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یرمیاہ 5:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 मैंने सोचा, “सिर्फ़ ग़रीब लोग ऐसे हैं। यह इसलिए अहमक़ाना हरकतें कर रहे हैं कि रब की राह और अपने ख़ुदा की शरीअत से वाक़िफ़ नहीं हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 تَب مَیں نے سوچا، ”یقیناً یہ لوگ تو غریب ہیں؛ اَور احمق بھی ہیں، کیونکہ وہ یَاہوِہ کی راہ، اَور اَپنے خُدا کے تقاضوں سے واقف نہیں ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

4 تب مَیں نے کہا کہ یقِیناً یہ بیچارے جاہِل ہیں کیونکہ یہ خُداوند کی راہ اور اپنے خُدا کے احکام کو نہیں جانتے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 مَیں نے سوچا، ”صرف غریب لوگ ایسے ہیں۔ یہ اِس لئے احمقانہ حرکتیں کر رہے ہیں کہ رب کی راہ اور اپنے خدا کی شریعت سے واقف نہیں ہیں۔

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یرمیاہ 5:4
11 حوالہ جات  

अफ़सोस, मेरी क़ौम इसलिए तबाह हो रही है कि वह सहीह इल्म नहीं रखती। और क्या अजब जब तुम इमामों ने यह इल्म रद्द कर दिया है। अब मैं तुम्हें भी रद्द करता हूँ। आइंदा तुम इमाम की ख़िदमत अदा नहीं करोगे। चूँकि तुम अपने ख़ुदा की शरीअत भूल गए हो इसलिए मैं तुम्हारी औलाद को भी भूल जाऊँगा।


फ़िज़ा में उड़नेवाले लक़लक़ पर ग़ौर करो जिसे आने जाने के मुक़र्ररा औक़ात ख़ूब मालूम होते हैं। फ़ाख़्ता, अबाबील और बुलबुल पर भी ध्यान दो जो सर्दियों के मौसम में कहीं और होते हैं, गरमियों के मौसम में कहीं और। वह मुक़र्ररा औक़ात से कभी नहीं हटते। लेकिन अफ़सोस, मेरी क़ौम रब की शरीअत नहीं जानती।


‘अंधे देखते, लँगड़े चलते-फिरते हैं, कोढ़ियों को पाक-साफ़ किया जाता है, बहरे सुनते हैं, मुरदों को ज़िंदा किया जाता है और ग़रीबों को अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाई जाती है।’


तब उस की शाख़ें सूख जाएँगी और औरतें उन्हें तोड़ तोड़कर जलाएँगी। क्योंकि यह क़ौम समझ से ख़ाली है, लिहाज़ा उसका ख़ालिक़ उस पर तरस नहीं खाएगा, जिसने उसे तश्कील दिया वह उस पर मेहरबानी नहीं करेगा।


लेकिन अफ़सोस, तुम फ़रेबदेह अलफ़ाज़ पर भरोसा रखते हो जो फ़ज़ूल ही हैं।


“मेरी क़ौम अहमक़ है और मुझे नहीं जानती। वह बेवुक़ूफ़ और नासमझ बच्चे हैं। गो वह ग़लत काम करने में बहुत तेज़ हैं, लेकिन भलाई करना उनकी समझ से बाहर है।”


रब फ़रमाता है, “वह अपनी ज़बान से झूट के तीर चलाते हैं, और मुल्क में उनकी ताक़त दियानतदारी पर मबनी नहीं होती। नीज़, वह बदतर होते जा रहे हैं। मुझे तो वह जानते ही नहीं।


सब अहमक़ और बेवुक़ूफ़ साबित हुए हैं, क्योंकि उनकी तरबियत लकड़ी के बेकार बुतों से हासिल हुई है।


और अगर उसे किसी अनपढ़ आदमी को दिया जाए तो वह कहेगा, “मैं अनपढ़ हूँ।”


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