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یعقوب 5:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 भाइयो, एक दूसरे पर मत बुड़बुड़ाना, वरना आपकी अदालत की जाएगी। मुंसिफ़ तो दरवाज़े पर खड़ा है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 اَے بھائیوں اَور بہنوں! ایک دُوسرے کی شکایت کرنے اَور بُڑبُڑانے سے باز رہو تاکہ تُم سزا نہ پاؤ۔ دیکھو! اِنصاف کرنے والا دروازہ پر کھڑا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

9 اَے بھائِیو! ایک دُوسرے کی شِکایت نہ کرو تاکہ تُم سزا نہ پاؤ۔ دیکھو مُنصِف دروازہ پر کھڑا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 بھائیو، ایک دوسرے پر مت بڑبڑانا، ورنہ آپ کی عدالت کی جائے گی۔ منصف تو دروازے پر کھڑا ہے۔

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یعقوب 5:9
21 حوالہ جات  

इंतक़ाम न लेना। अपनी क़ौम के किसी शख़्स पर देर तक तेरा ग़ुस्सा न रहे बल्कि अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है। मैं रब हूँ।


इसलिए वक़्त से पहले किसी बात का फ़ैसला न करें। उस वक़्त तक इंतज़ार करें जब तक ख़ुदावंद न आए। क्योंकि वही तारीकी में छुपी हुई चीज़ों को रौशनी में लाएगा और दिलों की मनसूबाबंदियों को ज़ाहिर कर देगा। उस वक़्त अल्लाह ख़ुद हर फ़रद की मुनासिब तारीफ़ करेगा।


भाइयो, एक दूसरे पर तोहमत मत लगाना। जो अपने भाई पर तोहमत लगाता या उसे मुजरिम ठहराता है वह शरीअत पर तोहमत लगाता है और शरीअत को मुजरिम ठहराता है। और जब आप शरीअत पर तोहमत लगाते हैं तो आप उसके पैरोकार नहीं रहते बल्कि उसके मुंसिफ़ बन गए हैं।


इसी तरह जब तुम यह वाक़ियात देखोगे तो जान लोगे कि इब्ने-आदम की आमद क़रीब बल्कि दरवाज़े पर है।


बुड़बुड़ाए बग़ैर एक दूसरे की मेहमान-नवाज़ी करें।


क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।”


न हम मग़रूर हों, न एक दूसरे को मुश्तइल करें या एक दूसरे से हसद करें।


लेकिन उन्हें अल्लाह को जवाब देना पड़ेगा जो ज़िंदों और मुरदों की अदालत करने के लिए तैयार खड़ा है।


क्योंकि पूरी शरीअत एक ही हुक्म में समाई हुई है, “अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है।”


यह माजरे इबरत की ख़ातिर उन पर वाक़े हुए और हम अख़ीर ज़माने में रहनेवालों की नसीहत के लिए लिखे गए।


इसी तरह जब तुम यह वाक़ियात देखोगे तो जान लोगे कि इब्ने-आदम की आमद क़रीब बल्कि दरवाज़े पर है।


हर एक उतना दे जितना देने के लिए उसने पहले अपने दिल में ठहरा लिया है। वह इसमें तकलीफ़ या मजबूरी महसूस न करे, क्योंकि अल्लाह उससे मुहब्बत रखता है जो ख़ुशी से देता है।


इस वजह से हेरोदियास उससे कीना रखती और उसे क़त्ल कराना चाहती थी। लेकिन इसमें वह नाकाम रही


वह इधर-उधर गश्त लगाकर खाने की चीज़ें ढूँडते हैं। अगर पेट न भरे तो ग़ुर्राते रहते हैं।


देख, मैं दरवाज़े पर खड़ा खटखटा रहा हूँ। अगर कोई मेरी आवाज़ सुनकर दरवाज़ा खोले तो मैं अंदर आकर उसके साथ खाना खाऊँगा और वह मेरे साथ।


अदालत का दिन क़रीब ही है। उस वक़्त जो कुछ ख़रीदे वह ख़ुश न हो, और जो कुछ फ़रोख़्त करे वह ग़म न खाए। क्योंकि अब इन चीज़ों का कोई फ़ायदा नहीं, इलाही ग़ज़ब सब पर नाज़िल हो रहा है।


शरीअत देनेवाला और मुंसिफ़ सिर्फ़ एक ही है और वह है अल्लाह जो नजात देने और हलाक करने के क़ाबिल है। तो फिर आप कौन हैं जो अपने आपको मुंसिफ़ समझकर अपने पड़ोसी को मुजरिम ठहरा रहे हैं!


भाइयो, अब सब्र से ख़ुदावंद की आमद के इंतज़ार में रहें। किसान पर ग़ौर करें जो इस इंतज़ार में रहता है कि ज़मीन अपनी क़ीमती फ़सल पैदा करे। वह कितने सब्र से ख़रीफ़ और बहार की बारिशों का इंतज़ार करता है!


भाइयो, उन नबियों के नमूने पर चलें जिन्होंने रब के नाम में कलाम पेश करके सब्र से दुख उठाया।


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