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یرمیاہ 36:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 शाही महल में मीरमुंशी के दफ़्तर में चला गया। वहाँ तमाम सरकारी अफ़सर बैठे थे यानी इलीसमा मीरमुंशी, दिलायाह बिन समायाह, इलनातन बिन अकबोर, जमरियाह बिन साफ़न, सिदक़ियाह बिन हननियाह और बाक़ी तमाम मुलाज़िम।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 تو وہ اُتر کر نیچے شاہی محل میں مُنشی کے کمرہ میں گیا جہاں تمام حاکم بیٹھے ہُوئے تھے جِن میں اِلیشمعؔ مُنشی، دِلائیاہؔ بِن شمعیاہؔ، الناتھانؔ بِن عکبورؔ، گمریاہؔ بِن شافانؔ، صِدقیاہؔ بِن حننیاہؔ اَور دُوسرے حاکم بھی بیٹھے ہُوئے تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

12 تو وہ اُتر کر بادشاہ کے گھر مُنشی کی کوٹھری میں گیا اور سب اُمرا یعنی الِیسؔمع مُنشی اور دِلایاؔہ بِن سمعیاؔہ اور اِلناتن بِن عکبُور اور جمرؔیاہ بِن سافن اور صِدؔقیاہ بِن حننیاؔہ اور سب اُمرا وہاں بَیٹھے تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 شاہی محل میں میرمنشی کے دفتر میں چلا گیا۔ وہاں تمام سرکاری افسر بیٹھے تھے یعنی اِلی سمع میرمنشی، دِلایاہ بن سمعیاہ، اِلناتن بن عکبور، جمریاہ بن سافن، صِدقیاہ بن حننیاہ اور باقی تمام ملازم۔

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یرمیاہ 36:12
13 حوالہ جات  

तब यहूयक़ीम ने इलनातन बिन अकबोर और चंद एक आदमियों को वहाँ भेज दिया।


और गो इलनातन, दिलायाह और जमरियाह ने बादशाह से मिन्नत की कि वह तूमार को न जलाए तो भी उसने उनकी न मानी


उसने ख़िलक़ियाह इमाम, अख़ीक़ाम बिन साफ़न, अकबोर बिन मीकायाह, मीरमुंशी साफ़न और अपने ख़ास ख़ादिम असायाह को बुलाकर उन्हें हुक्म दिया,


इसमाईल बिन नतनियाह बिन इलीसमा शाही नसल का था और पहले शाहे-यहूदाह का आला अफ़सर था। सातवें महीने में वह दस आदमियों को अपने साथ लेकर मिसफ़ाह में जिदलियाह से मिलने आया। जब वह मिलकर खाना खा रहे थे


यहूयाकीन 18 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया तीन माह था। उस की माँ नहुश्ता बिंत इलनातन यरूशलम की रहनेवाली थी।


चुनाँचे ख़िलक़ियाह इमाम, अख़ीक़ाम, अकबोर, साफ़न और असायाह ख़ुलदा नबिया को मिलने गए। ख़ुलदा का शौहर सल्लूम बिन तिक़वा बिन ख़र्ख़स रब के घर के कपड़े सँभालता था। वह यरूशलम के नए इलाक़े में रहते थे।


अपनी हुकूमत के 18वें साल में यूसियाह बादशाह ने अपने मीरमुंशी साफ़न बिन असलियाह बिन मसुल्लाम को रब के घर के पास भेजकर कहा,


तब मज़कूरा अफ़सरों ने बादशाह से कहा, “इस आदमी को सज़ाए-मौत दीनी चाहिए, क्योंकि यह शहर में बचे हुए फ़ौजियों और बाक़ी तमाम लोगों को ऐसी बातें बता रहा है जिनसे वह हिम्मत हार गए हैं। यह आदमी क़ौम की बहबूदी नहीं चाहता बल्कि उसे मुसीबत में डालने पर तुला रहता है।”


जब यहूदाह के बुज़ुर्गों को इसकी ख़बर मिली तो वह शाही महल से निकलकर रब के घर के पास पहुँचे। वहाँ वह रब के घर के सहन के नए दरवाज़े में बैठ गए ताकि यरमियाह की अदालत करें।


लेकिन यरमियाह की जान छूट गई। उसे अवाम के हवाले न किया गया, गो वह उसे मार डालना चाहते थे, क्योंकि अख़ीक़ाम बिन साफ़न उसके हक़ में था।


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