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یرمیاہ 2:25 - किताबे-मुक़द्दस

25 ऐ इसराईल, इतना न दौड़ कि तेरे जूते घिसकर फट जाएँ और तेरा गला ख़ुश्क हो जाए। लेकिन अफ़सोस, तू बज़िद है, ‘नहीं, मुझे छोड़ दे! मैं अजनबी माबूदों को प्यार करती हूँ, और लाज़िम है कि मैं उनके पीछे भागती जाऊँ।’

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

25 تُم اَپنے پاؤں کو ننگے پن سے، اَور اَپنے حلق کو پیاس سے بچاؤ، لیکن تُم نے کہا، ’مجھ سے بات کرنا بے فائدہ ہے! کیونکہ مُجھے غَیر معبُودوں سے مَحَبّت ہو گئی ہے، اَور مَیں تو اُنہیں کی پیروی کرتا رہُوں گا۔‘

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کِتابِ مُقادّس

25 تُو اپنے پاؤں کو برہنگی سے اور اپنے حلق کو پِیاس سے بچا لیکن تُو نے کہا کہ کُچھ اُمّید نہیں۔ ہرگِز نہیں کیونکہ مَیں بے گانوں پر عاشِق ہُوں اور اُن ہی کے پِیچھے جاؤُں گی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

25 اے اسرائیل، اِتنا نہ دوڑ کہ تیرے جوتے گھس کر پھٹ جائیں اور تیرا گلا خشک ہو جائے۔ لیکن افسوس، تُو بضد ہے، ’نہیں، مجھے چھوڑ دے! مَیں اجنبی معبودوں کو پیار کرتی ہوں، اور لازم ہے کہ مَیں اُن کے پیچھے بھاگتی جاؤں۔‘

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یرمیاہ 2:25
27 حوالہ جات  

अपने अजनबी माबूदों से उन्होंने उस की ग़ैरत को जोश दिलाया, अपने घिनौने बुतों से उसे ग़ुस्सा दिलाया।


लेकिन अफ़सोस, यह एतराज़ करेंगे, ‘दफ़ा करो! हम अपने ही मनसूबे जारी रखेंगे। हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ही ज़िंदगी गुज़ारेगा’।”


लेकिन लाज़िम है कि तू अपना क़ुसूर तसलीम करे। इक़रार कर कि मैं रब अपने ख़ुदा से सरकश हुई। मैं इधर-उधर घूमकर हर घने दरख़्त के साये में अजनबी माबूदों की पूजा करती रही, मैंने रब की न सुनी’।” यह रब का फ़रमान है।


क्योंकि नजात पाते वक़्त हमें यह उम्मीद दिलाई गई। लेकिन अगर वह कुछ नज़र आ चुका होता जिसकी उम्मीद हम रखते तो यह दर-हक़ीक़त उम्मीद न होती। कौन उस की उम्मीद रखे जो उसे नज़र आ चुका है?


शीरख़ार बच्चे की ज़बान प्यास के मारे तालू से चिपक गई है। छोटे बच्चे भूक के मारे रोटी माँगते हैं, लेकिन खिलानेवाला कोई नहीं है।


लेकिन रब इस क़ौम के बारे में फ़रमाता है, “यह लोग आवारा फिरने के शौक़ीन हैं, यह अपने पाँवों को रोक ही नहीं सकते। मैं उनसे नाख़ुश हूँ। अब मुझे उनके ग़लत काम याद रहेंगे, अब मैं उनके गुनाहों की सज़ा दूँगा।”


और अगर तेरे दिल में सवाल उभर आए कि मेरे साथ यह क्यों हो रहा है तो सुन! यह तेरे संगीन गुनाहों की वजह से हो रहा है। इन्हीं की वजह से तेरे कपड़े उतारे गए हैं और तेरी इसमतदरी हुई है।


गो तू सफ़र करते करते बहुत थक गई तो भी तूने कभी न कहा, ‘फ़ज़ूल है!’ अब तक तुझे तक़वियत मिलती रही, इसलिए तू निढाल न हुई।


ऐ अल्लाह, तूने अपनी क़ौम, याक़ूब के घराने को तर्क कर दिया है। और क्या अजब! क्योंकि वह मशरिक़ी जादूगरी से भर गए हैं। फ़िलिस्तियों की तरह हमारे लोग भी क़िस्मत का हाल पूछते हैं, वह परदेसियों के साथ बग़लगीर रहते हैं।


गो वह उस वक़्त बड़ी मुसीबत में था तो भी रब से और दूर हो गया।


इसलिए तू उन दुश्मनों की ख़िदमत करेगा जिन्हें रब तेरे ख़िलाफ़ भेजेगा। तू भूका, प्यासा, नंगा और हर चीज़ का हाजतमंद होगा, और रब तेरी गरदन पर लोहे का जुआ रखकर तुझे मुकम्मल तबाही तक ले जाएगा।


