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یرمیاہ 41:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 इसमाईल बिन नतनियाह बिन इलीसमा शाही नसल का था और पहले शाहे-यहूदाह का आला अफ़सर था। सातवें महीने में वह दस आदमियों को अपने साथ लेकर मिसफ़ाह में जिदलियाह से मिलने आया। जब वह मिलकर खाना खा रहे थे

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 ساتویں مہینے میں یُوں ہُوا کہ اِشمعیل بِن نتنیاہؔ بِن اِلیشمعؔ جو شاہی نَسل سے تھا اَور بادشاہ کے سرداروں میں سے تھا، دس آدمیوں کے ساتھ مِصفاہؔ میں گِدلیاہؔ بِن احیقامؔ کے پاس آیا؛ اَور جَب وہ ساتھ میں مِل کر وہاں کھانا کھا رہے تھے،

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کِتابِ مُقادّس

1 اور ساتویں مہِینے میں یُوں ہُؤا کہ اِسمٰعیل بِن نتنیاؔہ بِن الیسمع جو شاہی نسل سے اور بادشاہ کے سرداروں میں سے تھا دس آدمی ساتھ لے کر جِدلیاؔہ بِن اخِیقاؔم کے پاس مِصفاؔہ میں آیا اور اُنہوں نے وہاں مِصفاؔہ میں مِل کر کھانا کھایا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اسمٰعیل بن نتنیاہ بن اِلی سمع شاہی نسل کا تھا اور پہلے شاہِ یہوداہ کا اعلیٰ افسر تھا۔ ساتویں مہینے میں وہ دس آدمیوں کو اپنے ساتھ لے کر مِصفاہ میں جِدلیاہ سے ملنے آیا۔ جب وہ مل کر کھانا کھا رہے تھے

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یرمیاہ 41:1
25 حوالہ جات  

तो वह मिसफ़ाह में जिदलियाह के पास आए। अफ़सरों के नाम इसमाईल बिन नतनियाह, क़रीह के बेटे यूहनान और यूनतन, सिरायाह बिन तनहूमत, ईफी नतूफ़ाती के बेटे और याज़नियाह बिन माकाती थे। उनके फ़ौजी भी साथ आए।


जिदलियाह मिसफ़ाह में ठहरा हुआ था। यरमियाह उसके पास जाकर मुल्क के बचे हुए लोगों के बीच में बसने लगा।


मेरा दोस्त भी मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ है। जिस पर मैं एतमाद करता था और जो मेरी रोटी खाता था, उसने मुझ पर लात उठाई है।


मैं तुम सबकी बात नहीं कर रहा। जिन्हें मैंने चुन लिया है उन्हें मैं जानता हूँ। लेकिन कलामे-मुक़द्दस की उस बात का पूरा होना ज़रूर है, ‘जो मेरी रोटी खाता है उसने मुझ पर लात उठाई है।’


उसने यहूदाह के शाही ख़ानदान में से एक को चुन लिया और उसके साथ अहद बाँधकर उसे तख़्त पर बिठा दिया। नए बादशाह ने बाबल से वफ़ादार रहने की क़सम खाई। बाबल के बादशाह ने यहूदाह के राहनुमाओं को भी जिलावतन कर दिया


अफ़सरों ने तूमार को शाही मीरमुंशी इलीसमा के दफ़्तर में महफ़ूज़ रख दिया, फिर दरबार में दाख़िल होकर बादशाह को सब कुछ बता दिया।


शाही महल में मीरमुंशी के दफ़्तर में चला गया। वहाँ तमाम सरकारी अफ़सर बैठे थे यानी इलीसमा मीरमुंशी, दिलायाह बिन समायाह, इलनातन बिन अकबोर, जमरियाह बिन साफ़न, सिदक़ियाह बिन हननियाह और बाक़ी तमाम मुलाज़िम।


ग़ुस्सा ज़ालिम होता और तैश सैलाब की तरह इनसान पर आ जाता है, लेकिन कौन हसद का मुक़ाबला कर सकता है?


मग़रूरों में हमेशा झगड़ा होता है जबकि दानिशमंद सलाह-मशवरे के मुताबिक़ ही चलते हैं।


मेरी नेकी के एवज़ वह मुझे नुक़सान पहुँचाते और मेरे प्यार के बदले मुझसे नफ़रत करते हैं।


जब अख़ज़ियाह की माँ अतलियाह को मालूम हुआ कि मेरा बेटा मर गया है तो वह यहूदाह के पूरे शाही ख़ानदान को क़त्ल करने लगी।


लेकिन उस साल के सातवें महीने में इसमाईल बिन नतनियाह बिन इलीसमा ने दस साथियों के साथ मिसफ़ाह आकर धोके से जिदलियाह को क़त्ल किया। इसमाईल शाही नसल का था। जिदलियाह के अलावा उन्होंने उसके साथ रहनेवाले यहूदाह और बाबल के तमाम लोगों को भी क़त्ल किया।


जब अख़ज़ियाह की माँ अतलियाह को मालूम हुआ कि मेरा बेटा मर गया है तो वह अख़ज़ियाह की तमाम औलाद को क़त्ल करने लगी।


जब अबिनैर दुबारा हबरून में दाख़िल होने लगा तो योआब शहर के दरवाज़े में उसका इस्तक़बाल करके उसे एक तरफ़ ले गया जैसे वह उसके साथ कोई ख़ुफ़िया बात करना चाहता हो। लेकिन अचानक उसने अपनी तलवार को मियान से खींचकर अबिनैर के पेट में घोंप दिया। इस तरह योआब ने अपने भाई असाहेल का बदला लेकर अबिनैर को मार डाला।


यरमियाह अब तक शाही मुहाफ़िज़ों के सहन में गिरिफ़्तार था। उन्होंने हुक्म दिया कि उसे वहाँ से निकालकर जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न के हवाले कर दिया जाए ताकि वह उसे उसके अपने घर पहुँचा दे। यों यरमियाह अपने लोगों के दरमियान बसने लगा।


यरमियाह अब तक झिजक रहा था, इसलिए नबूज़रादान ने कहा, “फिर जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न के पास चले जाएँ! शाहे-बाबल ने उसे सूबा यहूदाह के शहरों पर मुक़र्रर किया है। उसके साथ रहें। या फिर जहाँ भी रहना पसंद करें वहीं रहें।” नबूज़रादान ने यरमियाह को कुछ ख़ुराक और एक तोह्फ़ा देकर उसे रुख़सत कर दिया।


एक दिन यूहनान बिन क़रीह और वह तमाम फ़ौजी अफ़सर जो अब तक देहात में ठहरे हुए थे जिदलियाह से मिलने आए।


जिन लोगों को बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र ने यहूदाह में पीछे छोड़ दिया था, उन पर उसने जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न मुक़र्रर किया।


देहात में अब तक यहूदाह के कुछ फ़ौजी अफ़सर अपने दस्तों समेत छुपे रहते थे। जब उन्हें ख़बर मिली कि शाहे-बाबल ने जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम को यहूदाह का गवर्नर बनाकर उन ग़रीब आदमियों और बाल-बच्चों पर मुक़र्रर किया है जो जिलावतन नहीं हुए हैं


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