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یرمیاہ 6:26 - किताबे-मुक़द्दस

26 ऐ मेरी क़ौम, टाट का लिबास पहनकर राख में लोट-पोट हो जा। यों मातम कर जिस तरह इकलौता बेटा मर गया हो। ज़ोर से वावैला कर, क्योंकि अचानक ही हलाकू हम पर छापा मारेगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

26 اَے میری قوم، ٹاٹ پہنو، اَور راکھ میں لیٹ جاؤ؛ جَیسا اِکلوتے بیٹے پر ماتم کرتے ہو اُسی طرح دلخراش ماتم کرو، کیونکہ تباہی اَچانک ہم پر ٹوٹ پڑےگی۔

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کِتابِ مُقادّس

26 اَے میری بِنتِ قَوم! ٹاٹ اُوڑھ اور راکھ میں لیٹ۔ اپنے اِکلوتوں پر ماتم اور دِل خراش نَوحہ کر کیونکہ غارت گر ہم پر اچانک آئے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

26 اے میری قوم، ٹاٹ کا لباس پہن کر راکھ میں لوٹ پوٹ ہو جا۔ یوں ماتم کر جس طرح اکلوتا بیٹا مر گیا ہو۔ زور سے واویلا کر، کیونکہ اچانک ہی ہلاکو ہم پر چھاپہ مارے گا۔

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یرمیاہ 6:26
42 حوالہ جات  

मैं दाऊद के घराने और यरूशलम के बाशिंदों पर मेहरबानी और इलतमास का रूह उंडेलूँगा। तब वह मुझ पर नज़र डालेंगे जिसे उन्होंने छेदा है, और वह उसके लिए ऐसा मातम करेंगे जैसे अपने इकलौते बेटे के लिए, उसके लिए ऐसा शदीद ग़म खाएँगे जिस तरह अपने पहलौठे के लिए।


चुनाँचे टाट का लिबास पहनकर आहो-ज़ारी करो, क्योंकि रब का सख़्त ग़ज़ब अब तक हम पर नाज़िल हो रहा है।”


दौलतमंदो, अब मेरी बात सुनें! ख़ूब रोएँ और गिर्याओ-ज़ारी करें, क्योंकि आप पर मुसीबत आनेवाली है।


अफ़सोस करें, मातम करें, ख़ूब रोएँ। आपकी हँसी मातम में बदल जाए और आपकी ख़ुशी मायूसी में।


जब वह शहर के दरवाज़े के क़रीब पहुँचा तो एक जनाज़ा निकला। जो नौजवान फ़ौत हुआ था उस की माँ बेवा थी और वह उसका इकलौता बेटा था। माँ के साथ शहर के बहुत-से लोग चल रहे थे।


मैं तुम्हारे तहवारों को मातम में और तुम्हारे गीतों को आहो-बुका में बदल दूँगा। मैं सबको टाट के मातमी लिबास पहनाकर हर एक का सर मुँडवाऊँगा। लोग यों मातम करेंगे जैसा उनका वाहिद बेटा कूच कर गया हो। अंजाम का वह दिन कितना तलख़ होगा।”


जब मेरी क़ौम तबाह हुई तो इतना सख़्त काल पड़ गया कि नरमदिल माओं ने भी अपने बच्चों को पकाकर खा लिया।


मेरी क़ौम से सदूम की निसबत कहीं ज़्यादा संगीन गुनाह सरज़द हुआ है। और सदूम का क़ुसूर इतना संगीन था कि वह एक ही लमहे में तबाह हुआ। किसी ने भी मुदाख़लत न की।


गो गीदड़ भी अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं, लेकिन मेरी क़ौम रेगिस्तान में रहनेवाले उक़ाबी उल्लू जैसी ज़ालिम हो गई है।


आँसू मेरी आँखों से टपक टपककर नदियाँ बन गए हैं, मैं इसलिए रो रहा हूँ कि मेरी क़ौम तबाह हो गई है।


मेरी आँखें रो रोकर थक गई हैं, शदीद दर्द ने मेरे दिल को बेहाल कर दिया है। क्योंकि मेरी क़ौम नेस्त हो गई है। शहर के चौकों में बच्चे पज़मुरदा हालत में फिर रहे हैं, शीरख़ार बच्चे ग़श खा रहे हैं। यह देखकर मेरा कलेजा फट रहा है।


इसलिए मैं रो रही हूँ, मेरी आँखों से आँसू टपकते रहते हैं। क्योंकि क़रीब कोई नहीं है जो मुझे तसल्ली देकर मेरी जान को तरो-ताज़ा करे। मेरे बच्चे तबाह हैं, क्योंकि दुश्मन ग़ालिब आ गया है।”


रात को वह रो रोकर गुज़ारती है, उसके गाल आँसुओं से तर रहते हैं। आशिक़ों में से कोई नहीं रहा जो उसे तसल्ली दे। दोस्त सबके सब बेवफ़ा होकर उसके दुश्मन बन गए हैं।


उस की बेवाएँ समुंदर की रेत जैसी बेशुमार होंगी। दोपहर के वक़्त ही मैं नौजवानों की माओं पर तबाही नाज़िल करूँगा, अचानक ही उन पर पेचो-ताब और दहशत छा जाएगी।


ऐ यरमियाह, उन्हें यह कलाम सुना, ‘दिन-रात मेरे आँसू बह रहे हैं। वह रुक नहीं सकते, क्योंकि मेरी क़ौम, मेरी कुँवारी बेटी को गहरी चोट लग गई है, ऐसा ज़ख़म जो भर नहीं सकता।


