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یرمیاہ 5:22 - किताबे-मुक़द्दस

22 रब फ़रमाता है, “क्या तुम्हें मेरा ख़ौफ़ नहीं मानना चाहिए, मेरे हुज़ूर नहीं काँपना चाहिए? सोच लो! मैं ही ने रेत से समुंदर की सरहद मुक़र्रर की, एक ऐसी बाड़ बनाई जिस पर से वह कभी नहीं गुज़र सकता। गो वह ज़ोर से लहरें मारे तो भी नाकाम रहता है, गो उस की मौजें ख़ूब गरजें तो भी मुक़र्ररा हद से आगे नहीं बढ़ सकतीं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

22 کیا تُمہیں میرا خوف نہیں؟“ یَاہوِہ فرماتے ہیں، ”کیا تُمہیں میرے حُضُور تھرتھرانا نہیں چاہئے؟ مَیں نے ریت کو سمُندر کی حد مُقرّر کیا، اَور اُسے ایک اَبدی ساحِل بنایا تاکہ وہ اُسے پار نہ کر سکے۔ چاہے لہریں اُٹھیں تَو بھی وہ غالب نہیں آ سکتیں؛ چاہے شور مچائیں تَو بھی آگے نہیں بڑھ سکتیں۔

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کِتابِ مُقادّس

22 خُداوند فرماتا ہے کیا تُم مُجھ سے نہیں ڈرتے؟ کیا تُم میرے حضُور میں تھرتھراؤ گے نہیں جِس نے ریت کو سمُندر کی حد پر ابدی حُکم سے قائِم کِیا کہ وہ اُس سے آگے نہیں بڑھ سکتا اور ہر چند اُس کی لہریں اُچھلتی ہیں تَو بھی غالِب نہیں آتِیں اور ہر چند شور کرتی ہیں تَو بھی اُس سے تجاوُز نہیں کر سکتِیں؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

22 رب فرماتا ہے، ”کیا تمہیں میرا خوف نہیں ماننا چاہئے، میرے حضور نہیں کانپنا چاہئے؟ سوچ لو! مَیں ہی نے ریت سے سمندر کی سرحد مقرر کی، ایک ایسی باڑ بنائی جس پر سے وہ کبھی نہیں گزر سکتا۔ گو وہ زور سے لہریں مارے توبھی ناکام رہتا ہے، گو اُس کی موجیں خوب گرجیں توبھی مقررہ حد سے آگے نہیں بڑھ سکتیں۔

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یرمیاہ 5:22
29 حوالہ جات  

तूने एक हद बाँधी जिससे पानी बढ़ नहीं सकता। आइंदा वह कभी पूरी ज़मीन को नहीं ढाँकने का।


उसने पानी की सतह पर दायरा बनाया जो रौशनी और अंधेरे के दरमियान हद बन गया।


जब उसने समुंदर की हद्दें मुक़र्रर कीं और हुक्म दिया कि पानी उनसे तजावुज़ न करे, जब उसने ज़मीन की बुनियादें अपनी अपनी जगह पर रखीं


मेरा जिस्म तुझसे दहशत खाकर थरथराता है, और मैं तेरे फ़ैसलों से डरता हूँ।


ग़रज़ एहतियात से शरीअत की उन तमाम बातों की पैरवी कर जो इस किताब में दर्ज हैं, और रब अपने ख़ुदा के पुरजलाल और बारोब नाम का ख़ौफ़ मानना।


वह समुंदर को डाँटता तो वह सूख जाता, उसके हुक्म पर तमाम दरिया ख़ुश्क हो जाते हैं। तब बसन और करमिल की शादाब हरियाली मुरझा जाती और लुबनान के फूल कुमला जाते हैं।


ऐ अक़वाम के बादशाह, कौन तेरा ख़ौफ़ नहीं मानेगा? क्योंकि तू इस लायक़ है। अक़वाम के तमाम दानिशमंदों और उनके तमाम ममालिक में तुझ जैसा कोई नहीं है।


वह जाग उठा, आँधी को डाँटा और झील से कहा, “ख़ामोश! चुप कर!” इस पर आँधी थम गई और लहरें बिलकुल साकित हो गईं।


ऐ रब, कौन तेरा ख़ौफ़ नहीं मानेगा? कौन तेरे नाम को जलाल नहीं देगा? क्योंकि तू ही क़ुद्दूस है। तमाम क़ौमें आकर तेरे हुज़ूर सिजदा करेंगी, क्योंकि तेरे रास्त काम ज़ाहिर हो गए हैं।”


वह आसमान पर अपना बालाखाना तामीर करता और ज़मीन पर अपने तहख़ाने की बुनियाद डालता है। वह समुंदर का पानी बुलाकर रूए-ज़मीन पर उंडेल देता है। उसी का नाम रब है!


