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یرمیاہ 46:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 लेकिन आज क़ादिरे-मुतलक़, रब्बुल-अफ़वाज का ही दिन है। इंतक़ाम के इस दिन वह अपने दुश्मनों से बदला लेगा। उस की तलवार उन्हें खा खाकर सेर हो जाएगी, और उनका ख़ून पी पीकर उस की प्यास बुझेगी। क्योंकि शिमाल में दरियाए-फ़ुरात के किनारे उन्हें क़ादिरे-मुतलक़, रब्बुल-अफ़वाज को क़ुरबान किया जाएगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 لیکن وہ دِن خُداوؔند، قادرمُطلق یَاہوِہ کا یومِ اِنتقام ہے، یہ اُن کا اَپنے دُشمنوں سے اِنتقام لینے کا دِن ہے۔ تلوار سیر ہونے تک چلتی ہی رہے گی، اَور جَب تک اُن کی تلوار خُون پی کر اَپنی پیاس نہ بُجھا لے، وہ نہیں رُکے گی کیونکہ خُداوؔند، قادرمُطلق یَاہوِہ، شمالی سرزمین میں دریائے فراتؔ کے کنارے قُربانی گذرانیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

10 کیونکہ یہ خُداوند ربُّ الافواج کا دِن یعنی اِنتقام کا روز ہے تاکہ وہ اپنے دُشمنوں سے اِنتقام لے۔ پس تلوار کھا جائے گی اور سیر ہو گی اور اُن کے خُون سے مست ہو گی کیونکہ خُداوند ربُّ الافواج کے لِئے شِمالی سرزمِین میں دریایِ فُراؔت کے کنارے ایک ذبِیحہ ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 لیکن آج قادرِ مطلق، رب الافواج کا ہی دن ہے۔ انتقام کے اِس دن وہ اپنے دشمنوں سے بدلہ لے گا۔ اُس کی تلوار اُنہیں کھا کھا کر سیر ہو جائے گی، اور اُن کا خون پی پی کر اُس کی پیاس بجھے گی۔ کیونکہ شمال میں دریائے فرات کے کنارے اُنہیں قادرِ مطلق، رب الافواج کو قربان کیا جائے گا۔

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یرمیاہ 46:10
25 حوالہ جات  

मेरे तीर ख़ून पी पीकर नशे में धुत हो जाएंगे, मेरी तलवार मक़तूलों और क़ैदियों के ख़ून और दुश्मन के सरदारों के सरों से सेर हो जाएगी।”


उस दिन पर अफ़सोस! क्योंकि रब का वह दिन क़रीब ही है जब क़ादिरे-मुतलक़ हम पर तबाही नाज़िल करेगा।


पहला पैग़ाम मिसर के बारे में है। यहूदाह के बादशाह यहूयक़ीम बिन यूसियाह के चौथे साल में शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र ने दरियाए-फ़ुरात पर वाक़े शहर करकिमीस के पास मिसरी फ़ौज को शिकस्त दी थी। उन दिनों में मिसरी बादशाह निकोह फ़िरौन की फ़ौज के बारे में रब का कलाम नाज़िल हुआ,


न तेज़ी से भागनेवाला, न ज़बरदस्त फ़ौजी बच सकता है। शिमाल में दरियाए-फ़ुरात के किनारे ही वह ठोकर खाकर गिर गए हैं।


क्योंकि यह इलाही ग़ज़ब के दिन होंगे जिनमें वह सब कुछ पूरा हो जाएगा जो कलामे-मुक़द्दस में लिखा है।


कोहे-सिय्यून पर नरसिंगा फूँको, मेरे मुक़द्दस पहाड़ पर जंग का नारा लगाओ। मुल्क के तमाम बाशिंदे लरज़ उठें, क्योंकि रब का दिन आनेवाला है बल्कि क़रीब ही है।


बाबल से भाग निकलो! दौड़कर अपनी जान बचाओ, वरना तुम्हें भी बाबल के क़ुसूर का अज्र मिलेगा। क्योंकि रब के इंतक़ाम का वक़्त आ पहुँचा है, अब बाबल को मुनासिब सज़ा मिलेगी।


चारों तरफ़ उसके ख़िलाफ़ जंग के नारे लगाओ! देखो, उसने हथियार डाल दिए हैं। उसके बुर्ज गिर गए, उस की दीवारें मिसमार हो गई हैं। रब इंतक़ाम ले रहा है, चुनाँचे बाबल से ख़ूब बदला लो। जो सुलूक उसने दूसरों के साथ किया, वही उसके साथ करो।


क्योंकि मेरा दिल इंतक़ाम लेने पर तुला हुआ था, अपनी क़ौम का एवज़ाना देने का साल आ गया था।


वावैला करो, क्योंकि रब का दिन क़रीब ही है, वह दिन जब क़ादिरे-मुतलक़ की तरफ़ से तबाही मचेगी।


उस वक़्त मिसर का बादशाह दुबारा अपने मुल्क से निकल न सका, क्योंकि बाबल के बादशाह ने मिसर की सरहद बनाम वादीए-मिसर से लेकर दरियाए-फ़ुरात तक का सारा इलाक़ा मिसर के क़ब्ज़े से छीन लिया था।


कि बहाली का साल और हमारे ख़ुदा के इंतक़ाम का दिन आ गया है। उसने मुझे भेजा है कि मैं तमाम मातम करनेवालों को तसल्ली दूँ


क़ादिरे-मुतलक़ अदालत के औक़ात क्यों नहीं मुक़र्रर करता? जो उसे जानते हैं वह ऐसे दिन क्यों नहीं देखते?


“असूर तलवार की ज़द में आकर गिर जाएगा। लेकिन यह किसी मर्द की तलवार नहीं होगी। जो तलवार असूर को खा जाएगी वह फ़ानी इनसान की नहीं होगी। असूर तलवार के आगे आगे भागेगा, और उसके जवानों को बेगार में काम करना पड़ेगा।


तबाहकुन फ़ौजी बयाबान की बंजर बुलंदियों पर से उतरकर क़रीब पहुँच रहे हैं। क्योंकि रब की तलवार मुल्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सब कुछ खा जाएगी। कोई भी नहीं बचेगा।


“मिसरी शहरों मिजदाल, मेंफ़िस और तहफ़नहीस में एलान करो, ‘जंग की तैयारियाँ करके लड़ने के लिए खड़े हो जाओ! क्योंकि तलवार तुम्हारे आस-पास सब कुछ खा रही है।’


इसलिए रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, “पहले मैंने शाहे-असूर को सज़ा दी, और अब मैं शाहे-बाबल को उसके मुल्क समेत वही सज़ा दूँगा।


ऐ आदमज़ाद, अम्मोनियों और उनकी लान-तान के जवाब में नबुव्वत कर! उन्हें बता, ‘रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि तलवार क़त्लो-ग़ारत के लिए मियान से खींच ली गई है, उसे रगड़ रगड़कर तेज़ किया गया है ताकि बिजली की तरह चमकते हुए मारती जाए।


स्याह घोड़ों का रथ शिमाली मुल्क की तरफ़ जा रहा है, सफ़ेद घोड़ों का मग़रिब की तरफ़, और धब्बेदार घोड़ों का जुनूब की तरफ़।”


क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज ने एक ख़ास दिन ठहराया है जिसमें सब कुछ जो मग़रूर, बुलंद या सरफ़राज़ हो ज़ेर किया जाएगा।


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