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یرمیاہ 30:15 - किताबे-मुक़द्दस

15 अब जब चोट लग गई है और लाइलाज दर्द महसूस हो रहा है तो तू मदद के लिए क्यों चीख़ता है? यह मैं ही ने तेरे संगीन क़ुसूर और मुतअद्दिद गुनाहों की वजह से तेरे साथ किया है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

15 تُم اَپنے زخموں کے لیٔے کیوں روتے ہو، کیونکہ تمہارا درد لاعلاج ہے؟ تمہارے سنگین جُرم اَور تمہارے گُناہوں کی کثرت کے باعث مَیں نے تمہارے ساتھ اَیسا سلُوک کیا۔

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کِتابِ مُقادّس

15 تُو اپنی خستگی کے سبب سے کیوں چِلاّتی ہے؟ تیرا درد لاعِلاج ہے۔ اِس لِئے کہ تیری بدکرداری نِہایت بڑھ گئی اور تیرے گُناہ زِیادہ ہو گئے مَیں نے تُجھ سے اَیسا کِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

15 اب جب چوٹ لگ گئی ہے اور لاعلاج درد محسوس ہو رہا ہے تو تُو مدد کے لئے کیوں چیختا ہے؟ یہ مَیں ہی نے تیرے سنگین قصور اور متعدد گناہوں کی وجہ سے تیرے ساتھ کیا ہے۔

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یرمیاہ 30:15
45 حوالہ جات  

तेरे तमाम आशिक़ तुझे भूल गए हैं और तेरी परवा ही नहीं करते। तेरा क़ुसूर बहुत संगीन है, तुझसे बेशुमार गुनाह सरज़द हुए हैं। इसी लिए मैंने तुझे दुश्मन की तरह मारा, ज़ालिम की तरह तंबीह दी है।


क्योंकि रब फ़रमाता है, ‘तेरा ज़ख़म लाइलाज है, तेरी चोट भर ही नहीं सकती।


मैंने रब का ही गुनाह किया है, इसलिए मुझे उसका ग़ज़ब भुगतना पड़ेगा। क्योंकि जब तक वह मेरे हक़ में मुक़दमा लड़कर मेरा इनसाफ़ न करे उस वक़्त तक मैं उसका क़हर बरदाश्त करूँगा। तब वह मुझे तारीकी से निकालकर रौशनी में लाएगा, और मैं अपनी आँखों से उसके इनसाफ़ और वफ़ादारी का मुशाहदा करूँगा।


क्योंकि सामरिया का ज़ख़म लाइलाज है, और वह मुल्के-यहूदाह में भी फैल गया है, वह मेरी क़ौम के दरवाज़े यानी यरूशलम तक पहुँच गया है।


लेकिन यह सब कुछ उसके नबियों और इमामों के सबब से हुआ जिन्होंने शहर ही में रास्तबाज़ों की ख़ूनरेज़ी की।


तो फिर इनसानों में से कौन अपने गुनाहों की सज़ा पाने पर शिकायत करे?


उसके मुख़ालिफ़ मालिक बन गए, उसके दुश्मन सुकून से रह रहे हैं। क्योंकि रब ने शहर को उसके मुतअद्दिद गुनाहों का अज्र देकर उसे दुख पहुँचाया है। उसके फ़रज़ंद दुश्मन के आगे आगे चलकर जिलावतन हो गए हैं।


ऐ कुँवारी मिसर बेटी, मुल्के-जिलियाद में जाकर अपने ज़ख़मों के लिए बलसान ख़रीद ले। लेकिन क्या फ़ायदा? ख़ाह तू कितनी दवाई क्यों न इस्तेमाल करे तेरी चोटें भर ही नहीं सकतीं!


