम मसीह की सोच रखते हैं।


अब से मैं नहीं कहता कि तुम ग़ुलाम हो, क्योंकि ग़ुलाम नहीं जानता कि उसका मालिक क्या करता है। इसके बजाए मैंने कहा है कि तुम दोस्त हो, क्योंकि मैंने तुमको सब कुछ बताया है जो मैंने अपने बाप से सुना है।


यों नबी की यह पेशगोई पूरी हुई कि “मैं तमसीलों में बात करूँगा, मैं दुनिया की तख़लीक़ से लेकर आज तक छुपी हुई बातें बयान करूँगा।”


उसने जवाब दिया, “तुमको तो आसमान की बादशाही के भेद समझने की लियाक़त दी गई है, लेकिन उन्हें यह लियाक़त नहीं दी गई।


उस वक़्त ईसा ने कहा, “ऐ बाप, आसमानो-ज़मीन के मालिक! मैं तेरी तमजीद करता हूँ कि तूने यह बातें दानाओं और अक़्लमंदों से छुपाकर छोटे बच्चों पर ज़ाहिर कर दी हैं।


यक़ीनन जो भी मनसूबा रब क़ादिरे-मुतलक़ बाँधे उस पर अमल करने से पहले वह उसे अपने ख़ादिमों यानी नबियों पर ज़ाहिर करता है।


क्योंकि बुरी राह पर चलनेवाले से रब घिन खाता है जबकि सीधी राह पर चलनेवालों को वह अपने राज़ों से आगाह करता है।


जो रब का ख़ौफ़ मानें उन्हें वह अपने हमराज़ बनाकर अपने अहद की तालीम देता है।


उस वक़्त मेरी जवानी उरूज पर थी और मेरा ख़ैमा अल्लाह के साये में रहता था।


“लगता है कि तुम ही वाहिद दानिशमंद हो, कि हिकमत तुम्हारे साथ ही मर जाएगी।


काश वह तेरे लिए हिकमत के भेद खोले, क्योंकि वह इनसान की समझ के नज़दीक मोजिज़े से हैं। तब तू जान लेता कि अल्लाह तेरे गुनाह का काफ़ी हिस्सा दरगुज़र कर रहा है।


बहुत कुछ पोशीदा है, और सिर्फ़ रब हमारा ख़ुदा उसका इल्म रखता है। लेकिन उसने हम पर अपनी शरीअत का इनकिशाफ़ कर दिया है। लाज़िम है कि हम और हमारी औलाद उसके फ़रमाँबरदार रहें।


वाह! अल्लाह की दौलत, हिकमत और इल्म क्या ही गहरा है। कौन उसके फ़ैसलों की तह तक पहुँच सकता है! कौन उस की राहों का खोज लगा सकता है!


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