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یرمیاہ 13:27 - किताबे-मुक़द्दस

27 मैंने पहाड़ी और मैदानी इलाक़ों में तेरी घिनौनी हरकतों पर ख़ूब ध्यान दिया है। तेरी ज़िनाकारी, तेरा मस्ताना हिनहिनाना, तेरी बेशर्म इसमतफ़रोशी, सब कुछ मुझे नज़र आता है। ऐ यरूशलम, तुझ पर अफ़सोस! तू पाक-साफ़ हो जाने के लिए तैयार नहीं। मज़ीद कितनी देर लगेगी?”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

27 تمہاری زناکاری اَور پُر شہوت ہنہناہٹ، اَور تمہاری بے حیا جِسم فروشی! اَور پہاڑوں پر اَور میدانوں میں تمہارے مکرُوہ کام مَیں دیکھ چُکا ہُوں۔ اَے یروشلیمؔ، تُجھ پر ہائے، تُو خُود کو کب تک ناپاک رکھے گی؟“

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کِتابِ مُقادّس

27 مَیں نے تیری بدکاری تیرا ہِنہنانا تیری حرام کاری اور تیرے نفرت انگیز کام جو تُو نے پہاڑوں پر اور مَیدانوں میں کِئے دیکھے ہیں۔ اَے یروشلیِم تُجھ پر افسوس! تُو اپنے آپ کو کب تک پاک و صاف نہ کرے گی؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

27 مَیں نے پہاڑی اور میدانی علاقوں میں تیری گھنونی حرکتوں پر خوب دھیان دیا ہے۔ تیری زناکاری، تیرا مستانہ ہنہنانا، تیری بےشرم عصمت فروشی، سب کچھ مجھے نظر آتا ہے۔ اے یروشلم، تجھ پر افسوس! تُو پاک صاف ہو جانے کے لئے تیار نہیں۔ مزید کتنی دیر لگے گی؟“

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یرمیاہ 13:27
32 حوالہ جات  

ऐ सामरिया, मैंने तेरे बछड़े को रद्द कर दिया है! मेरा ग़ज़ब तेरे बाशिंदों पर नाज़िल होनेवाला है, क्योंकि वह पाक-साफ़ हो जाने के क़ाबिल ही नहीं! यह हालत कब तक जारी रहेगी?


ऐ यरूशलम, अपनी बेहया हरकतों से तूने अपने आपको नापाक कर दिया है। अगरचे मैं ख़ुद तुझे पाक-साफ़ करना चाहता था तो भी तू पाक-साफ़ न हुई। अब तू उस वक़्त तक पाक नहीं होगी जब तक मैं अपना पूरा ग़ुस्सा तुझ पर उतार न लूँ।


वह जान लेंगे कि मैं रब हूँ जब उनके मक़तूल उनके बुतों के दरमियान, उनकी क़ुरबानगाहों के इर्दगिर्द, हर पहाड़ और पहाड़ की चोटी पर और हर हरे दरख़्त और बलूत के घने दरख़्त के साये में नज़र आएँगे। जहाँ भी वह अपने बुतों को ख़ुश करने के लिए कोशाँ रहे वहाँ उनकी लाशें पाई जाएँगी।


रब फ़रमाता है, “उन्हें न सिर्फ़ उनके अपने गुनाहों की सज़ा मिलेगी बल्कि बापदादा के गुनाहों की भी। चूँकि उन्होंने पहाड़ों पर बख़ूर की क़ुरबानियाँ चढ़ाकर मेरी तहक़ीर की इसलिए मैं उनकी झोली उनकी हरकतों के मुआवज़े से भर दूँगा।”


कोसना, झूट बोलना, चोरी और ज़िना करना आम हो गया है। रोज़ बरोज़ क़त्लो-ग़ारत की नई ख़बरें मिलती रहती हैं।


क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि एक बार फिर मैं इसराईली क़ौम की इल्तिजाएँ सुनकर बाशिंदों की तादाद रेवड़ की तरह बढ़ा दूँगा।


“ऐ सादालौह लोगो, तुम कब तक अपनी सादालौही से मुहब्बत रखोगे? मज़ाक़ उड़ानेवाले कब तक अपने मज़ाक़ से लुत्फ़ उठाएँगे, अहमक़ कब तक इल्म से नफ़रत करेंगे?