क्योंकि रब फ़रमाता है, ‘मैं तेरे ज़ख़मों को भरकर तुझे शफ़ा दूँगा, क्योंकि लोगों ने तुझे मरदूद क़रार देकर कहा है कि सिय्यून को देखो जिसकी फ़िकर कोई नहीं करता।’


क्या वजह है कि मेरा दर्द कभी ख़त्म नहीं होता, कि मेरा ज़ख़म लाइलाज है और कभी नहीं भरता? तू मेरे लिए फ़रेबदेह चश्मा बन गया है, ऐसी नदी जिसके पानी पर एतमाद नहीं किया जा सकता।


ऐ यहूदाह, तेरे देवता तेरे शहरों जैसे बेशुमार हो गए हैं। शर्मनाक देवता बाल के लिए बख़ूर जलाने की इतनी क़ुरबानगाहें खड़ी की गई हैं जितनी यरूशलम में गलियाँ होती हैं।


“छोटे से लेकर बड़े तक सब ग़लत नफ़ा के पीछे पड़े हैं, नबी से लेकर इमाम तक सब धोकेबाज़ हैं।


तेरा ग़लत काम तुझे सज़ा दे रहा है, तेरी बेवफ़ा हरकतें ही तेरी सरज़निश कर रही हैं। चुनाँचे जान ले और ध्यान दे कि रब अपने ख़ुदा को छोड़कर उसका ख़ौफ़ न मानने का फल कितना बुरा और कड़वा है।” यह क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


उसने गोडी करते करते उसमें से तमाम पत्थर निकाल दिए, फिर बेहतरीन अंगूर की क़लमें लगाईं। बीच में उसने मीनार खड़ा किया ताकि उस की सहीह चौकीदारी कर सके। साथ साथ उसने अंगूर का रस निकालने के लिए पत्थर में हौज़ तराश लिया। फिर वह पहली फ़सल का इंतज़ार करने लगा। बड़ी उम्मीद थी कि अच्छे मीठे अंगूर मिलेंगे। लेकिन अफ़सोस! जब फ़सल पक गई तो छोटे और खट्टे अंगूर ही निकले थे।


लेकिन अगर वह ख़ामोश भी रहे तो कौन उसे मुजरिम क़रार दे सकता है? अगर वह अपने चेहरे को छुपाए रखे तो कौन उसे देख सकता है? वह तो क़ौम पर बल्कि हर फ़रद पर हुकूमत करता है


जो फ़ैसला मेरे बारे में किया गया है उसे मैं झूट क़रार देता हूँ। गो मैं बेक़ुसूर हूँ तो भी तीर ने मुझे यों ज़ख़मी कर दिया कि उसका इलाज मुमकिन ही नहीं।’


अब हम अपनी शरीर हरकतों और बड़े क़ुसूर की सज़ा भुगत रहे हैं, गो ऐ अल्लाह, तूने हमें इतनी सख़्त सज़ा नहीं दी जितनी हमें मिलनी चाहिए थी। तूने हमारा यह बचा-खुचा हिस्सा ज़िंदा छोड़ा है।


कुछ लोग अहमक़ थे, वह अपने सरकश चाल-चलन और गुनाहों के बाइस परेशानियों में मुब्तला हुए।


लेकिन जो तुझे हड़प करें उन्हें भी हड़प किया जाएगा। तेरे तमाम दुश्मन जिलावतन हो जाएंगे। जिन्होंने तुझे लूट लिया उन्हें भी लूटा जाएगा, जिन्होंने तुझे ग़ारत किया उन्हें भी ग़ारत किया जाएगा।’


चाँद से लेकर तल्वे तक पूरा जिस्म मजरूह है, हर जगह चोटें, घाव और ताज़ा ताज़ा ज़रबें लगी हैं। और न उन्हें साफ़ किया गया, न उनकी मरहम-पट्टी की गई है।


ऐ यरूशलम बेटी, मैं किससे तेरा मुवाज़ना करके तेरी हौसलाअफ़्ज़ाई करूँ? ऐ कुँवारी सिय्यून बेटी, मैं किससे तेरा मुक़ाबला करके तुझे तसल्ली दूँ? क्योंकि तुझे समुंदर जैसा वसी नुक़सान पहुँचा है। कौन तुझे शफ़ा दे सकता है?


तेरी चोट भर ही नहीं सकती, तेरा ज़ख़म लाइलाज है। जिसे भी तेरे अंजाम की ख़बर मिले वह ताली बजाएगा। क्योंकि सबको तेरा मुसलसल ज़ुल्मो-तशद्दुद बरदाश्त करना पड़ा।


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