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یرمیاہ 5:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 “यरूशलम की गलियों में घूमो फिरो! हर जगह का मुलाहज़ा करके पता करो कि क्या हो रहा है। उसके चौकों की तफ़तीश भी करो। अगर तुम्हें एक भी शख़्स मिल जाए जो इनसाफ़ करे और दियानतदारी का तालिब रहे तो मैं शहर को मुआफ़ कर दूँगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 ”یروشلیمؔ کی گلیوں میں اِدھر اُدھر گشت لگا کر، اَپنے چاروں طرف دیکھو اَور غور کرو، اُس کے چوراہوں میں تلاش کرو، اگر تُمہیں وہاں ایک بھی اَیسا شخص ملے جو ایمانداری سے پیش آتا ہو اَور سچّائی کا طالب ہو، تو میں اِس شہر کو مُعاف کر دُوں گا۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اب یروشلیِم کے کُوچوں میں اِدھر اُدھر گشت کرو اور دیکھو اور دریافت کرو اور اُس کے چَوکوں میں ڈُھونڈو اگر کوئی آدمی وہاں مِلے جو اِنصاف کرنے والا اور سچّائی کا طالِب ہو تو مَیں اُسے مُعاف کرُوں گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 ”یروشلم کی گلیوں میں گھومو پھرو! ہر جگہ کا ملاحظہ کر کے پتا کرو کہ کیا ہو رہا ہے۔ اُس کے چوکوں کی تفتیش بھی کرو۔ اگر تمہیں ایک بھی شخص مل جائے جو انصاف کرے اور دیانت داری کا طالب رہے تو مَیں شہر کو معاف کر دوں گا۔

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یرمیاہ 5:1
29 حوالہ جات  

इसराईल में मैं ऐसे आदमी की तलाश में रहा जो मुल्क के लिए हिफ़ाज़ती चारदीवारी तामीर करे, जो मेरे हुज़ूर आकर दीवार के रख़ने में खड़ा हो जाए ताकि मैं मुल्क को तबाह न करूँ। लेकिन मुझे एक भी न मिला जो इस क़ाबिल हो।


रब तो अपनी नज़र पूरी रूए-ज़मीन पर दौड़ाता रहता है ताकि उनकी तक़वियत करे जो पूरी वफ़ादारी से उससे लिपटे रहते हैं। आपकी अहमक़ाना हरकत की वजह से आपको अब से मुतवातिर जंगें तंग करती रहेंगी।”


अदालत में कोई मुंसिफ़ाना मुक़दमा नहीं चलाता, कोई सच्चे दलायल पेश नहीं करता। लोग सच्चाई से ख़ाली बातों पर एतबार करके झूट बोलते हैं, वह बदकारी से हामिला होकर बेदीनी को जन्म देते हैं।


अफ़सोस, सब सहीह राह से भटक गए, सबके सब बिगड़ गए हैं। कोई नहीं जो भलाई करता हो, एक भी नहीं।


बहुत-से लोग अपनी वफ़ादारी पर फ़ख़र करते हैं, लेकिन क़ाबिले-एतमाद शख़्स कहाँ पाया जाता है?


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : शमीनीत। ऐ रब, मदद फ़रमा! क्योंकि ईमानदार ख़त्म हो गए हैं। दियानतदार इनसानों में से मिट गए हैं।


यों वह उन्हें हर तरह के शरीर फ़रेब में फँसाएगा जो हलाक होनेवाले हैं। लोग इसलिए हलाक हो जाएंगे कि उन्होंने सच्चाई से मुहब्बत करने से इनकार किया, वरना वह बच जाते।


नौकर ने वापस आकर मालिक को सब कुछ बताया। वह ग़ुस्से होकर नौकर से कहने लगा, ‘जा, सीधे शहर की सड़कों और गलियों में जाकर वहाँ के ग़रीबों, लँगड़ों, अंधों और मफ़लूजों को ले आ।’ नौकर ने ऐसा ही किया।


