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یرمیاہ 48:41 - किताबे-मुक़द्दस

41 दुश्मन ने क़सबों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, क़िले उसके हाथ में आ गए हैं। उस दिन मोआबी सूरमाओं का दिल दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खाएगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

41 قِریوتؔ شہر تسخیر کئے جایٔیں گے اَور قلعوں پر دُشمن کا قابض ہو جائے گا۔ اُس دِن مُوآب کے جنگجو فَوجیوں کے دِل زچّہ عورت کے دِل کی مانند ہوں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

41 وہاں کے شہر اور قلعے لے لِئے جائیں گے اور اُس دِن موآؔب کے بہادُروں کے دِل زچّہ کے دِل کی طرح ہوں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

41 دشمن نے قصبوں پر قبضہ کر لیا ہے، قلعے اُس کے ہاتھ میں آ گئے ہیں۔ اُس دن موآبی سورماؤں کا دل دردِ زہ میں مبتلا عورت کی طرح پیچ و تاب کھائے گا۔

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یرمیاہ 48:41
16 حوالہ جات  

इसलिए मेरी कमर शिद्दत से लरज़ने लगी है। दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की-सी घबराहट मेरी अंतड़ियों को मरोड़ रही है। जो कुछ मैंने सुना है उससे मैं तड़प उठा हूँ, और जो कुछ मैंने देखा है, उससे मैं हवासबाख़्ता हो गया हूँ।


दहशत उन पर छा जाएगी, और वह जान-कनी और दर्दे-ज़ह की-सी गिरिफ़्त में आकर जन्म देनेवाली औरत की तरह तड़पेंगे। एक दूसरे को डर के मारे घूर घूरकर उनके चेहरे आग की तरह तमतमा रहे होंगे।


वह देखो! दुश्मन उक़ाब की तरह उड़कर अदोम पर झपट्टा मारता है। वह अपने परों को फैलाकर बुसरा पर साया डालता है। उस दिन अदोमी सूरमाओं का दिल दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खाएगा।


क्या मर्द बच्चे जन्म दे सकता है? तो फिर तमाम मर्द क्यों अपने हाथ कमर पर रखकर दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरतों की तरह तड़प रहे हैं? हर एक का रंग फ़क़ पड़ गया है।


उनके बारे में इत्तला पाकर हमारे हाथ हिम्मत हार गए हैं। हम पर ख़ौफ़ तारी हो गया है, हमें दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत का-सा दर्द हो रहा है।


जब लोग कहेंगे, “अब अमनो-अमान है,” तो हलाकत अचानक ही उन पर आन पड़ेगी। वह इस तरह मुसीबत में पड़ जाएंगे जिस तरह वह औरत जिसका बच्चा पैदा हो रहा है। वह हरगिज़ नहीं बच सकेंगे।


बाबल के जंगआज़मूदा फ़ौजी लड़ने से बाज़ आकर अपने क़िलों में छुप गए हैं। उनकी ताक़त जाती रही है, वह औरतों की मानिंद हो गए हैं। अब बाबल के घरों को आग लग गई है, फ़सील के दरवाज़ों के कुंडे टूट गए हैं।


उनकी ख़बर सुनते ही शाहे-बाबल हिम्मत हार गया है। ख़ौफ़ज़दा होकर वह दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह तड़पने लगा है।


दमिश्क़ हिम्मत हारकर भागने के लिए मुड़ गया है। दहशत उस पर छा गई है, और वह दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह तड़प रहा है।


क्योंकि मुझे दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की आवाज़, पहली बार जन्म देनेवाली की आहो-ज़ारी सुनाई दे रही है। सिय्यून बेटी कराह रही है, वह अपने हाथ फैलाए हुए कह रही है, “हाय, मुझ पर अफ़सोस! मेरी जान क़ातिलों के हाथ में आकर निकल रही है।”


रब फ़रमाता है, “उस दिन बादशाह और उसके अफ़सर हिम्मत हारेंगे, इमामों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे और नबी ख़ौफ़ से सुन होकर रह जाएंगे।”


क़रियोत और बुसरा, ग़रज़ मोआब के तमाम शहरों की अदालत हुई है, ख़ाह वह दूर हों या क़रीब।”


तलवार बाबल के घोड़ों, रथों और परदेसी फ़ौजियों पर टूट पड़े ताकि वह औरतों की मानिंद बन जाएँ। तलवार उसके ख़ज़ानों पर टूट पड़े ताकि वह छीन लिए जाएँ।


चुनाँचे मैं मुल्के-मोआब पर आग नाज़िल करूँगा, और क़रियोत के महल नज़रे-आतिश हो जाएंगे। जंग का शोर-शराबा मचेगा, फ़ौजियों के नारे बुलंद हो जाएंगे, नरसिंगा फूँका जाएगा। तब मोआब हलाक हो जाएगा।


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