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یرمیاہ 25:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 “23 साल से रब का कलाम मुझ पर नाज़िल होता रहा है यानी यूसियाह बिन अमून की हुकूमत के तेरहवें साल से लेकर आज तक। बार बार मैं तुम्हें पैग़ामात सुनाता रहा हूँ, लेकिन तुमने ध्यान नहीं दिया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 گذشتہ تئیس سال سے یعنی شاہِ یہُودیؔہ یُوشیاہؔ بِن امُونؔ کے دَورِ حُکومت کے تیرہویں سال سے آج تک یَاہوِہ کا کلام مُجھ پر نازل ہوتا رہاہے اَور مَیں بار بار اُسے تُمہیں سُناتا رہا لیکن تُم لوگوں نے اُسے سُن کر فراموش کر دیا۔

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کِتابِ مُقادّس

3 کہ شاہِ یہُوداؔہ یوسیاؔہ بِن آمُوؔن کے تیرھویں برس سے آج تک یہ تیئِیس برس خُداوند کا کلام مُجھ پر نازِل ہوتا رہا اور مَیں تُم کو سُناتا اور بر وقت جتاتا رہا پر تُم نے نہ سُنا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 ”23 سال سے رب کا کلام مجھ پر نازل ہوتا رہا ہے یعنی یوسیاہ بن امون کی حکومت کے تیرھویں سال سے لے کر آج تک۔ بار بار مَیں تمہیں پیغامات سناتا رہا ہوں، لیکن تم نے دھیان نہیں دیا۔

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یرمیاہ 25:3
32 حوالہ جات  

नीज़, नबियों के पैग़ामात पर ध्यान दो। अफ़सोस, गो मैं अपने ख़ादिमों को बार बार तुम्हारे पास भेजता रहा तो भी तुमने उनकी न सुनी।


तुम्हारे बापदादा को मिसर से निकालते वक़्त मैंने उन्हें आगाह किया कि मेरी सुनो। आज तक मैं बार बार यही बात दोहराता रहा,


रब का फ़रमान पहली बार यहूदाह के बादशाह यूसियाह बिन अमून की हुकूमत के 13वें साल में यरमियाह पर नाज़िल हुआ,


रब फ़रमाता है, “तुम यह शरीर हरकतें करते रहे, और मैं बार बार तुमसे हमकलाम होता रहा, लेकिन तुमने मेरी न सुनी। मैं तुम्हें बुलाता रहा, लेकिन तुम जवाब देने के लिए तैयार न हुए।


क्यों? इसलिए कि उन्होंने मेरी न सुनी, गो मैं अपने ख़ादिमों यानी नबियों के ज़रीए बार बार उन्हें पैग़ामात भेजता रहा। लेकिन तुमने भी मेरी न सुनी।’ यह रब का फ़रमान है।


अपनी हुकूमत के 18वें साल में यूसियाह ने साफ़न बिन असलियाह, यरूशलम पर मुक़र्रर अफ़सर मासियाह और बादशाह के मुशीरे-ख़ास युआख़ बिन युआख़ज़ को रब अपने ख़ुदा के घर के पास भेजा ताकि उस की मरम्मत करवाएँ। उस वक़्त मुल्क और रब के घर को पाक-साफ़ करने की मुहिम जारी थी।


अपनी हुकूमत के आठवें साल में वह अपने बाप दाऊद के ख़ुदा की मरज़ी तलाश करने लगा, गो उस वक़्त वह जवान ही था। अपनी हुकूमत के 12वें साल में वह ऊँची जगहों के मंदिरों, यसीरत देवी के खंबों और तमाम तराशे और ढाले हुए बुतों को पूरे मुल्क से दूर करने लगा। यों तमाम यरूशलम और यहूदाह इन चीज़ों से पाक-साफ़ हो गया।


कि वक़्त बेवक़्त कलामे-मुक़द्दस की मुनादी करने के लिए तैयार रहें। बड़े सब्र से ईमानदारों को तालीम देकर उन्हें समझाएँ, मलामत करें और उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई भी करें।


जो अल्लाह से है वह अल्लाह की बातें सुनता है। तुम यह इसलिए नहीं सुनते कि तुम अल्लाह से नहीं हो।”


अगले दिन पौ फटते वक़्त वह दुबारा बैतुल-मुक़द्दस में आया। वहाँ सब लोग उसके गिर्द जमा हुए और वह बैठकर उन्हें तालीम देने लगा।


अगले दिन सुबह-सवेरे जब अभी अंधेरा ही था तो ईसा उठकर दुआ करने के लिए किसी वीरान जगह चला गया।


बार बार मैं नबियों को उनके पास भेजता रहा, और बार बार मेरे ख़ादिम कहते रहे कि ऐसी घिनौनी हरकतें मत करना, क्योंकि मुझे इनसे नफ़रत है!


