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یعقوب 1:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 जबकि दौलतमंद शख़्स अपने अदना मरतबे पर फ़ख़र करे, क्योंकि वह जंगली फूल की तरह जल्द ही जाता रहेगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 مگر دولتمند کو اَپنے ادنیٰ مرتبہ پر فخر کرنا چاہئے کیونکہ دولتمند جنگلی پھُول کی طرح مُرجھا کر ختم ہو جایٔےگا۔

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کِتابِ مُقادّس

10 اور دَولت مند اپنی ادنیٰ حالت پر اِس لِئے کہ گھاس کے پُھول کی طرح جاتا رہے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 جبکہ دولت مند شخص اپنے ادنیٰ مرتبے پر فخر کرے، کیونکہ وہ جنگلی پھول کی طرح جلد ہی جاتا رہے گا۔

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یعقوب 1:10
19 حوالہ جات  

यों कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “तमाम इनसान घास ही हैं, उनकी तमाम शानो-शौकत जंगली फूल की मानिंद है। घास तो मुरझा जाती और फूल गिर जाता है,


दुनिया और उस की वह चीज़ें जो इनसान चाहता है ख़त्म हो रही हैं, लेकिन जो अल्लाह की मरज़ी पूरी करता है वह अबद तक जीता रहेगा।


फूल की तरह वह चंद लमहों के लिए फूट निकलता, फिर मुरझा जाता है। साये की तरह वह थोड़ी देर के बाद ओझल हो जाता और क़ायम नहीं रहता।


जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।


“मुबारक हैं वह जिनकी रूह ज़रूरतमंद है, क्योंकि आसमान की बादशाही उन्हीं की है।


दुनिया से फ़ायदा उठानेवाले ऐसे हों जैसे इसका कोई फ़ायदा नहीं। क्योंकि इस दुनिया की मौजूदा शक्लो-सूरत ख़त्म होती जा रही है।


इनसान के दिन घास की मानिंद हैं, और वह जंगली फूल की तरह ही फलता-फूलता है।


देखें, आप यह भी नहीं जानते कि कल क्या होगा। आपकी ज़िंदगी चीज़ ही किया है! आप भाप ही हैं जो थोड़ी देर के लिए नज़र आती, फिर ग़ायब हो जाती है।


अगर अल्लाह उस घास को जो आज मैदान में है और कल आग में झोंकी जाएगी ऐसा शानदार लिबास पहनाता है तो ऐ कमएतक़ादो, वह तुमको पहनाने के लिए क्या कुछ नहीं करेगा?


रब फ़रमाता है, “मेरे हाथ ने यह सब कुछ बनाया, तब ही यह सब कुछ वुजूद में आया। और मैं उसी का ख़याल रखता हूँ जो मुसीबतज़दा और शिकस्तादिल है, जो मेरे कलाम के सामने काँपता है।


एक आवाज़ ने कहा, “ज़ोर से आवाज़ दे!” मैंने पूछा, “मैं क्या कहूँ?” “यह कि तमाम इनसान घास ही हैं, उनकी तमाम शानो-शौकत जंगली फूल की मानिंद है।


हाँ, बल्कि मैं सब कुछ इस अज़ीमतरीन बात के सबब से नुक़सान समझता हूँ कि मैं अपने ख़ुदावंद मसीह ईसा को जानता हूँ। उसी की ख़ातिर मुझे तमाम चीज़ों का नुक़सान पहुँचा है। मैं उन्हें कूड़ा ही समझता हूँ ताकि मसीह को हासिल करूँ


क्योंकि जो अज़ीम और सरबुलंद है, जो अबद तक तख़्तनशीन और जिसका नाम क़ुद्दूस है वह फ़रमाता है, “मैं न सिर्फ़ बुलंदियों के मक़दिस में बल्कि शिकस्ताहाल और फ़रोतन रूह के साथ भी सुकूनत करता हूँ ताकि फ़रोतन की रूह और शिकस्ताहाल के दिल को नई ज़िंदगी बख़्शूँ।


मेरे दिन शाम के ढलनेवाले साये की मानिंद हैं। मैं घास की तरह सूख रहा हूँ।


क्योंकि वह घास की तरह जल्द ही मुरझा जाएंगे, हरियाली की तरह जल्द ही सूख जाएंगे।


जब वह इधर-उधर घूमे फिरे तो साया ही है। उसका शोर-शराबा बातिल है, और गो वह दौलत जमा करने में मसरूफ़ रहे तो भी उसे मालूम नहीं कि बाद में किसके क़ब्ज़े में आएगी।”


जब रब का साँस उन पर से गुज़रे तो घास मुरझा जाती और फूल गिर जाता है, क्योंकि इनसान घास ही है।


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