फिर देखते देखते मैंने एक उक़ाब को सुना जिसने मेरे सर के ऊपर ही बुलंदियों पर उड़ते हुए ऊँची आवाज़ से पुकारा, “अफ़सोस! अफ़सोस! ज़मीन के बाशिंदों पर अफ़सोस! क्योंकि तीन फ़रिश्तों के तुरमों की आवाज़ें अभी बाक़ी हैं।”


बेवफ़ा लोगो! क्या आपको नहीं मालूम कि दुनिया का दोस्त अल्लाह का दुश्मन होता है? जो दुनिया का दोस्त बनना चाहता है वह अल्लाह का दुश्मन बन जाता है।


हाँ, मुझे डर है कि अगली दफ़ा जब आऊँगा तो अल्लाह मुझे आपके सामने नीचा दिखाएगा, और मैं उन बहुतों के लिए ग़म खाऊँगा जिन्होंने माज़ी में गुनाह करके अब तक अपनी नापाकी, ज़िनाकारी और ऐयाशी से तौबा नहीं की।


मेरे अज़ीज़ो, यह तमाम वादे हमसे किए गए हैं। इसलिए आएँ, हम अपने आपको हर उस चीज़ से पाक-साफ़ करें जो जिस्म और रूह को आलूदा कर देती है। और हम ख़ुदा के ख़ौफ़ में मुकम्मल तौर पर मुक़द्दस बनने के लिए कोशाँ रहें।


“ऐ ख़ुराज़ीन, तुझ पर अफ़सोस! बैत-सैदा, तुझ पर अफ़सोस! अगर सूर और सैदा में वह मोजिज़े किए गए होते जो तुममें हुए तो वहाँ के लोग कब के टाट ओढ़कर और सर पर राख डालकर तौबा कर चुके होते।


उस सरकश, नापाक और ज़ालिम शहर पर अफ़सोस जो यरूशलम कहलाता है।


जब रब पहली बार होसेअ से हमकलाम हुआ तो उसने हुक्म दिया, “जा, ज़िनाकार औरत से शादी कर और ज़िनाकार बच्चे पैदा कर, क्योंकि मुल्क रब की पैरवी छोड़कर मुसलसल ज़िना करता रहता है।”


मैं तुम पर साफ़ पानी छिड़कूँगा तो तुम पाक-साफ़ हो जाओगे। हाँ, मैं तुम्हें तमाम नापाकियों और बुतों से पाक-साफ़ कर दूँगा।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि यरूशलम पर अफ़सोस जिसमें इतना ख़ून बहाया गया है! यह शहर देग है जिसमें ज़ंग लगा है, ऐसा ज़ंग जो उतरता नहीं। अब गोश्त के टुकड़ों को यके बाद दीगरे देग से निकाल दे। उन्हें किसी तरतीब से मत निकालना बल्कि क़ुरा डाले बग़ैर निकाल दे।


मैंने तो उनसे मुल्के-इसराईल देने की क़सम खाकर वादा किया था। लेकिन ज्योंही मैं उन्हें उसमें लाया तो जहाँ भी कोई ऊँची जगह या सायादार दरख़्त नज़र आया वहाँ वह अपने जानवरों को ज़बह करने, तैश दिलानेवाली क़ुरबानियाँ चढ़ाने, ख़ुशबूदार बख़ूर जलाने और मै की नज़रें पेश करने लगे।


तूमार को खोला गया तो मैंने देखा कि उसमें आगे भी और पीछे भी मातम और आहो-ज़ारी क़लमबंद हुई है।


तूने अपना बिस्तर ऊँचे पहाड़ पर लगाया, उस पर चढ़कर अपनी क़ुरबानियाँ पेश कीं।


वह कुफ़र की बातें उगलते रहते, तमाम बदकार शेख़ी मारते रहते हैं।


यूसियाह बादशाह की हुकूमत के दौरान रब मुझसे हमकलाम हुआ, “क्या तूने वह कुछ देखा जो बेवफ़ा इसराईल ने किया है? उसने हर बुलंदी पर और हर घने दरख़्त के साये में ज़िना किया है।


ऐ क़ौम के नादानो, ध्यान दो! ऐ अहमक़ो, तुम्हें कब समझ आएगी?


मेरी प्यारी क़ौम मेरे घर में क्यों हाज़िर होती है? वह तो अपनी बेशुमार साज़िशों से बाज़ ही नहीं आती। क्या आनेवाली आफ़त क़ुरबानी का मुक़द्दस गोश्त पेश करने से रुक जाएगी? अगर ऐसा होता तो तू ख़ुशी मना सकती।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, ‘अफ़सोस, तुझ पर अफ़सोस! अपनी बाक़ी तमाम शरारतों के अलावा


लेकिन बेफ़ायदा! इतना ज़ंग लगा है कि वह आग में भी नहीं उतरता।


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