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یرمیاہ 7:24 - किताबे-मुक़द्दस

24 लेकिन उन्होंने मेरी न सुनी, न ध्यान दिया बल्कि अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने लगे। उन्होंने मेरी तरफ़ रुजू न किया बल्कि अपना मुँह मुझसे फेर लिया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

24 پھر بھی اُنہُوں نے نہ تو میرے حُکموں پر عَمل کیا اَور نہ ہی اُن کی طرف غور کیا؛ بَلکہ اَپنی مصلحتوں اَور بُرے دِلوں کی ضِد پر چلے اَور آگے بڑھنے کی بجائے برگشتہ ہو گئے۔

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کِتابِ مُقادّس

24 لیکن اُنہوں نے نہ سُنا نہ کان لگایا بلکہ اپنی مصلحتوں اور اپنے بُرے دِل کی سختی پر چلے اور برگشتہ ہُوئے اور آگے نہ بڑھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

24 لیکن اُنہوں نے میری نہ سنی، نہ دھیان دیا بلکہ اپنے شریر دل کی ضد کے مطابق زندگی گزارنے لگے۔ اُنہوں نے میری طرف رجوع نہ کیا بلکہ اپنا منہ مجھ سے پھیر لیا۔

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یرمیاہ 7:24
37 حوالہ جات  

तो फिर यरूशलम के यह लोग सहीह राह से बार बार क्यों भटक जाते हैं? यह फ़रेब के साथ लिपटे रहते और वापस आने से इनकार ही करते हैं।


तो भी उन्होंने न मेरी सुनी, न तवज्जुह दी। वह बज़िद रहे बल्कि अपने बापदादा की निसबत ज़्यादा बुरे थे।


तुम सबने वह लानतें सुनी हैं जो रब नाफ़रमानों पर भेजेगा। तो भी हो सकता है कि कोई अपने आपको रब की बरकत का वारिस समझकर कहे, ‘बेशक मैं अपनी ग़लत राहों से हटने के लिए तैयार नहीं हूँ, लेकिन कोई बात नहीं। मैं महफ़ूज़ रहूँगा।’ ख़बरदार, ऐसी हरकत से वह न सिर्फ़ अपने ऊपर बल्कि पूरे मुल्क पर तबाही लाएगा।


लेकिन रेगिस्तान में भी इसराईली मुझसे बाग़ी हुए। उन्होंने मेरी हिदायात के मुताबिक़ ज़िंदगी न गुज़ारी बल्कि मेरे अहकाम को मुस्तरद कर दिया, हालाँकि इनसान उनकी पैरवी करने से ही जीता रहता है। उन्होंने सबत की भी बड़ी बेहुरमती की। यह देखकर मैं अपना ग़ज़ब उन पर नाज़िल करके उन्हें वहीं रेगिस्तान में हलाक करना चाहता था।


उन्होंने अपना मुँह मुझसे फेरकर मेरी तरफ़ रुजू करने से इनकार किया है। गो मैं उन्हें बार बार तालीम देता रहा तो भी वह सुनने या मेरी तरबियत क़बूल करने के लिए तैयार नहीं थे।


इसराईल तो ज़िद्दी गाय की तरह अड़ गया है। तो फिर रब उन्हें किस तरह सब्ज़ाज़ार में भेड़ के बच्चों की तरह चरा सकता है?


लेकिन यह बच्चे भी मुझसे बाग़ी हुए। न उन्होंने मेरी हिदायात के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारी, न एहतियात से मेरे अहकाम पर अमल किया, हालाँकि इनसान उनकी पैरवी करने से ही जीता रहता है। उन्होंने मेरे सबत के दिनों की भी बेहुरमती की। यह देखकर मैं अपना ग़ुस्सा उन पर नाज़िल करके उन्हें वहीं रेगिस्तान में तबाह करना चाहता था।


