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یرمیاہ 5:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 इसलिए शेरबबर जंगल से निकलकर उन पर हमला करेगा, भेड़िया बयाबान से आकर उन्हें बरबाद करेगा, चीता उनके शहरों के क़रीब ताक में बैठकर हर निकलनेवाले को फाड़ डालेगा। क्योंकि वह बार बार सरकश हुए हैं, मुतअद्दिद दफ़ा उन्होंने अपनी बेवफ़ाई का इज़हार किया है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 اِس لیٔے جنگل سے ایک شیرببر آکر اُن پر حملہ کرےگا، اَور بیابان کا ایک بھیڑیا اُن کو ہلاک کرےگا، اَور ایک چیتا اُن کے شہروں کے پاس گھات لگائے بیٹھے گا تاکہ اگر کویٔی شہر سے باہر نکلے تو اُس کے ٹکڑے ٹکڑے کر دے، کیونکہ اُن کی اُتنی بغاوت شِدّت اِختیار کر گئی اَور برگشتگی بہت زِیادہ ہو گئی۔

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کِتابِ مُقادّس

6 اِس لِئے جنگل کا شیرِ بَبر اُن کو پھاڑے گا۔ بیابان کا بھیڑِیا اُن کو ہلاک کرے گا۔ چِیتا اُن کے شہروں کی گھات میں بَیٹھا رہے گا۔ جو کوئی اُن میں سے نِکلے پھاڑا جائے گا کیونکہ اُن کی سرکشی بُہت ہُوئی اور اُن کی برگشتگی بڑھ گئی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 اِس لئے شیرببر جنگل سے نکل کر اُن پر حملہ کرے گا، بھیڑیا بیابان سے آ کر اُنہیں برباد کرے گا، چیتا اُن کے شہروں کے قریب تاک میں بیٹھ کر ہر نکلنے والے کو پھاڑ ڈالے گا۔ کیونکہ وہ بار بار سرکش ہوئے ہیں، متعدد دفعہ اُنہوں نے اپنی بےوفائی کا اظہار کیا ہے۔

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یرمیاہ 5:6
38 حوالہ جات  

जो बुज़ुर्ग उसके बीच में हैं वह दहाड़ते हुए शेरबबर हैं। उसके क़ाज़ी शाम के वक़्त भूके फिरनेवाले भेड़ीए हैं जो तुलूए-सुबह तक शिकार की एक हड्डी तक नहीं छोड़ते।


उनके घोड़े चीतों से तेज़ हैं, और शाम के वक़्त शिकार करनेवाले भेड़ीए भी उन जैसे फुरतीले नहीं होते। वह सरपट दौड़कर दूर दूर से आते हैं। जिस तरह उक़ाब लाश पर झपट्टा मारता है उसी तरह वह अपने शिकार पर हमला करते हैं।


शेरबबर जंगल में अपनी छुपने की जगह से निकल आया, क़ौमों को हलाक करनेवाला अपने मक़ाम से रवाना हो चुका है ताकि तेरे मुल्क को तबाह करे। तेरे शहर बरबाद हो जाएंगे, और उनमें कोई नहीं रहेगा।


मुल्क के दरमियान के बुज़ुर्ग भेड़ियों की मानिंद हैं जो अपने शिकार को फाड़ फाड़कर ख़ून बहाते और लोगों को मौत के घाट उतारते हैं ताकि नारवा नफ़ा कमाएँ।


यह हैवान चीते की मानिंद था। लेकिन उसके रीछ के-से पाँव और शेरबबर का-सा मुँह था। अज़दहे ने इस हैवान को अपनी क़ुव्वत, अपना तख़्त और बड़ा इख़्तियार दे दिया।


क्योंकि मैं शेरबबर की तरह इसराईल पर टूट पड़ूँगा और जवान शेरबबर की तरह यहूदाह पर झपट पड़ूँगा। मैं उन्हें फाड़कर अपने साथ घसीट ले जाऊँगा, और कोई उन्हें नहीं बचाएगा।


