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یرمیاہ 3:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 क्योंकि उस वक़्त यरूशलम ‘रब का तख़्त’ कहलाएगा, और उसमें तमाम अक़वाम रब के नाम की ताज़ीम में जमा हो जाएँगी। तब वह अपने शरीर और ज़िद्दी दिलों के मुताबिक़ ज़िंदगी नहीं गुज़ारेंगी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 اُس وقت یروشلیمؔ یَاہوِہ کا تخت کہلائے گا اَور تمام قومیں یروشلیمؔ میں جمع ہُوں گی اَور یَاہوِہ کے نام کی تمجید کریں گی۔ تَب وہ پھر اَپنے ناپاک دِلوں کی ضِد پر نہ چلیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 اُس وقت یروشلیِم خُداوند کا تخت کہلائے گا اور اُس میں یعنی یروشلیِم میں سب قَومیں خُداوند کے نام سے جمع ہوں گی اور وہ پِھر اپنے بُرے دِل کی سختی کی پَیروی نہ کریں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 کیونکہ اُس وقت یروشلم ’رب کا تخت‘ کہلائے گا، اور اُس میں تمام اقوام رب کے نام کی تعظیم میں جمع ہو جائیں گی۔ تب وہ اپنے شریر اور ضدی دلوں کے مطابق زندگی نہیں گزاریں گی۔

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یرمیاہ 3:17
44 حوالہ جات  

“ऐ आदमज़ाद, यह मेरे तख़्त और मेरे पाँवों के तल्वों का मक़ाम है। यहीं मैं हमेशा तक इसराईलियों के दरमियान सुकूनत करूँगा। आइंदा न कभी इसराईली और न उनके बादशाह मेरे मुक़द्दस नाम की बेहुरमती करेंगे। न वह अपनी ज़िनाकाराना बुतपरस्ती से, न बादशाहों की लाशों से मेरे नाम की बेहुरमती करेंगे।


हमारा मक़दिस अल्लाह का जलाली तख़्त है जो अज़ल से अज़ीम है।


उस दिन बहुत-सी अक़वाम मेरे साथ पैवस्त होकर मेरी क़ौम का हिस्सा बन जाएँगी। मैं ख़ुद तेरे दरमियान सुकूनत करूँगा।” तब तू जान लेगी कि रब्बुल-अफ़वाज ने मुझे तेरे पास भेजा है।


लेकिन उन्होंने न मेरी सुनी, न ध्यान दिया बल्कि हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारता रहा। अहद की जिन बातों पर मैंने उन्हें अमल करने का हुक्म दिया था उन पर उन्होंने अमल न किया। नतीजे में मैं उन पर वह तमाम लानतें लाया जो अहद में बयान की गई हैं।”


फिर वह तमाम अक़वाम में रहनेवाले तुम्हारे भाइयों को घोड़ों, रथों, गाड़ियों, ख़च्चरों और ऊँटों पर सवार करके यरूशलम ले आएँगे। यहाँ मेरे मुक़द्दस पहाड़ पर वह उन्हें ग़ल्ला की नज़र के तौर पर पेश करेंगे। क्योंकि रब फ़रमाता है कि जिस तरह इसराईली अपनी ग़ल्ला की नज़रें पाक बरतनों में रखकर रब के घर में ले आते हैं उसी तरह वह तुम्हारे इसराईली भाइयों को यहाँ पेश करेंगे।


वह परदेसी भी बेफ़िकर रहें जो रब के पैरोकार बनकर उस की ख़िदमत करना चाहते, जो रब का नाम अज़ीज़ रखकर उस की इबादत करते, जो सबत के दिन की बेहुरमती नहीं करते बल्कि उसे मनाते और जो मेरे अहद के साथ लिपटे रहते हैं।


लेकिन आसमानी यरूशलम आज़ाद है और वही हमारी माँ है।


अल्लाह को जानने के बावुजूद उन्होंने उसे वह जलाल न दिया जो उसका हक़ है, न उसका शुक्र अदा किया बल्कि वह बातिल ख़यालात में पड़ गए और उनके बेसमझ दिलों पर तारीकी छा गई।


रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, “जब मैं इसराईलियों को बहाल करूँगा तो मुल्के-यहूदाह और उसके शहरों के बाशिंदे दुबारा कहेंगे, ‘ऐ रास्ती के घर, ऐ मुक़द्दस पहाड़, रब तुझे बरकत दे!’


लेकिन अफ़सोस, यह एतराज़ करेंगे, ‘दफ़ा करो! हम अपने ही मनसूबे जारी रखेंगे। हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ही ज़िंदगी गुज़ारेगा’।”


लेकिन तुम अपने बापदादा की निसबत कहीं ज़्यादा ग़लत काम करते हो। देखो, मेरी कोई नहीं सुनता बल्कि हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारता है।


अपने नाम की ख़ातिर हमें हक़ीर न जान, अपने जलाली तख़्त की बेहुरमती होने न दे! हमारे साथ अपना अहद याद कर, उसे मनसूख़ न कर।


इसके बजाए वह अपने ज़िद्दी दिलों की पैरवी करके बाल देवताओं के पीछे लग गए हैं। उन्होंने वही कुछ किया जो उनके बापदादा ने उन्हें सिखाया था।”


लेकिन उन्होंने मेरी न सुनी, न ध्यान दिया बल्कि अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने लगे। उन्होंने मेरी तरफ़ रुजू न किया बल्कि अपना मुँह मुझसे फेर लिया।


रब फ़रमाता है, “आसमान मेरा तख़्त है और ज़मीन मेरे पाँवों की चौकी, तो फिर वह घर कहाँ है जो तुम मेरे लिए बनाओगे? वह जगह कहाँ है जहाँ मैं आराम करूँगा?”


