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یرمیاہ 19:15 - किताबे-मुक़द्दस

15 “रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि सुनो! मैं इस शहर और यहूदाह के दीगर शहरों पर वह तमाम मुसीबत लाने को हूँ जिसका एलान मैंने किया है। क्योंकि तुम अड़ गए हो और मेरी बातें सुनने के लिए तैयार ही नहीं।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

15 ”قادرمُطلق یَاہوِہ بنی اِسرائیل کے خُدا یُوں فرماتے ہیں، ’دیکھو! میں اِس شہر پر اَور اِس کی سَب بستیوں پر وہ تمام آفتیں نازل کر رہا ہُوں جِن کے بھیجنے کا مَیں نے اعلان کیا تھا کیونکہ وہ اِس قدر ضِدّی ہو گئے ہیں کہ میرا کلام سُننا ہی نہیں چاہتے ہیں۔‘ “

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کِتابِ مُقادّس

15 ربُّ الافواج اِسرائیل کا خُدا یُوں فرماتا ہے کہ دیکھو مَیں اِس شہر پر اور اِس کی سب بستِیوں پر وہ تمام بلا جو مَیں نے اِس پر بھیجنے کو کہا تھا لاؤُں گا اِس لِئے کہ اُنہوں نے نِہایت گردن کشی کی تاکہ میری باتوں کو نہ سُنیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

15 ”رب الافواج جو اسرائیل کا خدا ہے فرماتا ہے کہ سنو! مَیں اِس شہر اور یہوداہ کے دیگر شہروں پر وہ تمام مصیبت لانے کو ہوں جس کا اعلان مَیں نے کیا ہے۔ کیونکہ تم اَڑ گئے ہو اور میری باتیں سننے کے لئے تیار ہی نہیں۔“

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یرمیاہ 19:15
23 حوالہ جات  

तो भी उन्होंने न मेरी सुनी, न तवज्जुह दी। वह बज़िद रहे बल्कि अपने बापदादा की निसबत ज़्यादा बुरे थे।


लेकिन उन्होंने मेरी न सुनी, न तवज्जुह दी बल्कि अपने मौक़िफ़ पर अड़े रहे और न मेरी सुनी, न मेरी तरबियत क़बूल की।


तू उन्हें समझाता रहा ताकि वह दुबारा तेरी शरीअत की तरफ़ रुजू करें, लेकिन वह मग़रूर थे और तेरे अहकाम के ताबे न हुए। उन्होंने तेरी हिदायात की ख़िलाफ़वरज़ी की, हालाँकि इन्हीं पर चलने से इनसान को ज़िंदगी हासिल होती है। लेकिन उन्होंने परवा न की बल्कि अपना मुँह तुझसे फेरकर अड़ गए और सुनने के लिए तैयार न हुए।


उन्होंने तेरी सुनने से इनकार किया और वह मोजिज़ात याद न रखे जो तूने उनके दरमियान किए थे। वह यहाँ तक अड़ गए कि उन्होंने एक राहनुमा को मुक़र्रर किया जो उन्हें मिसर की ग़ुलामी में वापस ले जाए। लेकिन तू मुआफ़ करनेवाला ख़ुदा है जो मेहरबान और रहीम, तहम्मुल और शफ़क़त से भरपूर है। तूने उन्हें तर्क न किया,


ऐ रब, तेरी आँखें दियानतदारी देखना चाहती हैं। तूने उन्हें मारा, लेकिन उन्हें दुख न हुआ। तूने उन्हें कुचल डाला, लेकिन वह तरबियत पाने के लिए तैयार नहीं। उन्होंने अपने चेहरे को पत्थर से कहीं ज़्यादा सख़्त बनाकर तौबा करने से इनकार किया है।


ऐ ज़मीन, ध्यान दे कि मैं इस क़ौम पर क्या आफ़त नाज़िल करूँगा। और यह उनके अपने मनसूबों का फल होगा, क्योंकि उन्होंने मेरी बातों पर तवज्जुह न दी बल्कि मेरी शरीअत को रद्द कर दिया।