लेकिन वह मुझसे बाग़ी हुए और मेरी सुनने के लिए तैयार न थे। किसी ने भी अपने बुतों को न फेंका बल्कि वह इन घिनौनी चीज़ों से लिपटे रहे और मिसरी देवताओं को तर्क न किया। यह देखकर मैं वहीं मिसर में अपना ग़ज़ब उन पर नाज़िल करना चाहता था। उसी वक़्त मैं अपना ग़ुस्सा उन पर उतारना चाहता था।


रब फ़रमाता है, “तूने मुझे रद्द किया, अपना मुँह मुझसे फेर लिया है। अब मैं अपना हाथ तेरे ख़िलाफ़ बढ़ाकर तुझे तबाह कर दूँगा। क्योंकि मैं हमदर्दी दिखाते दिखाते तंग आ गया हूँ।


क्योंकि उस वक़्त यरूशलम ‘रब का तख़्त’ कहलाएगा, और उसमें तमाम अक़वाम रब के नाम की ताज़ीम में जमा हो जाएँगी। तब वह अपने शरीर और ज़िद्दी दिलों के मुताबिक़ ज़िंदगी नहीं गुज़ारेंगी।


यह लोग लकड़ी के बुत से कहते हैं, ‘तू मेरा बाप है’ और पत्थर के देवता से, ‘तूने मुझे जन्म दिया।’ लेकिन गो यह मेरी तरफ़ रुजू नहीं करते बल्कि अपना मुँह मुझसे फेरकर चलते हैं तो भी ज्योंही कोई आफ़त उन पर आ जाए तो यह मुझसे इल्तिजा करने लगते हैं कि आकर हमें बचा!


तू उन्हें समझाता रहा ताकि वह दुबारा तेरी शरीअत की तरफ़ रुजू करें, लेकिन वह मग़रूर थे और तेरे अहकाम के ताबे न हुए। उन्होंने तेरी हिदायात की ख़िलाफ़वरज़ी की, हालाँकि इन्हीं पर चलने से इनसान को ज़िंदगी हासिल होती है। लेकिन उन्होंने परवा न की बल्कि अपना मुँह तुझसे फेरकर अड़ गए और सुनने के लिए तैयार न हुए।


क्योंकि तुमने मेरी हिदायात को रद्द करके मेरे अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी न गुज़ारी बल्कि सबत के दिन की भी बेहुरमती की। अभी तक तुम्हारे दिल बुतों से लिपटे रहते हैं।”


जो मुझे हक़ीर जानते हैं उन्हें वह बताते रहते हैं, ‘रब फ़रमाता है कि हालात सहीह-सलामत रहेंगे।’ जो अपने दिलों की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं, उन सबको वह तसल्ली देकर कहते हैं, ‘तुम पर आफ़त नहीं आएगी।’


इसके बजाए वह अपने ज़िद्दी दिलों की पैरवी करके बाल देवताओं के पीछे लग गए हैं। उन्होंने वही कुछ किया जो उनके बापदादा ने उन्हें सिखाया था।”


क्योंकि जिस तरह लँगोटी आदमी की कमर के साथ लिपटी रहती है उसी तरह मैंने पूरे इसराईल और पूरे यहूदाह को अपने साथ लिपटने का मौक़ा फ़राहम किया ताकि वह मेरी क़ौम और मेरी शोहरत, तारीफ़ और इज़्ज़त का बाइस बन जाएँ। लेकिन अफ़सोस, वह सुनने के लिए तैयार नहीं थे।” यह रब का फ़रमान है।


लेकिन तुम अपने बापदादा की निसबत कहीं ज़्यादा ग़लत काम करते हो। देखो, मेरी कोई नहीं सुनता बल्कि हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारता है।


लेकिन उन्होंने मेरी न सुनी, न तवज्जुह दी बल्कि अपने मौक़िफ़ पर अड़े रहे और न मेरी सुनी, न मेरी तरबियत क़बूल की।


लेकिन अफ़सोस, कई दफ़ा यह क़ौम मेरी नहीं सुनती बल्कि ऐसा काम करने लगती है जो मुझे नापसंद है। इस सूरत में मैं पछताकर उस पर वह मेहरबानी नहीं करता जिसका एलान मैंने किया था।


