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یرمیاہ 34:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 तमाम बुज़ुर्ग और बाक़ी तमाम लोग यह करने पर राज़ी हुए थे। यह अहद करने पर उन्होंने अपने ग़ुलामों को वाक़ई आज़ाद कर दिया था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 چنانچہ تمام حاکموں اَور لوگ جِن کے ساتھ یہ عہد کیا گیا تھا اَپنے اَپنے غُلام اَور لونڈیوں کو آزاد کرنے اَور اُنہیں اَور زِیادہ عرصہ تک غُلامی میں نہ رکھنے پر راضی ہو گئے۔

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کِتابِ مُقادّس

10 اور جب سب اُمرا اور سب لوگوں نے جو اِس عہد میں شامِل تھے سُنا کہ ہر ایک کو لازِم ہے کہ اپنے غُلام اور اپنی لَونڈی کو آزاد کرے اور پِھر اُن سے غُلامی نہ کرائے تُو اُنہوں نے اِطاعت کی اور اُن کو آزاد کر دِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 تمام بزرگ اور باقی تمام لوگ یہ کرنے پر راضی ہوئے تھے۔ یہ عہد کرنے پر اُنہوں نے اپنے غلاموں کو واقعی آزاد کر دیا تھا۔

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یرمیاہ 34:10
12 حوالہ جات  

यह सुनकर बुज़ुर्गों और अवाम के तमाम लोगों ने इमामों और नबियों से कहा, “यह आदमी सज़ाए-मौत के लायक़ नहीं है! क्योंकि उसने रब हमारे ख़ुदा का नाम लेकर हमसे बात की है।”


जब यहूदाह के बुज़ुर्गों को इसकी ख़बर मिली तो वह शाही महल से निकलकर रब के घर के पास पहुँचे। वहाँ वह रब के घर के सहन के नए दरवाज़े में बैठ गए ताकि यरमियाह की अदालत करें।


क्योंकि हेरोदेस यहया से डरता था। वह जानता था कि यह आदमी रास्तबाज़ और मुक़द्दस है, इसलिए वह उस की हिफ़ाज़त करता था। जब भी उससे बात होती तो हेरोदेस सुन सुनकर बड़ी उलझन में पड़ जाता। तो भी वह उस की बातें सुनना पसंद करता था।


तब मज़कूरा अफ़सरों ने बादशाह से कहा, “इस आदमी को सज़ाए-मौत दीनी चाहिए, क्योंकि यह शहर में बचे हुए फ़ौजियों और बाक़ी तमाम लोगों को ऐसी बातें बता रहा है जिनसे वह हिम्मत हार गए हैं। यह आदमी क़ौम की बहबूदी नहीं चाहता बल्कि उसे मुसीबत में डालने पर तुला रहता है।”


शाही महल में मीरमुंशी के दफ़्तर में चला गया। वहाँ तमाम सरकारी अफ़सर बैठे थे यानी इलीसमा मीरमुंशी, दिलायाह बिन समायाह, इलनातन बिन अकबोर, जमरियाह बिन साफ़न, सिदक़ियाह बिन हननियाह और बाक़ी तमाम मुलाज़िम।


रब फ़रमाता है, “यह क़ौम मेरे हुज़ूर आकर अपनी ज़बान और होंटों से तो मेरा एहतराम करती है, लेकिन उसका दिल मुझसे दूर है। उनकी ख़ुदातरसी सिर्फ़ इनसान ही के रटे-रटाए अहकाम पर मबनी है।


लेकिन बाद में वह अपना इरादा बदलकर अपने आज़ाद किए हुए ग़ुलामों को वापस लाए और उन्हें दुबारा अपने ग़ुलाम बना लिया था।


‘अगर तू इबरानी ग़ुलाम ख़रीदे तो वह छः साल तेरा ग़ुलाम रहे। इसके बाद लाज़िम है कि उसे आज़ाद कर दिया जाए। आज़ाद होने के लिए उसे पैसे देने की ज़रूरत नहीं होगी।


पचासवाँ साल मख़सूसो-मुक़द्दस करो और पूरे मुल्क में एलान करो कि तमाम बाशिंदों को आज़ाद कर दिया जाए। यह बहाली का साल हो जिसमें हर शख़्स को उस की मिलकियत वापस की जाए और हर ग़ुलाम को आज़ाद किया जाए ताकि वह अपने रिश्तेदारों के पास वापस जा सके।


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