तब इनसान मग़रिब में रब के नाम का ख़ौफ़ मानेंगे और मशरिक़ में उसे जलाल देंगे। क्योंकि वह रब की फूँक से चलाए हुए ज़ोरदार सैलाब की तरह उन पर टूट पड़ेगा।


ऐ रब, हम तेरे इंतज़ार में रहते हैं, उस वक़्त भी जब तू हमारी अदालत करता है। हम तेरे नाम और तेरी तमजीद के आरज़ूमंद रहते हैं।


जिस साल उज़्ज़ियाह बादशाह ने वफ़ात पाई उस साल मैंने रब को आला और जलाली तख़्त पर बैठे देखा। उसके लिबास के दामन से रब का घर भर गया।


ऐ अल्लाह के शहर, तेरे बारे में शानदार बातें सुनाई जाती हैं। (सिलाह)


वह नहीं चाहता कि वह अपने बापदादा की मानिंद हों जो ज़िद्दी और सरकश नसल थे, ऐसी नसल जिसका दिल साबितक़दम नहीं था और जिसकी रूह वफ़ादारी से अल्लाह से लिपटी न रही।


लेकिन उसके मरने पर वह दुबारा अपनी पुरानी राहों पर चलने लगते, बल्कि जब वह मुड़कर दीगर माबूदों की पैरवी और पूजा करने लगते तो उनकी रविश बापदादा की रविश से भी बुरी होती। वह अपनी शरीर हरकतों और हटधर्म राहों से बाज़ आने के लिए तैयार ही न होते।


बहुत कुछ पोशीदा है, और सिर्फ़ रब हमारा ख़ुदा उसका इल्म रखता है। लेकिन उसने हम पर अपनी शरीअत का इनकिशाफ़ कर दिया है। लाज़िम है कि हम और हमारी औलाद उसके फ़रमाँबरदार रहें।


इन फुँदनों को देखकर तुम्हें रब के तमाम अहकाम याद रहेंगे और तुम उन पर अमल करोगे। फिर तुम अपने दिलों और आँखों की ग़लत ख़ाहिशों के पीछे नहीं पड़ोगे बल्कि ज़िनाकारी से दूर रहोगे।


यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिल बचपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा।


आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।


मैंने देखा कि उनके सरों के ऊपर के गुंबद पर संगे-लाजवर्द का तख़्त-सा नज़र आ रहा है जिस पर कोई बैठा था जिसकी शक्लो-सूरत इनसान की मानिंद है।


चुनाँचे मैं जो उनके आमाल और ख़यालात से वाक़िफ़ हूँ तमाम अक़वाम और अलग अलग ज़बानें बोलनेवालों को जमा करने के लिए नाज़िल हो रहा हूँ। तब वह आकर मेरे जलाल का मुशाहदा करेंगे।


मैंने सोचा, काश मैं तेरे साथ बेटों का-सा सुलूक करके तुझे एक ख़ुशगवार मुल्क दे सकूँ, एक ऐसी मीरास जो दीगर अक़वाम की निसबत कहीं शानदार हो। मैं समझा कि तुम मुझे अपना बाप ठहराकर अपना मुँह मुझसे नहीं फेरोगे।


और रब की हयात की क़सम खाते वक़्त दियानतदारी, इनसाफ़ और सदाक़त से अपना वादा पूरा करे तो ग़ैरअक़वाम मुझसे बरकत पाकर मुझ पर फ़ख़र करेंगी।”


लेकिन बाद में मैं उन पर तरस खाकर हर एक को फिर उस की अपनी मौरूसी ज़मीन और अपने मुल्क में पहुँचा दूँगा।


पहले उन दीगर क़ौमों ने मेरी क़ौम को बाल देवता की क़सम खाने का तर्ज़ सिखाया। लेकिन अब अगर वह मेरी क़ौम की राहें अच्छी तरह सीखकर मेरे ही नाम और मेरी ही हयात की क़सम खाएँ तो मेरी क़ौम के दरमियान रहकर अज़ सरे-नौ क़ायम हो जाएँगी।


ऐ रब, तू मेरी क़ुव्वत और मेरा क़िला है, मुसीबत के दिन मैं तुझमें पनाह लेता हूँ। दुनिया की इंतहा से अक़वाम तेरे पास आकर कहेंगी, “हमारे बापदादा को मीरास में झूट ही मिला, ऐसे बेकार बुत जो उनकी मदद न कर सके।


तब यरूशलम पूरी दुनिया में मेरे लिए मुसर्रत, शोहरत, तारीफ़ और जलाल का बाइस बनेगा। दुनिया के तमाम ममालिक मेरी उस पर मेहरबानी देखकर मुतअस्सिर हो जाएंगे। वह घबराकर काँप उठेंगे जब उन्हें पता चलेगा कि मैंने यरूशलम को कितनी बरकत और सुकून मुहैया किया है।


फ़सील की पूरी लंबाई 9 किलोमीटर है। तब शहर ‘यहाँ रब है’ कहलाएगा।!”


वापस लाऊँगा, और वह यरूशलम में बसेंगे। वहाँ वह मेरी क़ौम होंगे और मैं वफ़ादारी और इनसाफ़ के साथ उनका ख़ुदा हूँगा।’


आइंदा परदेसी भी तेरे नाम के सबब से दूर-दराज़ ममालिक से आएँगे। अगरचे वह तेरी क़ौम इसराईल के नहीं होंगे


रास्ते में ही अल्लाह ने मेरी ताक़त तोड़कर मेरे दिन मुख़तसर कर दिए हैं।


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