इस दूसरे फ़रिश्ते ने कहा, “भागकर पैमाइश करनेवाले नौजवान को बता दे, ‘इनसानो-हैवान की इतनी बड़ी तादाद होगी कि आइंदा यरूशलम की फ़सील नहीं होगी।


लोग लड़खड़ाते हुए एक समुंदर से दूसरे तक और शिमाल से मशरिक़ तक फिरेंगे ताकि रब का कलाम मिल जाए, लेकिन बेसूद।


और शहर पर झपट्टा मारकर फ़सील पर छलाँग लगाते हैं, घरों की दीवारों पर चढ़कर चोर की तरह खिड़कियों में से घुस आते हैं।


लेकिन तू, ऐ दानियाल, इन बातों को छुपाए रख! इस किताब पर आख़िरी वक़्त तक मुहर लगा दे! बहुत लोग इधर-उधर घूमते फिरेंगे, और इल्म में इज़ाफ़ा होता जाएगा।”


मैं बोली, “अब मैं उठकर शहर में घूमती, उस की गलियों और चौकों में फिरकर उसे तलाश करती हूँ जो मेरी जान का प्यारा है।” मैं ढूँडती रही लेकिन वह न मिला।


सच्चाई ख़रीद ले और कभी फ़रोख़्त न कर, उसमें शामिल हिकमत, तरबियत और समझ अपना ले।


शहर के दरवाज़ों पर जहाँ लोग निकलते और दाख़िल होते हैं वहाँ हिकमत ज़ोरदार आवाज़ से पुकारती है,


इलियास ने जवाब दिया, “मैंने रब, आसमानी लशकरों के ख़ुदा की ख़िदमत करने की सिर-तोड़ कोशिश की है, क्योंकि इसराईलियों ने तेरे अहद को तर्क कर दिया है। उन्होंने तेरी क़ुरबानगाहों को गिराकर तेरे नबियों को तलवार से क़त्ल कर दिया है। मैं अकेला ही बचा हूँ, और वह मुझे भी मार डालने के दरपै हैं।”


रब फ़रमाता है, “तुम मुझ पर क्यों इलज़ाम लगाते हो? तुम तो सब मुझसे बेवफ़ा हो गए हो।


उस वक़्त जुनूबी मिसर में रहनेवाले यहूदाह के तमाम मर्द और औरतें एक बड़े इजतिमा के लिए जमा हुए थे। मर्दों को ख़ूब मालूम था कि हमारी बीवियाँ अजनबी माबूदों को बख़ूर की क़ुरबानियाँ पेश करती हैं। अब उन्होंने यरमियाह से कहा,


रब ने आसमान से इनसान पर नज़र डाली ताकि देखे कि क्या कोई समझदार है? क्या कोई अल्लाह का तालिब है?


कौन शरीरों के सामने मेरा दिफ़ा करेगा? कौन मेरे लिए बदकारों का सामना करेगा?


मैंने ध्यान देकर देखा है कि यह झूट ही बोलते हैं। कोई भी पछताकर नहीं कहता, ‘यह कैसा ग़लत काम है जो मैंने किया!’ जिस तरह जंग में घोड़े दुश्मन पर टूट पड़ते हैं उसी तरह हर एक सीधा अपनी ग़लत राह पर दौड़ता रहता है।


काश रेगिस्तान में कहीं मुसाफ़िरों के लिए सराय हो ताकि मैं अपनी क़ौम को छोड़कर वहाँ चला जाऊँ। क्योंकि सब ज़िनाकार, सब ग़द्दारों का जत्था हैं।


इसलिए रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “देखो, मैं उन्हें ख़ाम चाँदी की तरह पिघलाकर आज़माऊँगा, क्योंकि मैं अपनी क़ौम, अपनी बेटी के साथ और क्या कर सकता हूँ?


रब ने जवाब दिया, “इसराईल और यहूदाह के लोगों का क़ुसूर निहायत ही संगीन है। मुल्क में क़त्लो-ग़ारत आम है, और शहर नाइनसाफ़ी से भर गया है। क्योंकि लोग कहते हैं, ‘रब ने मुल्क को तर्क किया है, हम उसे नज़र ही नहीं आते।’


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