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یرمیاہ 7:25 - किताबे-मुक़द्दस

25 जब से तुम्हारे बापदादा मिसर से निकल आए आज तक मैं रोज़ बरोज़ और बार बार अपने ख़ादिमों यानी नबियों को तुम्हारे पास भेजता रहा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

25 جِس وقت تمہارے آباؤاَجداد مِصر سے باہر نکلے، تَب سے آج تک ہمیشہ میں اَپنے سَب خادِموں یعنی نبیوں کو تمہارے پاس مسلسل بھیجتا رہا۔

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کِتابِ مُقادّس

25 جب سے تُمہارے باپ دادا مُلکِ مِصرؔ سے نِکل آئے اب تک مَیں نے تُمہارے پاس اپنے سب خادِموں یعنی نبِیوں کو بھیجا۔ مَیں نے اُن کو ہمیشہ بر وقت بھیجا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

25 جب سے تمہارے باپ دادا مصر سے نکل آئے آج تک مَیں روز بہ روز اور بار بار اپنے خادموں یعنی نبیوں کو تمہارے پاس بھیجتا رہا۔

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یرمیاہ 7:25
30 حوالہ جات  

मेरे अलावा रब दीगर तमाम नबियों को भी बार बार तुम्हारे पास भेजता रहा, लेकिन तुमने न सुना, न तवज्जुह दी,


बार बार रब उनके बापदादा का ख़ुदा अपने पैग़ंबरों को उनके पास भेजकर उन्हें समझाता रहा, क्योंकि उसे अपनी क़ौम और सुकूनतगाह पर तरस आता था।


“ऐ आदमज़ाद, मैं तुझे इसराईलियों के पास भेज रहा हूँ, एक ऐसी सरकश क़ौम के पास जिसने मुझसे बग़ावत की है। शुरू से लेकर आज तक वह अपने बापदादा समेत मुझसे बेवफ़ा रहे हैं।


रब फ़रमाता है, “तुम यह शरीर हरकतें करते रहे, और मैं बार बार तुमसे हमकलाम होता रहा, लेकिन तुमने मेरी न सुनी। मैं तुम्हें बुलाता रहा, लेकिन तुम जवाब देने के लिए तैयार न हुए।


इसके बावुजूद वह ताबे न रहे बल्कि सरकश हुए। उन्होंने अपना मुँह तेरी शरीअत से फेर लिया। और जब तेरे नबी उन्हें समझा समझाकर तेरे पास वापस लाना चाहते थे तो उन्होंने बड़े कुफ़र बककर उन्हें क़त्ल कर दिया।


उनकी हरकतों के बावुजूद तू बहुत सालों तक सब्र करता रहा। तेरा रूह उन्हें नबियों के ज़रीए समझाता रहा, लेकिन उन्होंने ध्यान न दिया। तब तूने उन्हें ग़ैरक़ौमों के हवाले कर दिया।


हमारे बापदादा के ज़माने से लेकर आज तक हमारा क़ुसूर संजीदा रहा है। इसी वजह से हम बार बार परदेसी हुक्मरानों के क़ब्ज़े में आए हैं जिन्होंने हमें और हमारे बादशाहों और इमामों को क़त्ल किया, गिरिफ़्तार किया, लूट लिया और हमारी बेहुरमती की। बल्कि आज तक हमारी हालत यही रही है।


याद रख और कभी न भूल कि तूने रेगिस्तान में रब अपने ख़ुदा को किस तरह नाराज़ किया। मिसर से निकलते वक़्त से लेकर यहाँ पहुँचने तक तुम रब से सरकश रहे हो।


इसलिए अल्लाह की हिकमत ने कहा, ‘मैं उनमें नबी और रसूल भेज दूँगी। उनमें से बाज़ को वह क़त्ल करेंगे और बाज़ को सताएँगे।’


उसने अपने नबियों को लोगों के पास भेजा ताकि वह उन्हें समझाकर रब के पास वापस लाएँ। लेकिन कोई भी उनकी बात सुनने के लिए तैयार न हुआ।


क्या मैंने बाग़ के लिए हर मुमकिन कोशिश नहीं की थी? क्या मुनासिब नहीं था कि मैं अच्छी फ़सल की उम्मीद रखूँ? क्या वजह है कि सिर्फ़ छोटे और खट्टे अंगूर निकले?


तुम्हारे बापदादा को मिसर से निकालते वक़्त मैंने उन्हें आगाह किया कि मेरी सुनो। आज तक मैं बार बार यही बात दोहराता रहा,


“23 साल से रब का कलाम मुझ पर नाज़िल होता रहा है यानी यूसियाह बिन अमून की हुकूमत के तेरहवें साल से लेकर आज तक। बार बार मैं तुम्हें पैग़ामात सुनाता रहा हूँ, लेकिन तुमने ध्यान नहीं दिया।


क्यों? इसलिए कि उन्होंने मेरी न सुनी, गो मैं अपने ख़ादिमों यानी नबियों के ज़रीए बार बार उन्हें पैग़ामात भेजता रहा। लेकिन तुमने भी मेरी न सुनी।’ यह रब का फ़रमान है।


यूनदब बिन रैकाब पर ग़ौर करो। उसने अपनी औलाद को मै पीने से मना किया, इसलिए उसका घराना आज तक मै नहीं पीता। यह लोग अपने बाप की हिदायात के ताबे रहते हैं। इसके मुक़ाबले में तुम लोग क्या कर रहे हो? गो मैं बार बार तुमसे हमकलाम हुआ तो भी तुमने मेरी नहीं सुनी।


बार बार मैं अपने नबियों को तुम्हारे पास भेजता रहा ताकि मेरे ख़ादिम तुम्हें आगाह करते रहें कि हर एक अपनी बुरी राह तर्क करके वापस आए! अपना चाल-चलन दुरुस्त करो और अजनबी माबूदों की पैरवी करके उनकी ख़िदमत मत करो! फिर तुम उस मुल्क में रहोगे जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे बापदादा को बख़्श दिया था। लेकिन तुमने न तवज्जुह दी, न मेरी सुनी।


बार बार मैं नबियों को उनके पास भेजता रहा, और बार बार मेरे ख़ादिम कहते रहे कि ऐसी घिनौनी हरकतें मत करना, क्योंकि मुझे इनसे नफ़रत है!


मैं बार बार नबियों की मारिफ़त तुमसे हमकलाम हुआ, मैंने उन्हें मुतअद्दिद रोयाएँ दिखाईं और उनके ज़रीए तुम्हें तमसीलें सुनाईं।”


मैं ही ने तुम्हारे बेटों में से नबी बरपा किए, और मैं ही ने तुम्हारे नौजवानों में से कुछ चुन लिए ताकि अपनी ख़िदमत के लिए मख़सूस करूँ।” रब फ़रमाता है, “ऐ इसराईलियो, क्या ऐसा नहीं था?


अपने बापदादा के ज़माने से लेकर आज तक तुमने मेरे अहकाम से दूर रहकर उन पर ध्यान नहीं दिया। रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि मेरे पास वापस आओ! तब मैं भी तुम्हारे पास वापस आऊँगा। लेकिन तुम एतराज़ करते हो, ‘हम क्यों वापस आएँ, हमसे क्या सरज़द हुआ है?’


लेकिन मेरी क़ौम मुझे तर्क करने पर तुली हुई है। जब उसे ऊपर अल्लाह की तरफ़ देखने को कहा जाए तो उसमें से कोई भी उस तरफ़ रुजू नहीं करता।


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