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یعقوب 2:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 मेरे भाइयो, अगर कोई ईमान रखने का दावा करे, लेकिन उसके मुताबिक़ ज़िंदगी न गुज़ारे तो उसका क्या फ़ायदा है? क्या ऐसा ईमान उसे नजात दिला सकता है?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 اَے میرے بھائیوں اَور بہنوں! اگر کویٔی کہے کہ میں ایمان رکھتا ہُوں اَور وہ اعمال نہ کرتا ہو تو کیا فائدہ؟ کیا اَیسا ایمان اُسے نَجات دے سَکتا ہے؟

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کِتابِ مُقادّس

14 اَے میرے بھائِیو! اگر کوئی کہے کہ مَیں اِیمان دار ہُوں مگر عمل نہ کرتا ہو تو کیا فائِدہ؟ کیا اَیسا اِیمان اُسے نجات دے سکتا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 میرے بھائیو، اگر کوئی ایمان رکھنے کا دعویٰ کرے، لیکن اُس کے مطابق زندگی نہ گزارے تو اِس کا کیا فائدہ ہے؟ کیا ایسا ایمان اُسے نجات دلا سکتا ہے؟

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یعقوب 2:14
31 حوالہ جات  

लेकिन जो मेरी बात सुनता और उस पर अमल नहीं करता वह उस शख़्स की मानिंद है जिसने अपना मकान बुनियाद के बग़ैर ज़मीन पर ही तामीर किया। ज्योंही ज़ोर से बहता हुआ पानी उससे टकराया तो वह गिर गया और सरासर तबाह हो गया।”


यह अल्लाह को जानने का दावा तो करते हैं, लेकिन उनकी हरकतें इस बात का इनकार करती हैं। यह घिनौने, नाफ़रमान और कोई भी अच्छा काम करने के क़ाबिल नहीं हैं।


यह सब कुछ पेशे-नज़र रखकर पूरी लग्न से कोशिश करें कि आपके ईमान से अख़लाक़ पैदा हो जाए, अख़लाक़ से इल्म,


ग़रज़, जिस तरह बदन रूह के बग़ैर मुरदा है उसी तरह ईमान भी नेक आमाल के बग़ैर मुरदा है।


यह ईमान का काम था कि इब्राहीम ने उस वक़्त इसहाक़ को क़ुरबानी के तौर पर पेश किया जब अल्लाह ने उसे आज़माया। हाँ, वह अपने इकलौते बेटे को क़ुरबान करने के लिए तैयार था अगरचे उसे अल्लाह के वादे मिल गए थे


तरह तरह की और बेगाना तालीमात आपको इधर-उधर न भटकाएँ। आप तो अल्लाह के फ़ज़ल से तक़वियत पाते हैं और इससे नहीं कि आप मुख़्तलिफ़ खानों से परहेज़ करते हैं। इसमें कोई ख़ास फ़ायदा नहीं है।


क्योंकि जब हम मसीह ईसा में होते हैं तो ख़तना करवाने या न करवाने से कोई फ़रक़ नहीं पड़ता। फ़रक़ सिर्फ़ उस ईमान से पड़ता है जो मुहब्बत करने से ज़ाहिर होता है।


हो सकता है कोई एतराज़ करे, “एक शख़्स के पास तो ईमान होता है, दूसरे के पास नेक काम।” आएँ, मुझे दिखाएँ कि आप नेक कामों के बग़ैर किस तरह ईमान रख सकते हैं। यह तो नामुमकिन है। लेकिन मैं ज़रूर आपको अपने नेक कामों से दिखा सकता हूँ कि मैं ईमान रखता हूँ।


इस ख़िदमत में आपका कोई हिस्सा नहीं है, क्योंकि आपका दिल अल्लाह के सामने ख़ालिस नहीं है।


