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یرمیاہ 14:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 “यहूदाह मातम कर रहा है, उसके दरवाज़ों की हालत क़ाबिले-रहम है। लोग सोगवार हालत में फ़र्श पर बैठे हैं, और यरूशलम की चीख़ें आसमान तक बुलंद हो रही हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 ”یہُودیؔہ ماتم کر رہاہے، اَور اُس کے شہری پھاٹکوں پر ماتمی حالت میں تھکے ماندے پڑے ہیں؛ وہ مُلک کے لیٔے ماتم کرتے ہیں، اَور یروشلیمؔ کا کراہنا آسمان کی بُلندیوں تک پہُنچ رہاہے۔

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کِتابِ مُقادّس

2 یہُوداؔہ ماتم کرتا ہے اور اُس کے پھاٹکوں پر اُداسی چھائی ہے۔ وہ ماتمی لِباس میں خاک پر بَیٹھے ہیں اور یروشلیِم کا نالہ بُلند ہُؤا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 ”یہوداہ ماتم کر رہا ہے، اُس کے دروازوں کی حالت قابلِ رحم ہے۔ لوگ سوگ وار حالت میں فرش پر بیٹھے ہیں، اور یروشلم کی چیخیں آسمان تک بلند ہو رہی ہیں۔

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یرمیاہ 14:2
30 حوالہ جات  

शहर के दरवाज़े आहें भर भरकर मातम करेंगे, सिय्यून बेटी तनहा रहकर ख़ाक में बैठ जाएगी।


मेरी क़ौम की मुकम्मल तबाही देखकर मेरा दिल टूट गया है। मैं मातम कर रहा हूँ, क्योंकि उस की हालत इतनी बुरी है कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं।


जो मरने से बचा उसे कम अज़ कम फोड़े निकल आए। चारों तरफ़ लोगों की चीख़-पुकार फ़िज़ा में बुलंद हुई।


वह फ़रमाता है, ‘चूँकि उन्होंने मेरी न सुनी इसलिए मैंने फ़ैसला किया कि जब वह मदद के लिए मुझसे इल्तिजा करें तो मैं भी उनकी नहीं सुनूँगा।


इसलिए रब फ़रमाता है कि मैं उन पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा जिससे वह बच नहीं सकेंगे। तब वह मदद के लिए मुझसे फ़रियाद करेंगे, लेकिन मैं उनकी नहीं सुनूँगा।


उन्हें देखकर क़ौमें डर के मारे पेचो-ताब खाने लगती हैं, हर चेहरा माँद पड़ जाता है।


खेत तबाह हुए, ज़मीन झुलस गई है। अनाज ख़त्म, अंगूर ख़त्म, ज़ैतून ख़त्म।


इसी लिए मुल्क में काल है और उसके तमाम बाशिंदे पज़मुरदा हो गए हैं। जंगली जानवर, परिंदे और मछलियाँ भी फ़ना हो रही हैं।


भूक के मारे हमारी जिल्द तनूर जैसी गरम होकर चुरमुर हो गई है।


शहर के दरवाज़े ज़मीन में धँस गए, उनके कुंडे टूटकर बेकार हो गए। यरूशलम के बादशाह और राहनुमा दीगर अक़वाम में जिलावतन हो गए हैं। अब न शरीअत रही, न सिय्यून के नबियों को रब की रोया मिलती है।


अचानक उन पर जंगी दस्ते ला ताकि उनके घरों से चीख़ों की आवाज़ें बुलंद हों। क्योंकि उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए गढ़ा खोदा है, उन्होंने मेरे पाँवों को फँसाने के लिए मेरे रास्ते में फंदे छुपा रखे हैं।


मुल्क कब तक काल की गिरिफ़्त में रहेगा? खेतों में हरियाली कब तक मुरझाई हुई नज़र आएगी? बाशिंदों की बुराई के बाइस जानवर और परिंदे ग़ायब हो गए हैं। क्योंकि लोग कहते हैं, “अल्लाह को नहीं मालूम कि हमारे साथ क्या हो जाएगा।”


ज़मीन मातम करेगी और आसमान तारीक हो जाएगा, क्योंकि मैं यह फ़रमा चुका हूँ, और मेरा इरादा अटल है। न मैं यह करने से पछताऊँगा, न इससे बाज़ आऊँगा।”


ज़मीन ख़ुश्क होकर मुरझा गई है, लुबनान कुमलाकर शरमिंदा हो गया है। शारून का मैदान बेशजर बयाबान-सा बन गया है, बसन और करमिल अपने पत्ते झाड़ रहे हैं।