वह पुकार उठा, ‘ऐ मेरे बाप इब्राहीम, मुझ पर रहम करें। मेहरबानी करके लाज़र को मेरे पास भेज दें ताकि वह अपनी उँगली को पानी में डुबोकर मेरी ज़बान को ठंडा करे, क्योंकि मैं इस आग में तड़पता हूँ।’


लेकिन बाप ने अपने नौकरों को बुलाया और कहा, ‘जल्दी करो, बेहतरीन सूट लाकर इसे पहनाओ। इसके हाथ में अंगूठी और पाँवों में जूते पहना दो।


वरना मैं उसके कपड़े उतारकर उसे उस नंगी हालत में छोड़ूँगा जिसमें वह पैदा हुई। मैं होने दूँगा कि वह रेगिस्तान और झुलसती ज़मीन में तबदील हो जाए, कि वह प्यास के मारे मर जाए।


हम उन तमाम बातों पर ज़रूर अमल करेंगे जो हमने कही हैं। हम आसमानी मलिका देवी के लिए बख़ूर जलाएँगे और उसे मै की नज़रें पेश करेंगे। हम वही कुछ करेंगे जो हम, हमारे बापदादा, हमारे बादशाह और हमारे बुज़ुर्ग मुल्के-यहूदाह और यरूशलम की गलियों में किया करते थे। क्योंकि उस वक़्त रोटी की कसरत थी और हमारा अच्छा हाल था। उस वक़्त हम किसी भी मुसीबत से दोचार न हुए।


ऐ मौजूदा नसल, रब के कलाम पर ध्यान दो! क्या मैं इसराईल के लिए रेगिस्तान या तारीकतरीन इलाक़े की मानिंद था? मेरी क़ौम क्यों कहती है, ‘अब हम आज़ादी से इधर-उधर फिर सकते हैं, आइंदा हम तेरे हुज़ूर नहीं आएँगे?’


तू उस दिन क्या कहेगी जब रब उन्हें तुझ पर मुक़र्रर करेगा जिन्हें तूने अपने क़रीबी दोस्त बनाया था? जन्म देनेवाली औरत का-सा दर्द तुझ पर ग़ालिब आएगा।


ऐ यरूशलम, लुबनान पर चढ़कर ज़ारो-क़तार रो! बसन की बुलंदियों पर जाकर चीख़ें मार! अबारीम के पहाड़ों की चोटियों पर आहो-ज़ारी कर! क्योंकि तेरे तमाम आशिक़ पाश पाश हो गए हैं।


रात को वह रो रोकर गुज़ारती है, उसके गाल आँसुओं से तर रहते हैं। आशिक़ों में से कोई नहीं रहा जो उसे तसल्ली दे। दोस्त सबके सब बेवफ़ा होकर उसके दुश्मन बन गए हैं।


तुम कहते हो, “हम दीगर क़ौमों की मानिंद होना चाहते, दुनिया के दूसरे ममालिक की तरह लकड़ी और पत्थर की चीज़ों की इबादत करना चाहते हैं।” गो यह ख़याल तुम्हारे ज़हनों में उभर आया है, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा।


उनकी माँ ने ज़िना किया, उन्हें जन्म देनेवाली ने शर्मनाक हरकतें की हैं। वह बोली, ‘मैं अपने आशिक़ों के पीछे भाग जाऊँगी। आख़िर मेरी रोटी, पानी, ऊन, कतान, तेल और पीने की चीज़ें वही मुहैया करते हैं।’


इसमें कि तुम कहते हो, ‘अल्लाह की ख़िदमत करना अबस है। क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज की हिदायात पर ध्यान देने और मुँह लटकाकर उसके हुज़ूर फिरने से हमें क्या फ़ायदा हुआ है?


वह शाम के देवताओं को क़ुरबानियाँ पेश करने लगा, क्योंकि उसका ख़याल था कि इन्हीं ने मुझे शिकस्त दी है। उसने सोचा, “शाम के देवता अपने बादशाहों की मदद करते हैं! अब से मैं उन्हें क़ुरबानियाँ पेश करूँगा ताकि वह मेरी भी मदद करें।” लेकिन यह देवता बादशाह आख़ज़ और पूरी क़ौम के लिए तबाही का बाइस बन गए।


मैंने तुझे उस वक़्त आगाह किया था जब तू सुकून से ज़िंदगी गुज़ार रही थी, लेकिन तूने कहा, ‘मैं नहीं सुनूँगी।’ तेरी जवानी से ही तेरा यही रवैया रहा। उस वक़्त से लेकर आज तक तूने मेरी नहीं सुनी।


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