क्योंकि मैं तुमको बताता हूँ कि अगर तुम्हारी रास्तबाज़ी शरीअत के उलमा और फ़रीसियों की रास्तबाज़ी से ज़्यादा नहीं तो तुम आसमान की बादशाही में दाख़िल होने के लायक़ नहीं।


इस बात पर पूरा एतमाद किया जा सकता है। मैं चाहता हूँ कि आप इन बातों पर ख़ास ज़ोर दें ताकि जो अल्लाह पर ईमान लाए हैं वह ध्यान से नेक काम करने में लगे रहें। यह बातें सबके लिए अच्छी और मुफ़ीद हैं।


मेरी इस हिदायत का मक़सद यह है कि मुहब्बत उभर आए, ऐसी मुहब्बत जो ख़ालिस दिल, साफ़ ज़मीर और बेरिया ईमान से पैदा होती है।


हमें अपने ख़ुदा बाप के हुज़ूर ख़ासकर आपका अमल, मेहनत-मशक़्क़त और साबितक़दमी याद आती रहती है। आप अपना ईमान कितनी अच्छी तरह अमल में लाए, आपने मुहब्बत की रूह में कितनी मेहनत-मशक़्क़त की और आपने कितनी साबितक़दमी दिखाई, ऐसी साबितक़दमी जो सिर्फ़ हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह पर उम्मीद ही दिला सकती है।


भाइयो, आपको आज़ाद होने के लिए बुलाया गया है। लेकिन ख़बरदार रहें कि इस आज़ादी से आपकी गुनाहआलूदा फ़ितरत को अमल में आने का मौक़ा न मिले। इसके बजाए मुहब्बत की रूह में एक दूसरे की ख़िदमत करें।


इसी पैग़ाम के वसीले से आपको नजात मिलती है। शर्त यह है कि आप वह बातें ज्यों की त्यों थामे रखें जिस तरह मैंने आप तक पहुँचाई हैं। बेशक यह बात इस पर मुनहसिर है कि आपका ईमान लाना बेमक़सद नहीं था।


उसने हममें और उनमें कोई भी फ़रक़ न रखा बल्कि ईमान से उनके दिलों को भी पाक कर दिया।


यह देखकर आपमें से कोई उससे कहे, “अच्छा जी, ख़ुदा हाफ़िज़। गरम कपड़े पहनो और जी भरकर खाना खाओ।” लेकिन वह ख़ुद यह ज़रूरियात पूरी करने में मदद न करे। क्या इसका कोई फ़ायदा है?


क्योंकि जिस्म की तरबियत का थोड़ा ही फ़ायदा है, लेकिन रूहानी तरबियत हर लिहाज़ से मुफ़ीद है, इसलिए कि अगर हम इस क़िस्म की तरबियत हासिल करें तो हमसे हाल और मुस्तक़बिल में ज़िंदगी पाने का वादा किया गया है।


ख़ुद शमौन ने भी ईमान लाकर बपतिस्मा लिया और फ़िलिप्पुस के साथ रहा। जब उसने वह बड़े इलाही निशान और मोजिज़े देखे जो फ़िलिप्पुस के हाथ से ज़ाहिर हुए तो वह हक्का-बक्का रह गया।


लेकिन अफ़सोस, तुम फ़रेबदेह अलफ़ाज़ पर भरोसा रखते हो जो फ़ज़ूल ही हैं।


लानत उस शख़्स पर जो ख़ुदावंद से मुहब्बत नहीं रखता। ऐ हमारे ख़ुदावंद, आ!


ख़तने का फ़ायदा तो उस वक़्त होता है जब तू शरीअत पर अमल करता है। लेकिन अगर तू उस की हुक्मअदूली करता है तो तू नामख़तून जैसा है।


उसने जवाब दिया, “जिसके पास दो कुरते हैं वह एक उसको दे दे जिसके पास कुछ न हो। और जिसके पास खाना है वह उसे खिला दे जिसके पास कुछ न हो।”


मेरे अज़ीज़ भाइयो, फ़रेब मत खाना!


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