फिर मैंने तीसरे जानवर को देखा। वह चीते जैसा था, लेकिन उसके चार सर थे। उसे हुकूमत करने का इख़्तियार दिया गया।


पहला जानवर शेरबबर जैसा था, लेकिन उसके उक़ाब के पर थे। मेरे देखते ही उसके परों को नोच लिया गया और उसे उठाकर इनसान की तरह पिछले दो पैरों पर खड़ा किया गया। उसे इनसान का दिल भी मिल गया।


लेकिन यह भी उसके लिए काफ़ी न था बल्कि उसने अपनी ज़िनाकारी में मज़ीद इज़ाफ़ा किया। उसे जवानी के दिन याद आए जब वह मिसर में कसबी थी।


हर गली के कोने में तूने ज़िना करने का कमरा बनाया। अपने हुस्न की बेहुरमती करके तू अपनी इसमतफ़रोशी ज़ोरों पर लाई। हर गुज़रनेवाले को तूने अपना बदन पेश किया।


उसके मुख़ालिफ़ मालिक बन गए, उसके दुश्मन सुकून से रह रहे हैं। क्योंकि रब ने शहर को उसके मुतअद्दिद गुनाहों का अज्र देकर उसे दुख पहुँचाया है। उसके फ़रज़ंद दुश्मन के आगे आगे चलकर जिलावतन हो गए हैं।


जिस तरह शेर-बबर यरदन के जंगल से निकलकर शादाब चरागाहों में चरनेवाली भेड़-बकरियों पर टूट पड़ता है उसी तरह मैं एकदम अदोम को उसके अपने मुल्क से भगा दूँगा। तब मैं अपने चुने हुए आदमी को अदोम पर मुक़र्रर करूँगा। क्योंकि कौन मेरे बराबर है? कौन मुझसे जवाब तलब कर सकता है? वह गल्लाबान कहाँ है जो मेरा मुक़ाबला कर सके?”


और रब का शदीद क़हर उस वक़्त तक ठंडा नहीं होगा जब तक उसने अपने दिल के मनसूबों को तकमील तक नहीं पहुँचाया। आनेवाले दिनों में तुम्हें इसकी साफ़ समझ आएगी।


तेरे तमाम आशिक़ तुझे भूल गए हैं और तेरी परवा ही नहीं करते। तेरा क़ुसूर बहुत संगीन है, तुझसे बेशुमार गुनाह सरज़द हुए हैं। इसी लिए मैंने तुझे दुश्मन की तरह मारा, ज़ालिम की तरह तंबीह दी है।


जब रब जवान शेरबबर की तरह अपनी छुपने की जगह से निकलकर लोगों पर टूट पड़ेगा। तब ज़ालिम की तेज़ तलवार और रब का शदीद क़हर उनका मुल्क तबाह करेगा।”


ऐ रब, हमारे गुनाह हमारे ख़िलाफ़ गवाही दे रहे हैं। तो भी अपने नाम की ख़ातिर हम पर रहम कर। हम मानते हैं कि बुरी तरह बेवफ़ा हो गए हैं, हमने तेरा ही गुनाह किया है।


तेरा ग़लत काम तुझे सज़ा दे रहा है, तेरी बेवफ़ा हरकतें ही तेरी सरज़निश कर रही हैं। चुनाँचे जान ले और ध्यान दे कि रब अपने ख़ुदा को छोड़कर उसका ख़ौफ़ न मानने का फल कितना बुरा और कड़वा है।” यह क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


ऐ इसराईली क़ौम, क्या यह तेरे ग़लत काम का नतीजा नहीं? क्योंकि तूने रब अपने ख़ुदा को उस वक़्त तर्क किया जब वह तेरी राहनुमाई कर रहा था।


जवान शेरबबर दहाड़ते हुए उस पर टूट पड़े हैं, गरजते गरजते उन्होंने मुल्के-इसराईल को बरबाद कर दिया है। उसके शहर नज़रे-आतिश होकर वीरानो-सुनसान हो गए हैं।


