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یعقوب 4:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 देखें, आप यह भी नहीं जानते कि कल क्या होगा। आपकी ज़िंदगी चीज़ ही किया है! आप भाप ही हैं जो थोड़ी देर के लिए नज़र आती, फिर ग़ायब हो जाती है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 جَب کہ سچ تو یہ کہ تُم یہ بھی نہیں جانتے کہ کل کیا ہوگا؟ ذرا سُنو تو؛ تمہاری زندگی ہے ہی کیا؟ وہ صِرف دُھواں کی مانند ہے جو تھوڑی دیر کے لیٔے نظر آتی اَور پھر غائب ہو جاتی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

14 اور یہ جانتے نہیں کہ کل کیا ہو گا۔ ذرا سُنو تو! تُمہاری زِندگی چِیز ہی کیا ہے؟ بُخارات کا سا حال ہے۔ ابھی نظر آئے۔ ابھی غائِب ہو گئے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 دیکھیں، آپ یہ بھی نہیں جانتے کہ کل کیا ہو گا۔ آپ کی زندگی چیز ہی کیا ہے! آپ بھاپ ہی ہیں جو تھوڑی دیر کے لئے نظر آتی، پھر غائب ہو جاتی ہے۔

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یعقوب 4:14
17 حوالہ جات  

यों कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “तमाम इनसान घास ही हैं, उनकी तमाम शानो-शौकत जंगली फूल की मानिंद है। घास तो मुरझा जाती और फूल गिर जाता है,


देख, मेरी ज़िंदगी का दौरानिया तेरे सामने लमहा-भर का है। मेरी पूरी उम्र तेरे नज़दीक कुछ भी नहीं है। हर इनसान दम-भर का ही है, ख़ाह वह कितनी ही मज़बूती से खड़ा क्यों न हो। (सिलाह)


दुनिया और उस की वह चीज़ें जो इनसान चाहता है ख़त्म हो रही हैं, लेकिन जो अल्लाह की मरज़ी पूरी करता है वह अबद तक जीता रहेगा।


क्योंकि मेरे दिन धुएँ की तरह ग़ायब हो रहे हैं, मेरी हड्डियाँ कोयलों की तरह दहक रही हैं।


जबकि दौलतमंद शख़्स अपने अदना मरतबे पर फ़ख़र करे, क्योंकि वह जंगली फूल की तरह जल्द ही जाता रहेगा।


याद रहे कि मेरी ज़िंदगी कितनी मुख़तसर है, कि तूने तमाम इनसान कितने फ़ानी ख़लक़ किए हैं।


तमाम चीज़ों का ख़ातमा क़रीब आ गया है। चुनाँचे दुआ करने के लिए चुस्त और होशमंद रहें।


मेरे घर को गल्लाबानों के ख़ैमे की तरह उतारा गया है, वह मेरे ऊपर से छीन लिया गया है। मैंने अपनी ज़िंदगी को जूलाहे की तरह इख़्तिताम तक बुन लिया है। अब उसने मुझे काटकर ताँत के धागों से अलग कर दिया है। एक दिन के अंदर अंदर तूने मुझे ख़त्म किया।


क्योंकि उसे याद रहा कि वह फ़ानी इनसान हैं, हवा का एक झोंका जो गुज़रकर कभी वापस नहीं आता।


इनसान दम-भर का ही है, उसके दिन तेज़ी से गुज़रनेवाले साये की मानिंद हैं।


उस पर शेख़ी न मार जो तू कल करेगा, तुझे क्या मालूम कि कल का दिन क्या कुछ फ़राहम करेगा?


चुनाँचे इनसान पर एतमाद करने से बाज़ आओ जिसकी ज़िंदगी दम-भर की है। उस की क़दर ही क्या है?


लेकिन बरज़िल्ली ने इनकार किया, “मेरी ज़िंदगी के थोड़े दिन बाक़ी हैं, मैं क्यों यरूशलम में जा बसूँ?


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