रब बादशाह है, अक़वाम लरज़ उठें! वह करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है, दुनिया डगमगाए!


वह समुंदर के पानी का बड़ा ढेर जमा करता, पानी की गहराइयों को गोदामों में महफ़ूज़ रखता है।


उनसे ख़ौफ़ मत खाना जो तुम्हारी रूह को नहीं बल्कि सिर्फ़ तुम्हारे जिस्म को क़त्ल कर सकते हैं। अल्लाह से डरो जो रूह और जिस्म दोनों को जहन्नुम में डालकर हलाक कर सकता है।


जब मैं आया तो कोई नहीं था। क्या वजह? जब मैंने आवाज़ दी तो जवाब देनेवाला कोई नहीं था। क्यों? क्या मैं फ़िद्या देकर तुम्हें छुड़ाने के क़ाबिल न था? क्या मेरी इतनी ताक़त नहीं कि तुम्हें बचा सकूँ? मेरी तो एक ही धमकी से समुंदर ख़ुश्क हो जाता और दरिया रेगिस्तान बन जाते हैं। तब उनकी मछलियाँ पानी से महरूम होकर गल जाती हैं, और उनकी बदबू चारों तरफ़ फैल जाती है।


मैं तुमको बताता हूँ कि किससे डरना है। अल्लाह से डरो, जो तुम्हें हलाक करने के बाद जहन्नुम में फेंकने का इख़्तियार भी रखता है। जी हाँ, उसी से ख़ौफ़ खाओ।


मेरा फ़रमान सुनो! लाज़िम है कि मेरी सलतनत की हर जगह लोग दानियाल के ख़ुदा के सामने थरथराएँ और उसका ख़ौफ़ मानें। क्योंकि वह ज़िंदा ख़ुदा और अबद तक क़ायम है। न कभी उस की बादशाही तबाह, न उस की हुकूमत ख़त्म होगी।


ऐ रब के कलाम के सामने लरज़नेवालो, उसका फ़रमान सुनो! “तुम्हारे अपने भाई तुमसे नफ़रत करते और मेरे नाम के बाइस तुम्हें रद्द करते हैं। वह मज़ाक़ उड़ाकर कहते हैं, ‘रब अपने जलाल का इज़हार करे ताकि हम तुम्हारी ख़ुशी का मुशाहदा कर सकें।’ लेकिन वह शरमिंदा हो जाएंगे।


अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।


जब समुंदर रहम से फूट निकला तो किसने दरवाज़े बंद करके उस पर क़ाबू पाया?


गो समुंदर शोर मचाकर ठाठें मारे और पहाड़ उस की दहाड़ों से काँप उठें। (सिलाह)


काश तू डालियों को भड़का देनेवाली आग या पानी को एकदम उबालनेवाली आतिश की तरह नाज़िल हो ताकि तेरे दुश्मन तेरा नाम जान लें और क़ौमें तेरे सामने लरज़ उठें!


तेरा ग़लत काम तुझे सज़ा दे रहा है, तेरी बेवफ़ा हरकतें ही तेरी सरज़निश कर रही हैं। चुनाँचे जान ले और ध्यान दे कि रब अपने ख़ुदा को छोड़कर उसका ख़ौफ़ न मानने का फल कितना बुरा और कड़वा है।” यह क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


चुनाँचे ऐ इसराईल, अब मैं आइंदा भी तेरे साथ ऐसा ही करूँगा। और चूँकि मैं तेरे साथ ऐसा करूँगा, इसलिए अपने ख़ुदा से मिलने के लिए तैयार हो जा, ऐ इसराईल!”


और वह उस पर बैठकर रवाना हुआ। जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि लाश अब तक रास्ते में पड़ी है और गधा और शेर दोनों ही उसके पास खड़े हैं। शेरबबर ने न लाश को छेड़ा और न गधे को फाड़ा था।


इसलिए आदमज़ाद उससे डरते और दिल के दानिशमंद उसका ख़ौफ़ मानते हैं।”


रब फ़रमाता है, “मैं ही ने मुक़र्रर किया है कि दिन के वक़्त सूरज चमके और रात के वक़्त चाँद सितारों समेत रौशनी दे। मैं ही समुंदर को यों उछाल देता हूँ कि उस की मौजें गरजने लगती हैं। रब्बुल-अफ़वाज ही मेरा नाम है।”


यह देखकर मुसाफ़िरों पर सख़्त दहशत छा गई, और उन्होंने रब को ज़बह की क़ुरबानी पेश की और मन्नतें मानीं।


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