लेकिन अफ़सोस, यह एतराज़ करेंगे, ‘दफ़ा करो! हम अपने ही मनसूबे जारी रखेंगे। हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ही ज़िंदगी गुज़ारेगा’।”


बार बार मैं अपने नबियों को तुम्हारे पास भेजता रहा ताकि मेरे ख़ादिम तुम्हें आगाह करते रहें कि हर एक अपनी बुरी राह तर्क करके वापस आए! अपना चाल-चलन दुरुस्त करो और अजनबी माबूदों की पैरवी करके उनकी ख़िदमत मत करो! फिर तुम उस मुल्क में रहोगे जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे बापदादा को बख़्श दिया था। लेकिन तुमने न तवज्जुह दी, न मेरी सुनी।


हाँ, बछड़े को मुल्के-असूर में ले जाकर शहनशाह को ख़राज के तौर पर पेश किया जाएगा। इसराईल की रुसवाई हो जाएगी, वह अपने मनसूबे के बाइस शरमिंदा हो जाएगा।


तू इसराईल के बादशाहों उमरी और अख़ियब के नमूने पर चल पड़ा है, आज तक उन्हीं के मनसूबों की पैरवी करता आया है। इसलिए मैं तुझे तबाही के हवाले कर दूँगा, तेरे लोगों को मज़ाक़ का निशाना बनाऊँगा। तुझे दीगर अक़वाम की लान-तान बरदाश्त करनी पड़ेगी।”


काश मेरी क़ौम सुने, इसराईल मेरी राहों पर चले!


लेकिन लाज़िम है कि तू अपना क़ुसूर तसलीम करे। इक़रार कर कि मैं रब अपने ख़ुदा से सरकश हुई। मैं इधर-उधर घूमकर हर घने दरख़्त के साये में अजनबी माबूदों की पूजा करती रही, मैंने रब की न सुनी’।” यह रब का फ़रमान है।


रब फ़रमाता है, “रास्तों के पास खड़े होकर उनका मुआयना करो! क़दीम राहों की तफ़तीश करके पता करो कि उनमें से कौन-सी अच्छी है, फिर उस पर चलो। तब तुम्हारी जान को सुकून मिलेगा। लेकिन अफ़सोस, तुम इनकार करके कहते हो, नहीं, हम यह राह इख़्तियार नहीं करेंगे!


यह ख़राब लोग मेरी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं बल्कि अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं। अजनबी माबूदों के पीछे लगकर यह उन्हीं की ख़िदमत और पूजा करते हैं। लेकिन इनका अंजाम लँगोटी की मानिंद ही होगा। यह बेकार हो जाएंगे।


दिल हद से ज़्यादा फ़रेबदेह है, और उसका इलाज नामुमकिन है। कौन उसका सहीह इल्म रखता है?


मैंने तुझे उस वक़्त आगाह किया था जब तू सुकून से ज़िंदगी गुज़ार रही थी, लेकिन तूने कहा, ‘मैं नहीं सुनूँगी।’ तेरी जवानी से ही तेरा यही रवैया रहा। उस वक़्त से लेकर आज तक तूने मेरी नहीं सुनी।


लेकिन जब हमारे बापदादा ने मुल्क में दाख़िल होकर उस पर क़ब्ज़ा किया तो उन्होंने न तेरी सुनी, न तेरी शरीअत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारी। जो कुछ भी तूने उन्हें करने को कहा था उस पर उन्होंने अमल न किया। नतीजे में तू उन पर यह आफ़त लाया।


हमने नबियों की नहीं सुनी, हालाँकि तेरे ख़ादिम तेरा नाम लेकर हमारे बादशाहों, बुज़ुर्गों, बापदादा बल्कि मुल्क के तमाम बाशिंदों से मुख़ातिब हुए।


जब तुम्हारे बापदादा ने यह कुछ सुना तो वह इस पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं थे बल्कि अकड़ गए। उन्होंने अपना मुँह दूसरी तरफ़ फेरकर अपने कानों को बंद किए रखा।


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