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یرمیاہ 5:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 “मैं तुझे कैसे मुआफ़ करूँ? तेरी औलाद ने मुझे तर्क करके उनकी क़सम खाई है जो ख़ुदा नहीं हैं। गो मैंने उनकी हर ज़रूरत पूरी की तो भी उन्होंने ज़िना किया, चकले के सामने उनकी लंबी क़तारें लगी रहीं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 ”میں تُمہیں کیوں مُعاف کروں؟ تمہارے فرزندوں نے مُجھے ترک کر دیا ہے اَور اَیسے معبُودوں کی قَسم کھائی جو خُدا نہیں ہیں۔ جَب مَیں نے اُن کی تمام ضروریات پُوری کیں، تَب بھی اُنہُوں نے زناکاری کی اَور قحبہ خانوں میں مجمع لگا دیا۔

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کِتابِ مُقادّس

7 مَیں تُجھے کیونکر مُعاف کرُوں؟ تیرے فرزندوں نے مُجھ کو چھوڑا اور اُن کی قَسم کھائی جو خُدا نہیں ہیں۔ جب مَیں نے اُن کو سیر کِیا تو اُنہوں نے بدکاری کی اور پرے باندھ کر قحبہ خانوں میں اِکٹّھے ہُوئے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 ”مَیں تجھے کیسے معاف کروں؟ تیری اولاد نے مجھے ترک کر کے اُن کی قَسم کھائی ہے جو خدا نہیں ہیں۔ گو مَیں نے اُن کی ہر ضرورت پوری کی توبھی اُنہوں نے زنا کیا، چکلے کے سامنے اُن کی لمبی قطاریں لگی رہیں۔

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یرمیاہ 5:7
39 حوالہ جات  

माज़ी में जब आप अल्लाह को नहीं जानते थे तो आप उनके ग़ुलाम थे जो हक़ीक़त में ख़ुदा नहीं हैं।


क्या किसी क़ौम ने कभी अपने देवताओं को तबदील किया, गो वह हक़ीक़त में ख़ुदा नहीं हैं? हरगिज़ नहीं! लेकिन मेरी क़ौम अपनी शानो-शौकत के ख़ुदा को छोड़कर बेफ़ायदा बुतों की पूजा करने लगी है।”


उन दीगर क़ौमों से रिश्ता मत बाँधना जो अब तक मुल्क में बाक़ी रह गई हैं। उनके बुतों के नाम अपनी ज़बान पर न लाना, न उनके नाम लेकर क़सम खाना। न उनकी ख़िदमत करना, न उन्हें सिजदा करना।


उन्होंने उस की परस्तिश से जो ख़ुदा नहीं है मेरी ग़ैरत को जोश दिलाया, अपने बेकार बुतों से मुझे ग़ुस्सा दिलाया है। चुनाँचे मैं ख़ुद ही उन्हें ग़ैरत दिलाऊँगा, एक ऐसी क़ौम के ज़रीए जो हक़ीक़त में क़ौम नहीं है। एक नादान क़ौम के ज़रीए मैं उन्हें ग़ुस्सा दिलाऊँगा।


न उनका जो छतों पर सूरज, चाँद बल्कि आसमान के पूरे लशकर को सिजदा करते हैं, जो रब की क़सम खाने के साथ साथ मिलकूम देवता की भी क़सम खाते हैं।


बुतों की क़ुरबानी खाने के ज़िम्न में हम जानते हैं कि दुनिया में बुत कोई चीज़ नहीं और कि रब के सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है।


यह मुल्क ज़िनाकारों से भरा हुआ है, इसलिए उस पर अल्लाह की लानत है। ज़मीन झुलस गई है, बयाबान की चरागाहों की हरियाली मुरझा गई है। नबी ग़लत राह पर दौड़ रहे हैं, और जिसमें वह ताक़तवर हैं वह ठीक नहीं।


