Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -




ایوب 11:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 अक़्ल से ख़ाली आदमी किस तरह समझ पा सकता है? यह उतना ही नामुमकिन है जितना यह कि जंगली गधे से इनसान पैदा हो।

باب دیکھیں کاپی

اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 جِس طرح گورخر کا بچّہ اِنسان بَن کر پیدا نہیں ہو سَکتا اُسی طرح بےوقُوف اِنسان بھی عقلمند نہیں بَن سَکتا۔

باب دیکھیں کاپی

کِتابِ مُقادّس

12 لیکن بے ہُودہ آدمی سمجھ سے خالی ہوتا ہے بلکہ اِنسان گورخر کے بچّہ کی طرح پَیدا ہوتا ہے۔

باب دیکھیں کاپی

ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 عقل سے خالی آدمی کس طرح سمجھ پا سکتا ہے؟ یہ اُتنا ہی ناممکن ہے جتنا یہ کہ جنگلی گدھے سے انسان پیدا ہو۔

باب دیکھیں کاپی




ایوب 11:12
24 حوالہ جات  

होश में आएँ! क्या आप नहीं समझते कि नेक आमाल के बग़ैर ईमान बेकार है?


मैंने यह भी सोचा, “जहाँ तक इनसानों का ताल्लुक़ है अल्लाह उनकी जाँच-पड़ताल करता है ताकि उन्हें पता चले कि वह जानवरों की मानिंद हैं।


तो मैं अहमक़ था। मैं कुछ नहीं समझता था बल्कि तेरे सामने मवेशी की मानिंद था।


पहले तो हम भी सब उनमें ज़िंदगी गुज़ारते थे। हम भी अपनी पुरानी फ़ितरत की शहवतें, मरज़ी और सोच पूरी करने की कोशिश करते रहे। दूसरों की तरह हम पर भी फ़ितरी तौर पर अल्लाह का ग़ज़ब नाज़िल होना था।


एक दूसरे के साथ अच्छे ताल्लुक़ात रखें। ऊँची सोच न रखें बल्कि दबे हुओं से रिफ़ाक़त रखें। अपने आपको दाना मत समझें।


वह दावा तो करते थे कि हम दाना हैं, लेकिन अहमक़ साबित हुए।


बल्कि तू रेगिस्तान में रहने की आदी गधी ही है जो शहवत के मारे हाँपती है। मस्ती के इस आलम में कौन उस पर क़ाबू पा सकता है? जो भी उससे मिलना चाहे उसे ज़्यादा जिद्दो-जहद की ज़रूरत नहीं, क्योंकि मस्ती के मौसम में वह हर एक के लिए हाज़िर है।


नादान यह नहीं जानता, अहमक़ को इसकी समझ नहीं आती।


यक़ीनन मैं गुनाहआलूदा हालत में पैदा हुआ। ज्योंही मैं माँ के पेट में वुजूद में आया तो गुनाहगार था।


इनसान से उसने कहा, ‘सुनो, अल्लाह का ख़ौफ़ मानना ही हिकमत और बुराई से दूर रहना ही समझ है’।”


भला इनसान क्या है कि पाक-साफ़ ठहरे? औरत से पैदा हुई मख़लूक़ क्या है कि रास्तबाज़ साबित हो? कुछ भी नहीं!


क्या जंगली गधा ढीनचूँ ढीनचूँ करता है जब उसे घास दस्तयाब हो? या क्या बैल डकराता है जब उसे चारा हासिल हो?


वह दानिशमंदों को उनकी अपनी चालाकी के फंदे में फँसा देता है तो होशियारों की साज़िशें अचानक ही ख़त्म हो जाती हैं।


देख, मेरी ज़िंदगी का दौरानिया तेरे सामने लमहा-भर का है। मेरी पूरी उम्र तेरे नज़दीक कुछ भी नहीं है। हर इनसान दम-भर का ही है, ख़ाह वह कितनी ही मज़बूती से खड़ा क्यों न हो। (सिलाह)


जब तू इनसान को उसके क़ुसूर की मुनासिब सज़ा देकर उसको तंबीह करता है तो उस की ख़ूबसूरती कीड़ा लगे कपड़े की तरह जाती रहती है। हर इनसान दम-भर का ही है। (सिलाह)


इनसान दम-भर का ही है, उसके दिन तेज़ी से गुज़रनेवाले साये की मानिंद हैं।


वाइज़ फ़रमाता है, “बातिल ही बातिल, बातिल ही बातिल, सब कुछ बातिल ही बातिल है!”


चुनाँचे अपने दिल से रंजीदगी और अपने जिस्म से दुख-दर्द दूर रख, क्योंकि जवानी और काले बाल दम-भर के ही हैं।


ہمیں فالو کریں:

اشتہارات


اشتہارات