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یرمیاہ 26:24 - किताबे-मुक़द्दस

24 लेकिन यरमियाह की जान छूट गई। उसे अवाम के हवाले न किया गया, गो वह उसे मार डालना चाहते थे, क्योंकि अख़ीक़ाम बिन साफ़न उसके हक़ में था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

24 لیکن، احیقامؔ بِن شافانؔ نے یرمیاہؔ کا ساتھ دیا جِس کی وجہ سے وہ قتل کئے جانے کے لیٔے عوام کے حوالہ نہ کیا گیا۔

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کِتابِ مُقادّس

24 پر اخیقاؔم بِن سافن یَرمِیاؔہ کا دستگِیر تھا تاکہ وہ قتل ہونے کے لِئے لوگوں کے حوالہ نہ کِیا جائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

24 لیکن یرمیاہ کی جان چھوٹ گئی۔ اُسے عوام کے حوالے نہ کیا گیا، گو وہ اُسے مار ڈالنا چاہتے تھے، کیونکہ اخی قام بن سافن اُس کے حق میں تھا۔

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یرمیاہ 26:24
21 حوالہ جات  

यरमियाह अब तक शाही मुहाफ़िज़ों के सहन में गिरिफ़्तार था। उन्होंने हुक्म दिया कि उसे वहाँ से निकालकर जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न के हवाले कर दिया जाए ताकि वह उसे उसके अपने घर पहुँचा दे। यों यरमियाह अपने लोगों के दरमियान बसने लगा।


जब ईज़बिल ने रब के तमाम नबियों को क़त्ल करने की कोशिश की थी तो अबदियाह ने 100 नबियों को दो ग़ारों में छुपा दिया था। हर ग़ार में 50 नबी रहते थे, और अबदियाह उन्हें खाने-पीने की चीज़ें पहुँचाता रहता था।)


लेकिन ज़मीन ने ख़ातून की मदद करके अपना मुँह खोल दिया और उस दरिया को निगल लिया जो अज़दहे ने अपने मुँह से निकाल दिया था।


लेकिन उन पर मुक़र्रर अफ़सर पौलुस को बचाना चाहता था, इसलिए उसने उन्हें ऐसा करने न दिया। उसने हुक्म दिया कि पहले वह सब जो तैर सकते हैं पानी में छलाँग लगाकर किनारे तक पहुँचें।


झगड़े ने इतना ज़ोर पकड़ा कि कमाँडर डर गया, क्योंकि ख़तरा था कि वह पौलुस के टुकड़े कर डालें। इसलिए उसने अपने फ़ौजियों को हुक्म दिया कि वह उतरें और पौलुस को यहूदियों के बीच में से छीनकर क़िले में वापस लाएँ।


उसने ख़िलक़ियाह, अख़ीक़ाम बिन साफ़न, अब्दोन बिन मीकाह, मीरमुंशी साफ़न और अपने ख़ास ख़ादिम असायाह को बुलाकर उन्हें हुक्म दिया,


जिन लोगों को बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र ने यहूदाह में पीछे छोड़ दिया था, उन पर उसने जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न मुक़र्रर किया।


यह ख़त इलियासा बिन साफ़न और जमरियाह बिन ख़िलक़ियाह के हाथ बाबल पहुँचा जिन्हें यहूदाह के बादशाह सिदक़ियाह ने बाबल में शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र के पास भेजा था। ख़त में लिखा था,


जब बारूक ने तूमार की तिलावत की तो तमाम लोग हाज़िर थे। उस वक़्त वह रब के घर में शाही मुहर्रिर साफ़न के बेटे जमरियाह के कमरे में बैठा था। यह कमरा रब के घर के ऊपरवाले सहन में था, और सहन का नया दरवाज़ा वहाँ से दूर नहीं था।


तूमार में दर्ज रब के तमाम पैग़ामात सुनकर जमरियाह बिन साफ़न का बेटा मीकायाह


शाही महल में मीरमुंशी के दफ़्तर में चला गया। वहाँ तमाम सरकारी अफ़सर बैठे थे यानी इलीसमा मीरमुंशी, दिलायाह बिन समायाह, इलनातन बिन अकबोर, जमरियाह बिन साफ़न, सिदक़ियाह बिन हननियाह और बाक़ी तमाम मुलाज़िम।


यह सुनकर अफ़सरों ने बारूक से कहा, “अब चले जाएँ, आप और यरमियाह दोनों छुप जाएँ! किसी को भी पता न चले कि आप कहाँ हैं।”


बल्कि बाद में यरहमियेल शाहज़ादा, सिरायाह बिन अज़रियेल और सलमियाह बिन अबदियेल को भेजा ताकि वह बारूक मुंशी और यरमियाह नबी को गिरिफ़्तार करें। लेकिन रब ने उन्हें छुपाए रखा था।


इसराईली क़ौम के 70 बुज़ुर्ग बख़ूरदान पकड़े उनके सामने खड़े थे। बख़ूरदानों में से बख़ूर का ख़ुशबूदार धुआँ उठ रहा था। याज़नियाह बिन साफ़न भी बुज़ुर्गों में शामिल था।


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