अंगूर का ताज़ा रस सूखकर ख़त्म हो रहा, अंगूर की बेलें मुरझा रही हैं। जो पहले ख़ुशबाश थे वह आहें भरने लगे हैं।


ज़मीन सूख सूखकर सुकड़ जाएगी, दुनिया ख़ुश्क होकर मुरझा जाएगी। उसके बड़े बड़े लोग भी निढाल हो जाएंगे।


मेरा दिल मोआब को देखकर रो रहा है। उसके मुहाजिरीन भागकर ज़ुग़र और इजलत-शलीशियाह तक पहुँच रहे हैं। लोग रो रोकर लूहीत की तरफ़ चढ़ रहे हैं, वह होरोनायम तक जानेवाले रास्ते पर चलते हुए अपनी तबाही पर गिर्याओ-ज़ारी कर रहे हैं।


सुनो, इसराईली क़ौम अंगूर का बाग़ है जिसका मालिक रब्बुल-अफ़वाज है। यहूदाह के लोग उसके लगाए हुए पौदे हैं जिनसे वह लुत्फ़अंदोज़ होना चाहता है। वह उम्मीद रखता था कि इनसाफ़ की फ़सल पैदा होगी, लेकिन अफ़सोस! उन्होंने ग़ैरक़ानूनी हरकतें कीं। रास्ती की तवक़्क़ो थी, लेकिन मज़लूमों की चीख़ें ही सुनाई दीं।


क्योंकि उनकी हरकतों के बाइस पस्तहालों की चीख़ें अल्लाह के सामने और मुसीबतज़दों की इल्तिजाएँ उसके कान तक पहुँचीं।


“कल मैं इसी वक़्त मुल्के-बिनयमीन का एक आदमी तेरे पास भेज दूँगा। उसे मसह करके मेरी क़ौम इसराईल पर बादशाह मुक़र्रर कर। वह मेरी क़ौम को फ़िलिस्तियों से बचाएगा। क्योंकि मैंने अपनी क़ौम की मुसीबत पर ध्यान दिया है, और मदद के लिए उस की चीख़ें मुझ तक पहुँच गई हैं।”


अल्लाह ने उनकी आहें सुनीं और उस अहद को याद किया जो उसने इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से बाँधा था।


हमारे गाय-बैल मोटे-ताज़े हों, और न कोई ज़ाया हो जाए, न किसी को नुक़सान पहुँचे। हमारे चौकों में आहो-ज़ारी की आवाज़ सुनाई न दे।


गलियों में लोग गिर्याओ-ज़ारी कर रहे हैं कि मै ख़त्म है। हर ख़ुशी दूर हो गई है, हर शादमानी ज़मीन से ग़ायब है।


अब वह बंजर ज़मीन बनकर उजाड़ हालत में मेरे सामने मातम करता है। पूरा मुल्क वीरानो-सुनसान है, लेकिन कोई परवा नहीं करता।


तेरी शरमिंदगी की ख़बर दीगर अक़वाम में फैल गई है, तेरी चीख़ें पूरी दुनिया में गूँज रही हैं। क्योंकि तेरे सूरमे एक दूसरे से ठोकर खाकर गिर गए हैं।”


रब ने फ़ैसला किया कि सिय्यून बेटी की फ़सील को गिरा दिया जाए। उसने फ़ीते से दीवारों को नाप नापकर अपने हाथ को न रोका जब तक सब कुछ तबाह न हो गया। तब क़िलाबंदी के पुश्ते और फ़सील मातम करते करते ज़ाया हो गए।


इसी लिए मैंने हुक्म दिया कि खेतों में और पहाड़ों पर काल पड़े, कि मुल्क का अनाज, अंगूर, ज़ैतून बल्कि ज़मीन की हर पैदावार उस की लपेट में आ जाए। इनसानो-हैवान उस की ज़द में आ गए हैं, और तुम्हारी मेहनत-मशक़्क़त ज़ाया हो रही है।”


ऐ काश्तकारो, शर्मसार हो जाओ! ऐ अंगूर के बाग़बानो, आहो-बुका करो! क्योंकि खेत की फ़सल बरबाद हो गई है, गंदुम और जौ की फ़सल ख़त्म ही है।


मुक़द्दस रोज़े का एलान करो। लोगों को ख़ास इजतिमा के लिए बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को रब अपने ख़ुदा के घर में जमा करके बुलंद आवाज़ से रब से इल्तिजा करो।


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