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ایوب 10:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 मुझे अपनी जान से घिन आती है। मैं आज़ादी से आहो-ज़ारी करूँगा, खुले तौर पर अपना दिली ग़म बयान करूँगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 ”میں اَپنی زندگی سے بیزار ہو چُکا ہُوں؛ لہٰذا میں دِل کھول کر شکوہ کروں گا۔ اَور تلخ رُوح کی بھڑاس نکال دُوں گا۔

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کِتابِ مُقادّس

1 میری رُوح میری زِندگی سے بیزار ہے۔ مَیں اپنا شِکوہ خُوب دِل کھول کر کرُوں گا۔ مَیں اپنے دِل کی تلخی میں بولُوں گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 مجھے اپنی جان سے گھن آتی ہے۔ مَیں آزادی سے آہ و زاری کروں گا، کھلے طور پر اپنا دلی غم بیان کروں گا۔

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ایوب 10:1
21 حوالہ جات  

चुनाँचे मैं वह कुछ रोक नहीं सकता जो मेरे मुँह से निकलना चाहता है। मैं रंजीदा हालत में बात करूँगा, अपने दिल की तलख़ी का इज़हार करके आहो-ज़ारी करूँगा।


आगे रेगिस्तान में जा निकला। एक दिन के सफ़र के बाद वह सींक की झाड़ी के पास पहुँच गया और उसके साये में बैठकर दुआ करने लगा, “ऐ रब, मुझे मरने दे। बस अब काफ़ी है। मेरी जान ले ले, क्योंकि मैं अपने बापदादा से बेहतर नहीं हूँ।”


अगर तू इस पर इसरार करे तो फिर बेहतर है कि अभी मुझे मार दे ताकि मैं अपनी तबाही न देखूँ।”


जब सूरज तुलू हुआ तो अल्लाह ने मशरिक़ से झुलसती लू भेजी। धूप इतनी शदीद थी कि यूनुस ग़श खाने लगा। आख़िरकार वह मरना ही चाहता था। वह बोला, “जीने से बेहतर यही है कि मैं कूच कर जाऊँ।”


जो कुछ भी हो, मैं बेइलज़ाम हूँ! मैं अपनी जान की परवा ही नहीं करता, अपनी ज़िंदगी हक़ीर जानता हूँ।


अगर काल पड़े तो वह फ़िद्या देकर तुझे मौत से बचाएगा, जंग में तुझे तलवार की ज़द में आने नहीं देगा।


ऐ रब, अब मुझे जान से मार दे! जीने से बेहतर यही है कि मैं कूच कर जाऊँ।”


यक़ीनन यह तलख़ तजरबा मेरी बरकत का बाइस बन गया। तेरी मुहब्बत ने मेरी जान को क़ब्र से महफ़ूज़ रखा, तूने मेरे तमाम गुनाहों को अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है।


लेकिन मैं क्या कहूँ? उसने ख़ुद मुझसे हमकलाम होकर यह किया है। मैं तलख़ियों से मग़लूब होकर ज़िंदगी के आख़िर तक दबी हुई हालत में फिरूँगा।


अगर यह बात सहीह भी हो कि मैं ग़लत राह पर आ गया हूँ तो मुझे ही इसका नतीजा भुगतना है।


काश तू मुझे पाताल में छुपा देता, मुझे वहाँ उस वक़्त तक पोशीदा रखता जब तक तेरा क़हर ठंडा न हो जाता! काश तू एक वक़्त मुक़र्रर करे जब तू मेरा दुबारा ख़याल करेगा।


मैंने ज़िंदगी को रद्द कर दिया है, अब मैं ज़्यादा देर तक ज़िंदा नहीं रहूँगा। मुझे छोड़, क्योंकि मेरे दिन दम-भर के ही हैं।


क्या तुम समझते हो कि ख़ाली अलफ़ाज़ मामले को हल करेंगे, गो तुम मायूसी में मुब्तला आदमी की बात नज़रंदाज़ करते हो?


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