लेकिन जब यसूरून मोटा हो गया तो वह दोलत्तियाँ झाड़ने लगा। जब वह हलक़ तक भरकर तनोमंद और फ़रबा हुआ तो उसने अपने ख़ुदा और ख़ालिक़ को रद्द किया, उसने अपनी नजात की चट्टान को हक़ीर जाना।


बेवफ़ा लोगो! क्या आपको नहीं मालूम कि दुनिया का दोस्त अल्लाह का दुश्मन होता है? जो दुनिया का दोस्त बनना चाहता है वह अल्लाह का दुश्मन बन जाता है।


पहले उन दीगर क़ौमों ने मेरी क़ौम को बाल देवता की क़सम खाने का तर्ज़ सिखाया। लेकिन अब अगर वह मेरी क़ौम की राहें अच्छी तरह सीखकर मेरे ही नाम और मेरी ही हयात की क़सम खाएँ तो मेरी क़ौम के दरमियान रहकर अज़ सरे-नौ क़ायम हो जाएँगी।


क्या आप नहीं जानते कि नाइनसाफ़ अल्लाह की बादशाही मीरास में नहीं पाएँगे? फ़रेब न खाएँ! हरामकार, बुतपरस्त, ज़िनाकार, हमजिंसपरस्त, लौंडेबाज़,


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मैं तुम्हारी अदालत करने के लिए तुम्हारे पास आऊँगा। जल्द ही मैं उनके ख़िलाफ़ गवाही दूँगा जो मेरा ख़ौफ़ नहीं मानते, जो जादूगर और ज़िनाकार हैं, जो झूटी क़सम खाते, मज़दूरों का हक़ मारते, बेवाओं और यतीमों पर ज़ुल्म करते और अजनबियों का हक़ मारते हैं।


जो इस वक़्त सामरिया के मकरूह बुत की क़सम खाते और कहते हैं, ‘ऐ दान, तेरे देवता की हयात की क़सम’ या ‘ऐ बैर-सबा, तेरे देवता की क़सम!’ वह उस वक़्त गिर जाएंगे और दुबारा कभी नहीं उठेंगे।”


वहाँ उन्हें अच्छी ख़ुराक मिली। लेकिन जब वह जी भरकर खा सके और सेर हुए तो मग़रूर होकर मुझे भूल गए।


ऐ इसराईल, मैं तुझे किस तरह छोड़ सकता हूँ? मैं तुझे किस तरह दुश्मन के हवाले कर सकता, किस तरह अदमा की तरह दूसरों के क़ब्ज़े में छोड़ सकता, किस तरह ज़बोईम की तरह तबाह कर सकता हूँ? मेरा इरादा सरासर बदल गया है, मैं तुझ पर शफ़क़त करने के लिए बेचैन हूँ।


सबके सब ज़िनाकार हैं। वह उस तपते तनूर की मानिंद हैं जो इतना गरम है कि नानबाई को उसे मज़ीद छेड़ने की ज़रूरत नहीं। अगर वह आटा गूँधकर उसके ख़मीर होने तक इंतज़ार भी करे तो भी तनूर इतना गरम रहता है कि रोटी पक जाएगी।


कोसना, झूट बोलना, चोरी और ज़िना करना आम हो गया है। रोज़ बरोज़ क़त्लो-ग़ारत की नई ख़बरें मिलती रहती हैं।


एक अपने पड़ोसी की बीवी से ज़िना करता है जबकि दूसरा अपनी बहू की बेहुरमती और तीसरा अपनी सगी बहन की इसमतदरी करता है।


मैंने पहाड़ी और मैदानी इलाक़ों में तेरी घिनौनी हरकतों पर ख़ूब ध्यान दिया है। तेरी ज़िनाकारी, तेरा मस्ताना हिनहिनाना, तेरी बेशर्म इसमतफ़रोशी, सब कुछ मुझे नज़र आता है। ऐ यरूशलम, तुझ पर अफ़सोस! तू पाक-साफ़ हो जाने के लिए तैयार नहीं। मज़ीद कितनी देर लगेगी?”


