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یرمیاہ 40:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 तो वह मिसफ़ाह में जिदलियाह के पास आए। अफ़सरों के नाम इसमाईल बिन नतनियाह, क़रीह के बेटे यूहनान और यूनतन, सिरायाह बिन तनहूमत, ईफी नतूफ़ाती के बेटे और याज़नियाह बिन माकाती थे। उनके फ़ौजी भी साथ आए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 تو اِشمعیل بِن نتنیاہؔ، قاریحؔ کے بیٹے یوحانانؔ اَور یُوناتانؔ، سِرایاہؔ بِن تنحُومیتؔ اَور عیفیؔ نطُوفاتی اَور یازنیاہؔ بِن معکاتی اَور اُن کے لوگ مِصفاہؔ میں گِدلیاہؔ سے مِلنے آئے۔

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کِتابِ مُقادّس

8 تو اِسمٰعیل بِن نتنیاؔہ اور یُوحناؔن اور یُونتن بنی قرِیح اور سِراؔیاہ بِن تنحُومت اور بنی عیِفی نطُوفاتی اور یزنیاؔہ بِن معکاؔتی اپنے آدمِیوں کے ساتھ جدلیاؔہ کے پاس مِصفاؔہ میں آئے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 تو وہ مِصفاہ میں جِدلیاہ کے پاس آئے۔ افسروں کے نام اسمٰعیل بن نتنیاہ، قریح کے بیٹے یوحنان اور یونتن، سرایاہ بن تنحومت، عیفی نطوفاتی کے بیٹے اور یازنیاہ بن معکاتی تھے۔ اُن کے فوجی بھی ساتھ آئے۔

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یرمیاہ 40:8
29 حوالہ جات  

यूहनान बिन क़रीह, यज़नियाह बिन हूसायाह और दीगर फ़ौजी अफ़सर बाक़ी तमाम लोगों के साथ छोटे से लेकर बड़े तक


मनस्सी के क़बीले के एक आदमी बनाम याईर ने अरजूब पर जसूरियों और माकातियों की सरहद तक क़ब्ज़ा कर लिया था। उसने इस इलाक़े की बस्तियों को अपना नाम दिया। आज तक यही नाम हव्वोत-याईर यानी याईर की बस्तियाँ चलता है।)


फिर अज़रियाह बिन हूसायाह, यूहनान बिन अख़ीक़ाम और तमाम बदतमीज़ आदमी बोल उठे, “तुम झूट बोल रहे हो! रब हमारे ख़ुदा ने तुम्हें यह सुनाने को नहीं भेजा कि मिसर को न जाओ, न वहाँ आबाद हो जाओ।


उसने यूहनान, उसके साथी अफ़सरों और बाक़ी तमाम लोगों को छोटे से लेकर बड़े तक अपने पास बुलाकर


जिदलियाह मिसफ़ाह में ठहरा हुआ था। यरमियाह उसके पास जाकर मुल्क के बचे हुए लोगों के बीच में बसने लगा।


बैत-लहम और नतूफ़ा के बाशिंदे : 188,


नतूफ़ा के 56 बाशिंदे,


अम्मोनी अपने दारुल-हुकूमत रब्बा से निकलकर शहर के दरवाज़े के सामने ही सफ़आरा हुए जबकि उनके अरामी इत्तहादी ज़ोबाह और रहोब मुल्के-तोब और माका के मर्दों समेत कुछ फ़ासले पर खुले मैदान में खड़े हो गए।


अम्मोनियों को ख़ूब मालूम था कि इस हरकत से हम दाऊद के दुश्मन बन गए हैं। इसलिए उन्होंने किराए पर कई जगहों से फ़ौजी तलब किए। बैत-रहोब और ज़ोबाह के 20,000 अरामी प्यादा सिपाही, माका का बादशाह 1,000 फ़ौजियों समेत और मुल्के-तोब के 12,000 सिपाही उनकी मदद करने आए।


शिमाल में उस की सलतनत की सरहद हरमून पहाड़ थी और मशरिक़ में सलका शहर। बसन का तमाम इलाक़ा जसूरियों और माकातियों की सरहद तक उसके हाथ में था और इसी तरह जिलियाद का शिमाली हिस्सा बादशाह सीहोन की सरहद तक।


बल्कि सब यूहनान और बाक़ी तमाम फ़ौजी अफ़सरों की राहनुमाई में मिसर चले गए। उनमें यहूदाह के वह बचे हुए सब लोग शामिल थे जो पहले मुख़्तलिफ़ ममालिक में मुंतशिर हुए थे, लेकिन अब यहूदाह में दुबारा आबाद होने के लिए वापस आए थे।


