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یرمیاہ 51:55 - किताबे-मुक़द्दस

55 क्योंकि रब बाबल को बरबाद कर रहा, वह उसका शोर-शराबा बंद कर रहा है। दुश्मन की लहरें मुतलातिम समुंदर की तरह उस पर चढ़ रही हैं, उनकी गरजती आवाज़ फ़िज़ा में गूँज रही है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

55 یَاہوِہ بابیل کو تباہ کر دیں گے؛ وہ اُس کے شور و غُل کو خاموش کر دیں گے۔ دُشمن ٹھاٹھیں مارتے ہُوئے سمُندر کی طرح آگے بڑھےگا؛ اَور اُن کی صدائیں گونجیں گی۔

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کِتابِ مُقادّس

55 کیونکہ خُداوند بابل کو غارت کرتا ہے اور اُس کے بڑے شور و غُل کو نیست کرے گا۔ اُن کی لہریں سمُندر کی طرح شور مچاتی ہیں۔ اُن کے شور کی آواز بُلند ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

55 کیونکہ رب بابل کو برباد کر رہا، وہ اُس کا شور شرابہ بند کر رہا ہے۔ دشمن کی لہریں متلاطم سمندر کی طرح اُس پر چڑھ رہی ہیں، اُن کی گرجتی آواز فضا میں گونج رہی ہے۔

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یرمیاہ 51:55
18 حوالہ جات  

मैं उनके दरमियान ख़ुशीओ-शादमानी और दूल्हे दुलहन की आवाज़ें बंद कर दूँगा। चक्कियाँ ख़ामोश पड़ जाएँगी और चराग़ बुझ जाएंगे।


फिर फ़रिश्ते ने मुझसे कहा, “जिस पानी के पास तूने कसबी को बैठी देखा वह उम्मतें, हुजूम, क़ौमें और ज़बानें है।


सूरज, चाँद और सितारों में अजीबो-ग़रीब निशान ज़ाहिर होंगे। क़ौमें समुंदर के शोर और ठाठें मारने से हैरानो-परेशान होंगी।


जवाब में रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ सूर, मैं तुझसे निपट लूँगा! मैं मुतअद्दिद क़ौमों को तेरे ख़िलाफ़ भेजूँगा। समुंदर की ज़बरदस्त मौजों की तरह वह तुझ पर टूट पड़ेंगी।


समुंदर बाबल पर चढ़ आया है, उस की गरजती लहरों ने उसे ढाँप लिया है।


“ऐ बाबलियों की बेटी, चुपके से बैठ जा! तारीकी में छुप जा! आइंदा तू ‘ममालिक की मलिका’ नहीं कहलाएगी।


क्योंकि ग़ैरक़ौमें पहाड़नुमा लहरों की तरह मुतलातिम हैं। लेकिन रब उन्हें डाँटेगा तो वह दूर दूर भाग जाएँगी। जिस तरह पहाड़ों पर भूसा हवा के झोंकों से उड़ जाता और लुढ़कबूटी आँधी में चक्कर खाने लगती है उसी तरह वह फ़रार हो जाएँगी।


मोआब के बारे में रब का फ़रमान : एक ही रात में मोआब का शहर आर तबाह हो गया है। एक ही रात में मोआब का शहर क़ीर बरबाद हो गया है।


तू मुतलातिम समुंदरों को थमा देता है, तू उनकी गरजती लहरों और उम्मतों का शोर-शराबा ख़त्म कर देता है।


मौत के रस्सों ने मुझे घेर लिया, हलाकत के सैलाब ने मेरे दिल पर दहशत तारी की।


मैं गहरी दलदल में धँस गया हूँ, कहीं पाँव जमाने की जगह नहीं मिलती। मैं पानी की गहराइयों में आ गया हूँ, सैलाब मुझ पर ग़ालिब आ गया है।


अगर रब हमारे साथ न होता जब लोग हमारे ख़िलाफ़ उठे


फिर सैलाब हम पर टूट पड़ता, नदी का तेज़ धारा हम पर ग़ालिब आ जाता


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