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یرمیاہ 21:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 “बाबल का बादशाह नबूकदनज़्ज़र हम पर हमला कर रहा है। शायद जिस तरह रब ने माज़ी में कई बार किया इस दफ़ा भी हमारी मदद करके नबूकदनज़्ज़र को मोजिज़ाना तौर पर यरूशलम को छोड़ने पर मजबूर करे। रब से इसके बारे में दरियाफ़्त करें।” तब रब का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 ”ہماری خاطِر یَاہوِہ سے دریافت کرو کیونکہ شاہِ بابیل، نبوکدنضرؔ ہم پر حملہ کر رہاہے۔ شاید یَاہوِہ قدیم وقتوں کی طرح ہماری خاطِر کویٔی اَیسا معجزہ کریں کہ نبوکدنضرؔ ہمارے پاس سے واپس جانے کو مجبُور ہو جائے۔“

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کِتابِ مُقادّس

2 کہ ہماری خاطِر خُداوند سے دریافت کر کیونکہ شاہِ بابل نبُوکدؔرضر ہمارے ساتھ لڑائی کرتا ہے۔ شاید خُداوند ہم سے اپنے تمام عجِیب کاموں کے مُوافِق اَیسا سلُوک کرے کہ وہ ہمارے پاس سے چلا جائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 ”بابل کا بادشاہ نبوکدنضر ہم پر حملہ کر رہا ہے۔ شاید جس طرح رب نے ماضی میں کئی بار کیا اِس دفعہ بھی ہماری مدد کر کے نبوکدنضر کو معجزانہ طور پر یروشلم کو چھوڑنے پر مجبور کرے۔ رب سے اِس کے بارے میں دریافت کریں۔“ تب رب کا کلام یرمیاہ پر نازل ہوا،

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یرمیاہ 21:2
44 حوالہ جات  

एक दिन सिदक़ियाह बादशाह ने यहूकल बिन सलमियाह और इमाम सफ़नियाह बिन मासियाह को यरमियाह के पास भेजा ताकि वह गुज़ारिश करें, “मेहरबानी करके रब हमारे ख़ुदा से हमारी शफ़ाअत करें।”


“रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि शाहे-यहूदाह ने तुम्हें मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करने भेजा है। उसे जवाब दो कि फ़िरौन की जो फ़ौज तुम्हारी मदद करने के लिए निकल आई है वह अपने मुल्क वापस लौटने को है।


समुएल बोला, “तूने मुझे पाताल से बुलवाकर क्यों मुज़तरिब कर दिया है?” साऊल ने जवाब दिया, “मैं बड़ी मुसीबत में हूँ। फ़िलिस्ती मुझसे लड़ रहे हैं, और अल्लाह ने मुझे तर्क कर दिया है। न वह नबियों की मारिफ़त मुझे हिदायत देता है, न ख़ाब के ज़रीए। इसलिए मैंने आपको बुलवाया है ताकि आप मुझे बताएँ कि मैं क्या करूँ।”


उसने रब से हिदायत हासिल करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब न मिला, न ख़ाब, न मुक़द्दस क़ुरा डालने से और न नबियों की मारिफ़त।


दुश्मन मिट्टी के पुश्ते बनाकर फ़सील के क़रीब पहुँच चुका है। हम तलवार, काल और मोहलक बीमारियों से इतने कमज़ोर हो गए हैं कि जब बाबल की फ़ौज शहर पर हमला करेगी तो वह उसके क़ब्ज़े में आएगा। जो कुछ भी तूने फ़रमाया था वह पेश आया है। तू ख़ुद इसका गवाह है।


‘ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तूने अपना हाथ बढ़ाकर बड़ी क़ुदरत से आसमानो-ज़मीन को बनाया, तेरे लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं।


जवाब में रब ने असूरियों की लशकरगाह में एक फ़रिश्ता भेजा जिसने तमाम बेहतरीन फ़ौजियों को अफ़सरों और कमाँडरों समेत मौत के घाट उतार दिया। चुनाँचे सनहेरिब शरमिंदा होकर अपने मुल्क लौट गया। वहाँ एक दिन जब वह अपने देवता के मंदिर में दाख़िल हुआ तो उसके कुछ बेटों ने उसे तलवार से क़त्ल कर दिया।


तब रब के फ़रिश्ते ने इलियास तिशबी को हुक्म दिया, “उठ, सामरिया के बादशाह के क़ासिदों से मिलने जा। उनसे पूछ, ‘आप दरियाफ़्त करने के लिए अक़रून के देवता बाल-ज़बूब के पास क्यों जा रहे हैं? क्या इसराईल में कोई ख़ुदा नहीं है?


उन्होंने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या साऊल यहाँ पहुँच चुका है?” रब ने जवाब दिया, “वह सामान के बीच में छुप गया है।”


उससे दरियाफ़्त किया कि हम क्या करें। (उस वक़्त अल्लाह के अहद का संदूक़ बैतेल में था


उस की सलतनत के पहले मरकज़ मुल्के-सिनार में बाबल, अरक, अक्काद और कलना के शहर थे।


ओले और अल्लाह की गरजती आवाज़ें हद से ज़्यादा हैं। रब से दुआ करो ताकि ओले रुक जाएँ। अब मैं तुम्हें जाने दूँगा। अब से तुम्हें यहाँ रहना नहीं पड़ेगा।”


असूर के बादशाह ने बाबल, कूता, अव्वा, हमात और सिफ़रवायम से लोगों को इसराईल में लाकर सामरिया के इसराईलियों से ख़ाली किए गए शहरों में बसा दिया। यह लोग सामरिया पर क़ब्ज़ा करके उसके शहरों में बसने लगे।


हाँ तवज्जुह दो, तुम जो मुक़द्दस शहर के लोग कहलाते और इसराईल के ख़ुदा पर एतमाद करते हो, सुनो कि अल्लाह जिसका नाम रब्बुल-अफ़वाज है क्या फ़रमाता है।


रब ने जवाब दिया, “यक़ीनन मैं तुझे मज़बूत करके अपना अच्छा मक़सद पूरा करूँगा। यक़ीनन मैं होने दूँगा कि मुसीबत के वक़्त दुश्मन तुझसे मिन्नत करे।


और उसने दोनों आदमियों से कहा, “सिदक़ियाह को बताओ कि


एक दिन सिदक़ियाह ने उसे महल में बुलाया। वहाँ अलहदगी में उससे पूछा, “क्या रब की तरफ़ से मेरे लिए कोई पैग़ाम है?” यरमियाह ने जवाब दिया, “जी हाँ। आपको शाहे-बाबल के हवाले किया जाएगा।”


आफ़त पर आफ़त ही उन पर आएगी, यके बाद दीगरे बुरी ख़बरें उन तक पहुँचेंगी। वह नबी से रोया मिलने की उम्मीद करेंगे, लेकिन बेफ़ायदा। न इमाम उन्हें शरीअत की तालीम, न बुज़ुर्ग उन्हें मशवरा दे सकेंगे।


रब उस वक़्त यरमियाह से हमकलाम हुआ जब शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र अपनी पूरी फ़ौज लेकर यरूशलम और यहूदाह के तमाम शहरों पर हमला कर रहा था। उसके साथ दुनिया के उन तमाम ममालिक और क़ौमों की फ़ौजें थीं जिन्हें उसने अपने ताबे कर लिया था।


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