ऐ इसराईल और यहूदाह, रब्बुल-अफ़वाज ने ख़ुद तुम्हें ज़मीन में लगाया। लेकिन अब उसने तुम पर आफ़त लाने का फ़ैसला किया है। क्यों? तुम्हारे ग़लत काम की वजह से, और इसलिए कि तुमने बाल देवता को बख़ूर की क़ुरबानियाँ पेश करके मुझे तैश दिलाया है।”


उन्हें बता, ‘ऐ यहूदाह के बादशाहो और यरूशलम के बाशिंदो, रब का कलाम सुनो! रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि मैं इस मक़ाम पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजेंगे।


मैंने तुझे उस वक़्त आगाह किया था जब तू सुकून से ज़िंदगी गुज़ार रही थी, लेकिन तूने कहा, ‘मैं नहीं सुनूँगी।’ तेरी जवानी से ही तेरा यही रवैया रहा। उस वक़्त से लेकर आज तक तूने मेरी नहीं सुनी।


मैं उसे उसके बच्चों और मुलाज़िमों समेत उनकी बेदीनी का मुनासिब अज्र दूँगा। क्योंकि मैं उन पर और यरूशलम और यहूदाह के बाशिंदों पर वह तमाम आफ़त नाज़िल करूँगा जिसका एलान मैं कर चुका हूँ। अफ़सोस, उन्होंने मेरी नहीं सुनी।”


इसलिए रब फ़रमाता है कि मैं उन पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा जिससे वह बच नहीं सकेंगे। तब वह मदद के लिए मुझसे फ़रियाद करेंगे, लेकिन मैं उनकी नहीं सुनूँगा।


क्योंकि जिस तरह लँगोटी आदमी की कमर के साथ लिपटी रहती है उसी तरह मैंने पूरे इसराईल और पूरे यहूदाह को अपने साथ लिपटने का मौक़ा फ़राहम किया ताकि वह मेरी क़ौम और मेरी शोहरत, तारीफ़ और इज़्ज़त का बाइस बन जाएँ। लेकिन अफ़सोस, वह सुनने के लिए तैयार नहीं थे।” यह रब का फ़रमान है।


अब यहूदाह और यरूशलम के बाशिंदों से मुख़ातिब होकर कह, ‘रब फ़रमाता है कि मैं तुम पर आफ़त लाने की तैयारियाँ कर रहा हूँ, मैंने तुम्हारे ख़िलाफ़ मनसूबा बाँध लिया है। चुनाँचे हर एक अपनी ग़लत राह से हटकर वापस आए, हर एक अपना चाल-चलन और अपना रवैया दुरुस्त करे।’


“23 साल से रब का कलाम मुझ पर नाज़िल होता रहा है यानी यूसियाह बिन अमून की हुकूमत के तेरहवें साल से लेकर आज तक। बार बार मैं तुम्हें पैग़ामात सुनाता रहा हूँ, लेकिन तुमने ध्यान नहीं दिया।


मेरे अलावा रब दीगर तमाम नबियों को भी बार बार तुम्हारे पास भेजता रहा, लेकिन तुमने न सुना, न तवज्जुह दी,


रब फ़रमाता है, “अफ़सोस! तुमने मेरी न सुनी बल्कि मुझे अपने हाथों के बनाए हुए बुतों से ग़ुस्सा दिलाकर अपने आपको नुक़सान पहुँचाया।”


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “चूँकि तुमने मेरे पैग़ामात पर ध्यान न दिया,


रब ने बेरहमी से याक़ूब की आबादियों को मिटा डाला, क़हर में यहूदाह बेटी के क़िलों को ढा दिया। उसने यहूदाह की सलतनत और बुज़ुर्गों को ख़ाक में मिलाकर उनकी बेहुरमती की है।


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