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ایوب 10:22 - किताबे-मुक़द्दस

22 वह मुल्क अंधेरा ही अंधेरा और काला ही काला है, उसमें घने साये और बेतरतीबी है। वहाँ रौशनी भी अंधेरा ही है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

22 وہ مقام جہاں راتیں بڑی تاریک، سائے بڑے گہرے اَور ہر چیز بے ترتیب ہوتی ہے، جہاں رَوشنی بھی تاریکی کی مانند ہے۔“

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کِتابِ مُقادّس

22 گہری تارِیکی کی سرزمِین جو خُود تارِیکی ہی ہے۔ مَوت کے سایہ کی سرزمِین جو بے ترتِیب ہے اور جہاں روشنی بھی اَیسی ہے جَیسی تارِیکی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

22 وہ ملک اندھیرا ہی اندھیرا اور کالا ہی کالا ہے، اُس میں گھنے سائے اور بےترتیبی ہے۔ وہاں روشنی بھی اندھیرا ہی ہے۔“

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ایوب 10:22
15 حوالہ جات  

नीज़, हमारे और तुम्हारे दरमियान एक वसी ख़लीज क़ायम है। अगर कोई चाहे भी तो उसे पार करके यहाँ से तुम्हारे पास नहीं जा सकता, न वहाँ से कोई यहाँ आ सकता है।’


इससे पहले कि तारीकी फैल जाए और तुम्हारे पाँव धुँधलेपन में पहाड़ों के साथ ठोकर खाएँ, रब अपने ख़ुदा को जलाल दो! क्योंकि उस वक़्त गो तुम रौशनी के इंतज़ार में रहोगे, लेकिन अल्लाह अंधेरे को मज़ीद बढ़ाएगा, गहरी तारीकी तुम पर छा जाएगी।


उन्होंने पूछा तक नहीं कि रब कहाँ है जो हमें मिसर से निकाल लाया और रेगिस्तान में सहीह राह दिखाई, गो वह इलाक़ा वीरानो-सुनसान था। हर तरफ़ घाटियों, पानी की सख़्त कमी और तारीकी का सामना करना पड़ा। न कोई उसमें से गुज़रता, न कोई वहाँ रहता है।


क्या तारीकी में तेरे मोजिज़े या मुल्के-फ़रामोश में तेरी रास्ती मालूम हो जाएगी?


ताहम तूने हमें चूर चूर करके गीदड़ों के दरमियान छोड़ दिया, तूने हमें गहरी तारीकी में डूबने दिया है।


गो मैं तारीकतरीन वादी में से गुज़रूँ मैं मुसीबत से नहीं डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ है, तेरी लाठी और तेरा असा मुझे तसल्ली देते हैं।


क्या मौत के दरवाज़े तुझ पर ज़ाहिर हुए, तुझे घने अंधेरे के दरवाज़े नज़र आए हैं?


कहीं इतनी तारीकी या घना अंधेरा नहीं होता कि बदकार उसमें छुप सके।


तारीकी और घना अंधेरा उस पर क़ब्ज़ा करे, काले काले बादल उस पर छाए रहें, हाँ वह रौशनी से महरूम होकर सख़्त दहशतज़दा हो जाए।


अगर यह न होता तो इस वक़्त मैं सुकून से लेटा रहता, आराम से सोया होता।


क्योंकि जल्द ही मुझे कूच करके वहाँ जाना है जहाँ से कोई वापस नहीं आता, उस मुल्क में जिसमें तारीकी और घने साये रहते हैं।


फिर ज़ूफ़र नामाती ने जवाब देकर कहा,


अगर मैं सिर्फ़ इतनी ही उम्मीद रखूँ कि पाताल मेरा घर होगा तो यह कैसी उम्मीद होगी? अगर मैं अपना बिस्तर तारीकी में बिछाकर


लेकिन ऐ रब, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ, मेरी दुआ सुबह-सवेरे तेरे सामने आ जाती है।


जिस काम को भी हाथ लगाए उसे पूरे जोशो-ख़ुरोश से कर, क्योंकि पाताल में जहाँ तू जा रहा है न कोई काम है, न मनसूबा, न इल्म और न हिकमत।


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