यहूदाह के मुतअद्दिद बाशिंदे मोआब, अम्मोन, अदोम और दीगर पड़ोसी ममालिक में हिजरत कर गए थे। अब जब उन्हें इत्तला मिली कि शाहे-बाबल ने कुछ बचे हुए लोगों को यहूदाह में छोड़कर जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न को गवर्नर बना दिया है


जब वह इस तरह की बातें करेंगे तो उन्हें सिर्फ़ इतना-सा बताएँ, ‘मैं बादशाह से मिन्नत कर रहा था कि वह मुझे यूनतन के घर में वापस न भेजें, वरना मैं मर जाऊँगा’।”


ऐ मेरे मालिक और बादशाह, मेहरबानी करके मेरी बात सुनें, मेरी गुज़ारिश पूरी करें! मुझे यूनतन मुहर्रिर के घर में वापस न भेजें, वरना मैं मर जाऊँगा।”


उसे देखकर उन्हें यरमियाह पर ग़ुस्सा आया, और वह उस की पिटाई कराकर उसे शाही मुहर्रिर यूनतन के घर में लाए जिसे उन्होंने क़ैदख़ाना बनाया था।


उनके राहनुमा ज़रुब्बाबल, यशुअ, नहमियाह, सिरायाह, रालायाह, मर्दकी, बिलशान, मिसफ़ार, बिगवई, रहूम और बाना थे। ज़ैल की फ़हरिस्त में वापस आए हुए ख़ानदानों के मर्द बयान किए गए हैं।


महरी नतूफ़ाती, हलिद बिन बाना नतूफ़ाती,


सलमा से ज़ैल के घराने निकले : बैत-लहम के बाशिंदे, नतूफ़ाती, अतरात-बैत-योआब, मानहत का आधा हिस्सा, सुरई


कालिब की दूसरी दाश्ता माका के बेटे शिबर, तिर्हना,


लेकिन उस साल के सातवें महीने में इसमाईल बिन नतनियाह बिन इलीसमा ने दस साथियों के साथ मिसफ़ाह आकर धोके से जिदलियाह को क़त्ल किया। इसमाईल शाही नसल का था। जिदलियाह के अलावा उन्होंने उसके साथ रहनेवाले यहूदाह और बाबल के तमाम लोगों को भी क़त्ल किया।


जब फ़ौज के बचे हुए अफ़सरों और उनके दस्तों को ख़बर मिली कि जिदलियाह को गवर्नर मुक़र्रर किया गया है तो वह मिसफ़ाह में उसके पास आए। अफ़सरों के नाम इसमाईल बिन नतनियाह, यूहनान बिन क़रीह, सिरायाह बिन तनहूमत नतूफ़ाती और याज़नियाह बिन माकाती थे। उनके फ़ौजी भी साथ आए।


इलीफ़लत बिन अहस्बी माकाती, इलियाम बिन अख़ीतुफ़ल जिलोनी,


एक दिन यूहनान बिन क़रीह और वह तमाम फ़ौजी अफ़सर जो अब तक देहात में ठहरे हुए थे जिदलियाह से मिलने आए।


मिसफ़ाह में पहुँचकर वह जिदलियाह से कहने लगे, “क्या आपको नहीं मालूम कि अम्मोन के बादशाह बालीस ने इसमाईल बिन नतनियाह को आपको क़त्ल करने के लिए भेजा है?” लेकिन जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम ने उनकी बात का यक़ीन न किया।


तब यूहनान बिन क़रीह मिसफ़ाह आया और अलहदगी में जिदलियाह से मिला। वह बोला, “मुझे इसमाईल बिन नतनियाह के पास जाकर उसे मार देने की इजाज़त दें। किसी को भी पता नहीं चलेगा। क्या ज़रूरत है कि वह आपको क़त्ल करे? अगर वह इसमें कामयाब हो जाए तो आपके पास जमाशुदा हमवतन सबके सब मुंतशिर हो जाएंगे और यहूदाह का बचा हुआ हिस्सा हलाक हो जाएगा।”


इसमाईल बिन नतनियाह बिन इलीसमा शाही नसल का था और पहले शाहे-यहूदाह का आला अफ़सर था। सातवें महीने में वह दस आदमियों को अपने साथ लेकर मिसफ़ाह में जिदलियाह से मिलने आया। जब वह मिलकर खाना खा रहे थे


तो इसमाईल और उसके दस आदमी अचानक उठे और अपनी तलवारों को खींचकर जिदलियाह को मार डाला। यों इसमाईल ने उस आदमी को क़त्ल किया जिसे बाबल के बादशाह ने सूबा यहूदाह पर मुक़र्रर किया था।


लेकिन यूहनान बिन क़रीह और उसके साथी अफ़सरों को इत्तला दी गई कि इसमाईल से क्या जुर्म हुआ है।


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