क्योंकि हमारे मुतअद्दिद जरायम तेरे सामने हैं, और हमारे गुनाह हमारे ख़िलाफ़ गवाही देते हैं। हमें मुतवातिर अपने जरायम का एहसास है, हम अपने गुनाहों से ख़ूब वाक़िफ़ हैं।


तू अंधेरा फैलने देता है तो दिन ढल जाता है और जंगली जानवर हरकत में आ जाते हैं।


अज़रा इमाम खड़े होकर कहने लगा, “आप अल्लाह से बेवफ़ा हो गए हैं। ग़ैरयहूदी औरतों से रिश्ता बाँधने से आपने इसराईल के क़ुसूर में इज़ाफ़ा कर दिया है।


“ऐ मेरे ख़ुदा, मैं निहायत शरमिंदा हूँ। अपना मुँह तेरी तरफ़ उठाने की मुझमें जुर्रत नहीं रही। क्योंकि हमारे गुनाहों का इतना बड़ा ढेर लग गया है कि वह हमसे ऊँचा है, बल्कि हमारा क़ुसूर आसमान तक पहुँच गया है।


अब तुम गुनाहगारों की औलाद अपने बापदादा की जगह खड़े होकर रब का इसराईल पर ग़ुस्सा मज़ीद बढ़ा रहे हो।


जंगल के सुअर उसे खा खाकर तबाह करते, खुले मैदान के जानवर वहाँ चरते हैं।


तो फिर यरूशलम के यह लोग सहीह राह से बार बार क्यों भटक जाते हैं? यह फ़रेब के साथ लिपटे रहते और वापस आने से इनकार ही करते हैं।


अब जब चोट लग गई है और लाइलाज दर्द महसूस हो रहा है तो तू मदद के लिए क्यों चीख़ता है? यह मैं ही ने तेरे संगीन क़ुसूर और मुतअद्दिद गुनाहों की वजह से तेरे साथ किया है।


लेकिन यहूदाह के राहनुमाओं, इमामों और क़ौम की बेवफ़ाई भी बढ़ती गई। पड़ोसी क़ौमों के घिनौने रस्मो-रिवाज अपनाकर उन्होंने रब के घर को नापाक कर दिया, गो उसने यरूशलम में यह इमारत अपने लिए मख़सूस की थी।


और अगर मैं खड़ा भी हो जाऊँ तो तू शेरबबर की तरह मेरा शिकार करता और मुझ पर दुबारा अपनी मोजिज़ाना क़ुदरत का इज़हार करता है।


तेरे बुज़ुर्ग हटधर्म और चोरों के यार हैं। यह रिश्वतख़ोर सब लोगों के पीछे पड़े रहते हैं ताकि चाय-पानी मिल जाए। न वह परवा करते हैं कि यतीमों को इनसाफ़ मिले, न बेवाओं की फ़रियाद उन तक पहुँचती है।


ऐ मौजूदा नसल, रब के कलाम पर ध्यान दो! क्या मैं इसराईल के लिए रेगिस्तान या तारीकतरीन इलाक़े की मानिंद था? मेरी क़ौम क्यों कहती है, ‘अब हम आज़ादी से इधर-उधर फिर सकते हैं, आइंदा हम तेरे हुज़ूर नहीं आएँगे?’


फ़िज़ा में उड़नेवाले लक़लक़ पर ग़ौर करो जिसे आने जाने के मुक़र्ररा औक़ात ख़ूब मालूम होते हैं। फ़ाख़्ता, अबाबील और बुलबुल पर भी ध्यान दो जो सर्दियों के मौसम में कहीं और होते हैं, गरमियों के मौसम में कहीं और। वह मुक़र्ररा औक़ात से कभी नहीं हटते। लेकिन अफ़सोस, मेरी क़ौम रब की शरीअत नहीं जानती।


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