बार बार मैं अपने नबियों को तुम्हारे पास भेजता रहा ताकि मेरे ख़ादिम तुम्हें आगाह करते रहें कि हर एक अपनी बुरी राह तर्क करके वापस आए! अपना चाल-चलन दुरुस्त करो और अजनबी माबूदों की पैरवी करके उनकी ख़िदमत मत करो! फिर तुम उस मुल्क में रहोगे जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे बापदादा को बख़्श दिया था। लेकिन तुमने न तवज्जुह दी, न मेरी सुनी।


मेरे अलावा रब दीगर तमाम नबियों को भी बार बार तुम्हारे पास भेजता रहा, लेकिन तुमने न सुना, न तवज्जुह दी,


उस पर पैसे क्यों ख़र्च करते हो जो रोटी नहीं है? जो सेर नहीं करता उसके लिए मेहनत-मशक़्क़त क्यों करते हो? सुनो, सुनो मेरी बात! फिर तुम अच्छी ख़ुराक खाओगे, बेहतरीन खाने से लुत्फ़अंदोज़ होगे।


काश मेरी क़ौम सुने, इसराईल मेरी राहों पर चले!


उस वक़्त इसराईल के बादशाह ने अपने अफ़सरों से बात की, “देखें, रामात-जिलियाद हमारा ही शहर है। तो फिर हम क्यों कुछ नहीं कर रहे? हमें उसे शाम के बादशाह के क़ब्ज़े से छुड़वाना चाहिए।”


फिर रब ने मूसा से कहा, “जब फ़िरौन सुबह-सवेरे दरिया पर जाए तो तू उसके रास्ते में खड़ा हो जाना। उसे कहना कि रब फ़रमाता है, ‘मेरी क़ौम को जाने दे ताकि वह मेरी इबादत कर सकें।


सुबह-सवेरे इब्राहीम उठा और अपने गधे पर ज़ीन कसा। उसने अपने साथ दो नौकरों और अपने बेटे इसहाक़ को लिया। फिर वह क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ी काटकर उस जगह की तरफ़ रवाना हुआ जो अल्लाह ने उसे बताई थी।


यूसियाह 8 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में रहकर उस की हुकूमत का दौरानिया 31 साल था।


बार बार रब उनके बापदादा का ख़ुदा अपने पैग़ंबरों को उनके पास भेजकर उन्हें समझाता रहा, क्योंकि उसे अपनी क़ौम और सुकूनतगाह पर तरस आता था।


जब से तुम्हारे बापदादा मिसर से निकल आए आज तक मैं रोज़ बरोज़ और बार बार अपने ख़ादिमों यानी नबियों को तुम्हारे पास भेजता रहा।


उन्होंने अपना मुँह मुझसे फेरकर मेरी तरफ़ रुजू करने से इनकार किया है। गो मैं उन्हें बार बार तालीम देता रहा तो भी वह सुनने या मेरी तरबियत क़बूल करने के लिए तैयार नहीं थे।


यूनदब बिन रैकाब पर ग़ौर करो। उसने अपनी औलाद को मै पीने से मना किया, इसलिए उसका घराना आज तक मै नहीं पीता। यह लोग अपने बाप की हिदायात के ताबे रहते हैं। इसके मुक़ाबले में तुम लोग क्या कर रहे हो? गो मैं बार बार तुमसे हमकलाम हुआ तो भी तुमने मेरी नहीं सुनी।


यहूदाह के बादशाह यहूयक़ीम बिन यूसियाह की हुकूमत के चौथे साल में रब का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ,


“तूमार लेकर उसमें इसराईल, यहूदाह और बाक़ी तमाम क़ौमों के बारे में वह तमाम पैग़ामात क़लमबंद कर जो मैंने यूसियाह की हुकूमत से लेकर आज तक तुझ पर नाज़िल किए हैं।


बार बार रब ने अपने नबियों और ग़ैबबीनों को इसराईल और यहूदाह के पास भेजा था ताकि उन्हें आगाह करें, “अपनी शरीर राहों से बाज़ आओ। मेरे अहकाम और क़वायद के ताबे रहो। उस पूरी शरीअत की पैरवी करो जो मैंने तुम्हारे बापदादा को अपने ख़ादिमों यानी नबियों के वसीले से दे दी थी।”


उसने अपने नबियों को लोगों के पास भेजा ताकि वह उन्हें समझाकर रब के पास वापस लाएँ। लेकिन कोई भी उनकी बात सुनने के लिए तैयार न हुआ।


“रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि सुनो! मैं इस शहर और यहूदाह के दीगर शहरों पर वह तमाम मुसीबत लाने को हूँ जिसका एलान मैंने किया है। क्योंकि तुम अड़ गए हो और मेरी बातें सुनने के लिए तैयार ही नहीं।”


मैंने तुझे उस वक़्त आगाह किया था जब तू सुकून से ज़िंदगी गुज़ार रही थी, लेकिन तूने कहा, ‘मैं नहीं सुनूँगी।’ तेरी जवानी से ही तेरा यही रवैया रहा। उस वक़्त से लेकर आज तक तूने मेरी नहीं सुनी।


उस वक़्त जो नरसिंगे की आवाज़ सुनकर परवा न करे वह ख़ुद ज़िम्मादार ठहरेगा अगर दुश्मन उस पर हमला करके उसे क़त्ल करे।


अपने बापदादा की मानिंद न हो जिन्होंने न मेरी सुनी, न मेरी तरफ़ तवज्जुह दी, गो मैंने उस वक़्त के नबियों की मारिफ़त उन्हें आगाह किया था कि अपनी बुरी राहों और शरीर हरकतों से बाज़ आओ।


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