लेकिन अगर तुम न सुनो तो मैं तुम्हारे तकब्बुर को देखकर पोशीदगी में गिर्याओ-ज़ारी करूँगा। मैं ज़ार ज़ार रोऊँगा, मेरी आँखों से आँसू ज़ोर से टपकेंगे, क्योंकि दुश्मन रब के रेवड़ को पकड़कर जिलावतन कर देगा।


तबाहकुन फ़ौजी बयाबान की बंजर बुलंदियों पर से उतरकर क़रीब पहुँच रहे हैं। क्योंकि रब की तलवार मुल्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सब कुछ खा जाएगी। कोई भी नहीं बचेगा।


मैं पहाड़ों के बारे में आहो-ज़ारी करूँगा, बयाबान की चरागाहों पर मातम का गीत गाऊँगा। क्योंकि वह यों तबाह हो गए हैं कि न कोई उनमें से गुज़रता, न रेवड़ों की आवाज़ें उनमें सुनाई देती हैं। परिंदे और जानवर सब भागकर चले गए हैं।


मेरी क़ौम की मुकम्मल तबाही देखकर मेरा दिल टूट गया है। मैं मातम कर रहा हूँ, क्योंकि उस की हालत इतनी बुरी है कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं।


सुनो! मेरी क़ौम दूर-दराज़ मुल्क से चीख़ चीख़कर मदद के लिए आवाज़ दे रही है। लोग पूछते हैं, “क्या रब सिय्यून में नहीं है, क्या यरूशलम का बादशाह अब से वहाँ सुकूनत नहीं करता?” “सुनो, उन्होंने अपने मुजस्समों और बेकार अजनबी बुतों की पूजा करके मुझे क्यों तैश दिलाया?”


वह मेरी क़ौम के ज़ख़म पर आरिज़ी मरहम-पट्टी लगाकर कहते हैं, अब सब कुछ ठीक हो गया है, अब सलामती का दौर आ गया है हालाँकि सलामती है ही नहीं।


यके बाद दीगरे शिकस्तों की ख़बरें मिल रही हैं, चारों तरफ़ मुल्क की तबाही हुई है। अचानक ही मेरे तंबू बरबाद हैं, एक ही लमहे में मेरे ख़ैमे ख़त्म हो गए हैं।


उस वक़्त इस क़ौम और यरूशलम को इत्तला दी जाएगी, “रेगिस्तान के बंजर टीलों से सब कुछ झुलसानेवाली लू मेरी क़ौम के पास आ रही है। और यह गंदुम को फटककर भूसे से अलग करनेवाली मुफ़ीद हवा नहीं होगी


ऐ बेपरवा औरतो, लरज़ उठो! ऐ बेटियो जो अपने आपको महफ़ूज़ समझती हो, थरथराओ! अपने अच्छे कपड़ों को उतारकर टाट के लिबास पहन लो।


अब यह गुनाह तुम्हारे लिए उस ऊँची दीवार की मानिंद होगा जिसमें दराड़ें पड़ गई हैं। दराड़ें फैलती हैं और दीवार बैठी जाती है। फिर अचानक एक ही लमहे में वह धड़ाम से ज़मीनबोस हो जाती है।


उस वक़्त क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज ने हुक्म दिया कि गिर्याओ-ज़ारी करो, अपने बालों को मुँडवाकर टाट का लिबास पहन लो।


इसलिए मैंने कहा, “अपना मुँह मुझसे फेरकर मुझे ज़ार ज़ार रोने दो। मुझे तसल्ली देने पर बज़िद न रहो जबकि मेरी क़ौम तबाह हो रही है।”


कोई 300 फ़ुट दूर बैठ गई। क्योंकि उसने दिल में कहा, “मैं उसे मरते नहीं देख सकती।” वह वहाँ बैठकर रोने लगी।


तब अय्यूब राख में बैठ गया और ठीकरे से अपनी जिल्द को खुरचने लगा।


काश मेरा सर पानी का मंबा और मेरी आँखें आँसुओं का चश्मा हों ताकि मैं दिन-रात अपनी क़ौम के मक़तूलों पर आहो-ज़ारी कर सकूँ।


अचानक उन पर जंगी दस्ते ला ताकि उनके घरों से चीख़ों की आवाज़ें बुलंद हों। क्योंकि उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए गढ़ा खोदा है, उन्होंने मेरे पाँवों को फँसाने के लिए मेरे रास्ते में फंदे छुपा रखे हैं।


उसने मेरे दाँतों को बजरी चबाने दी, मुझे कुचलकर ख़ाक में मिला दिया।


जब यूनुस का पैग़ाम नीनवा के बादशाह तक पहुँचा तो उसने तख़्त पर से उतरकर अपने शाही कपड़ों को उतार दिया और टाट ओढ़कर ख़ाक में बैठ गया।


दहशतनाक आवाज़ें उसके कानों में गूँजती रहती हैं, और अमनो-अमान के वक़्त ही तबाही मचानेवाला उस पर टूट पड़ता है।


ख़ुशबू की बजाए बदबू होगी, कमरबंद के बजाए रस्सी, सुलझे हुए बालों के बजाए गंजापन, शानदार लिबास के बजाए टाट, ख़ूबसूरती की बजाए शरमिंदगी।


“रब फ़रमाता है, ‘ख़ौफ़ज़दा चीख़ें सुनाई दे रही हैं। अमन का नामो-निशान तक नहीं बल्कि चारों तरफ़ दहशत ही दहशत फैली हुई है।


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