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یرمیاہ 37:18 - किताबे-मुक़द्दस

18 तब यरमियाह ने सिदक़ियाह बादशाह से अपनी बात जारी रखकर कहा, “मुझसे क्या जुर्म हुआ है? मैंने आपके अफ़सरों और अवाम का क्या क़ुसूर किया है कि मुझे जेल में डलवा दिया?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

18 تَب یرمیاہؔ نے صِدقیاہؔ بادشاہ سے فرمایا، ”مَیں نے آپ کے یا آپ کے حاکموں کے یا اِس قوم کے خِلاف کون سا جُرم کیا ہے جو آپ نے مُجھے قَیدخانہ میں ڈال دیا؟

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کِتابِ مُقادّس

18 اور یَرمِیاؔہ نے صِدقیاہ بادشاہ سے کہا کہ مَیں نے تیرا اور تیرے مُلازِموں کا اور اِن لوگوں کا کیا گُناہ کِیا ہے کہ تُم نے مُجھے قَید خانہ میں ڈالا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

18 تب یرمیاہ نے صِدقیاہ بادشاہ سے اپنی بات جاری رکھ کر کہا، ”مجھ سے کیا جرم ہوا ہے؟ مَیں نے آپ کے افسروں اور عوام کا کیا قصور کیا ہے کہ مجھے جیل میں ڈلوا دیا؟

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یرمیاہ 37:18
15 حوالہ جات  

पौलुस ने अपना दिफ़ा करके कहा, “मुझसे न यहूदी शरीअत, न बैतुल-मुक़द्दस और न शहनशाह के ख़िलाफ़ जुर्म सरज़द हुआ है।”


उसने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें बाप की तरफ़ से कई इलाही निशान दिखाए हैं। तुम मुझे इनमें से किस निशान की वजह से संगसार कर रहे हो?”


मेरी दानिस्त में तो इसने कोई ऐसा काम नहीं किया जो सज़ाए-मौत के लायक़ हो। लेकिन इसने शहनशाह से अपील की है, इसलिए मैंने इसे रोम भेजने का फ़ैसला किया है।


अगर मुझसे कोई ऐसा काम सरज़द हुआ हो जो सज़ाए-मौत के लायक़ हो तो मैं मरने से इनकार नहीं करूँगा। लेकिन अगर बेक़ुसूर हूँ तो किसी को भी मुझे इन आदमियों के हवाले करने का हक़ नहीं है। मैं शहनशाह से अपील करता हूँ!”


मेरे ख़ुदा ने अपने फ़रिश्ते को भेज दिया जिसने शेरों के मुँह को बंद किए रखा। उन्होंने मुझे कोई भी नुक़सान न पहुँचाया, क्योंकि अल्लाह के सामने मैं बेक़ुसूर हूँ। बादशाह सलामत के ख़िलाफ़ भी मुझसे जुर्म नहीं हुआ।”


तो क्या अब मैं आपको हक़ीक़त बताने की वजह से आपका दुश्मन बन गया हूँ?


वहाँ से निकलकर वह एक दूसरे से बात करने लगे। सब इस पर मुत्तफ़िक़ थे कि “इस आदमी ने कुछ नहीं किया जो सज़ाए-मौत या क़ैद के लायक़ हो।”


इसलिए मेरी पूरी कोशिश यही होती है कि हर वक़्त मेरा ज़मीर अल्लाह और इनसान के सामने साफ़ हो।


पौलुस ने ग़ौर से अदालते-आलिया के मेंबरान की तरफ़ देखकर कहा, “भाइयो, आज तक मैंने साफ़ ज़मीर के साथ अल्लाह के सामने ज़िंदगी गुज़ारी है।”


क्या यहूदाह के बादशाह हिज़क़ियाह या यहूदाह के किसी और शख़्स ने मीकाह को सज़ाए-मौत दी? हरगिज़ नहीं, बल्कि हिज़क़ियाह ने रब का ख़ौफ़ मानकर उसका ग़ुस्सा ठंडा करने की कोशिश की। नतीजे में रब ने पछताकर वह सज़ा उन पर नाज़िल न की जिसका एलान वह कर चुका था। सुनें, अगर हम यरमियाह को सज़ाए-मौत दें तो अपने आप पर सख़्त सज़ा लाएँगे।”


बेक़ुसूर पर जुरमाना लगाना ग़लत है, और शरीफ़ को उस की दियानतदारी के सबब से कोड़े लगाना बुरा है।


जो भलाई के एवज़ बुराई करे उसके घर से बुराई कभी दूर नहीं होगी।


फिर याक़ूब को ग़ुस्सा आया और वह लाबन से झगड़ने लगा। उसने पूछा, “मुझसे क्या जुर्म सरज़द हुआ है? मैंने क्या गुनाह किया है कि आप इतनी तुंदी से मेरे ताक़्क़ुब के लिए निकले हैं?


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