काश रेगिस्तान में कहीं मुसाफ़िरों के लिए सराय हो ताकि मैं अपनी क़ौम को छोड़कर वहाँ चला जाऊँ। क्योंकि सब ज़िनाकार, सब ग़द्दारों का जत्था हैं।


मैंने सोचा, काश मैं तेरे साथ बेटों का-सा सुलूक करके तुझे एक ख़ुशगवार मुल्क दे सकूँ, एक ऐसी मीरास जो दीगर अक़वाम की निसबत कहीं शानदार हो। मैं समझा कि तुम मुझे अपना बाप ठहराकर अपना मुँह मुझसे नहीं फेरोगे।


ऐ मौजूदा नसल, रब के कलाम पर ध्यान दो! क्या मैं इसराईल के लिए रेगिस्तान या तारीकतरीन इलाक़े की मानिंद था? मेरी क़ौम क्यों कहती है, ‘अब हम आज़ादी से इधर-उधर फिर सकते हैं, आइंदा हम तेरे हुज़ूर नहीं आएँगे?’


किसी चोर को देखते ही तू उसका साथ देता है, तू ज़िनाकारों से रिफ़ाक़त रखता है।


अगर किसी मर्द ने किसी की बीवी के साथ ज़िना किया है तो दोनों को सज़ाए-मौत देनी है।


लाज़िम है कि सबके सब इज़दिवाजी ज़िंदगी का एहतराम करें। शौहर और बीवी एक दूसरे के वफ़ादार रहें, क्योंकि अल्लाह ज़िनाकारों और शादी का बंधन तोड़नेवालों की अदालत करेगा।


लेकिन आपने रब के इमामों यानी हारून की औलाद को लावियों समेत मुल्क से निकालकर उनकी जगह ऐसे पुजारी ख़िदमत के लिए मुक़र्रर किए जैसे बुतपरस्त क़ौमों में पाए जाते हैं। जो भी चाहता है कि उसे मख़सूस करके इमाम बनाया जाए उसे सिर्फ़ एक जवान बैल और सात मेंढे पेश करने की ज़रूरत है। यह इन नाम-निहाद ख़ुदाओं का पुजारी बनने के लिए काफ़ी है।


तुम चोर, क़ातिल और ज़िनाकार हो। नीज़ तुम झूटी क़सम खाते, बाल देवता के हुज़ूर बख़ूर जलाते और अजनबी माबूदों के पीछे लग जाते हो, ऐसे देवताओं के पीछे जिनसे तुम पहले वाक़िफ़ नहीं थे।


उन्हें जवाब दे, ‘वजह यह है कि तुम्हारे बापदादा ने मुझे तर्क कर दिया। वह मेरी शरीअत के ताबे न रहे बल्कि मुझे छोड़कर अजनबी माबूदों के पीछे लग गए और उन्हीं की ख़िदमत और पूजा करने लगे।


इनसान किस तरह अपने लिए ख़ुदा बना सकता है? उसके बुत तो ख़ुदा नहीं हैं।”


हम इक़रार करें, “हम बेवफ़ा होकर सरकश हो गए हैं, और तूने हमें मुआफ़ नहीं किया।


ऐसे गुनाह की आग पाताल तक सब कुछ भस्म कर देती है। अगर वह मुझसे सरज़द होता तो मेरी तमाम फ़सल जड़ों तक राख कर देता।


बेवफ़ा इसराईल की ज़िनाकारी नाक़ाबिले-बरदाश्त थी, इसलिए मैंने उसे घर से निकालकर तलाक़नामा दे दिया। फिर भी मैंने देखा कि उस की ग़द्दार बहन यहूदाह ने ख़ौफ़ न खाया बल्कि ख़ुद निकलकर ज़िना करने लगी।


काश मेरा सर पानी का मंबा और मेरी आँखें आँसुओं का चश्मा हों ताकि मैं दिन-रात अपनी क़ौम के मक़तूलों पर आहो-ज़ारी कर सकूँ।


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