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یسعیاہ 64:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 हम सब नापाक हो गए हैं, हमारे तमाम नाम-निहाद रास्त काम गंदे चीथड़ों की मानिंद हैं। हम सब पत्तों की तरह मुरझा गए हैं, और हमारे गुनाह हमें हवा के झोंकों की तरह उड़ाकर ले जा रहे हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 ہم سَب اُس شخص کی مانند ہو گئے ہیں جو ناپاک ہے، اَور ہمارے سارے راستی کے کام گویا گندے چیتھڑوں کی طرح ہیں؛ ہم سَب پتّے کی طرح مُرجھا جاتے ہیں، اَور ہمارے گُناہ ہمیں ہَوا کی طرح اُڑا لے جاتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

6 اور ہم تو سب کے سب اَیسے ہیں جَیسے ناپاک چِیز اور ہماری تمام راست بازی ناپاک لِباس کی مانِند ہے اور ہم سب پتّے کی طرح کُملا جاتے ہیں اور ہماری بدکرداری آندھی کی مانِند ہم کو اُڑا لے جاتی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 ہم سب ناپاک ہو گئے ہیں، ہمارے تمام نام نہاد راست کام گندے چیتھڑوں کی مانند ہیں۔ ہم سب پتوں کی طرح مُرجھا گئے ہیں، اور ہمارے گناہ ہمیں ہَوا کے جھونکوں کی طرح اُڑا کر لے جا رہے ہیں۔

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یسعیاہ 64:6
38 حوالہ جات  

मुझे मालूम है कि मेरे अंदर यानी मेरी पुरानी फ़ितरत में कोई अच्छी चीज़ नहीं बसती। अगरचे मुझमें नेक काम करने का इरादा तो मौजूद है लेकिन मैं उसे अमली जामा नहीं पहना सकता।


हाय, मेरी हालत कितनी बुरी है! मुझे इस बदन से जिसका अंजाम मौत है कौन छुड़ाएगा?


यशुअ गंदे कपड़े पहने हुए फ़रिश्ते के सामने खड़ा था।


हम सब भेड़-बकरियों की तरह आवारा फिर रहे थे, हर एक ने अपनी अपनी राह इख़्तियार की। लेकिन रब ने उसे हम सबके क़ुसूर का निशाना बनाया।


क्योंकि एक वक़्त था जब हम भी नासमझ, नाफ़रमान और सहीह राह से भटके हुए थे। उस वक़्त हम कई तरह की शहवतों और ग़लत ख़ाहिशों की ग़ुलामी में थे। हम बुरे कामों और हसद करने में ज़िंदगी गुज़ारते थे। दूसरे हमसे नफ़रत करते थे और हम भी उनसे नफ़रत करते थे।


तो फिर इनसान अल्लाह के सामने किस तरह रास्तबाज़ ठहर सकता है? जो औरत से पैदा हुआ वह किस तरह पाक-साफ़ साबित हो सकता है?


कौन नापाक चीज़ को पाक-साफ़ कर सकता है? कोई नहीं!


और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है।


ऐ ज़िद्दी लोगो जो रास्ती से कहीं दूर हो, मेरी सुनो!


यक़ीनन मैं गुनाहआलूदा हालत में पैदा हुआ। ज्योंही मैं माँ के पेट में वुजूद में आया तो गुनाहगार था।


बुज़ुर्गों में से एक ने मुझसे पूछा, “सफ़ेद लिबास पहने हुए यह लोग कौन हैं और कहाँ से आए हैं?”


मैं चिल्ला उठा, “मुझ पर अफ़सोस, मैं बरबाद हो गया हूँ! क्योंकि गो मेरे होंट नापाक हैं, और जिस क़ौम के दरमियान रहता हूँ उसके होंट भी नजिस हैं तो भी मैंने अपनी आँखों से बादशाह रब्बुल-अफ़वाज को देखा है।”


आँधी उन्हें अपनी लपेट में लेकर उड़ा ले जाएगी, और वह अपनी क़ुरबानियों के बाइस शरमिंदा हो जाएंगे।


ऐ याक़ूब के घराने, सुनो! तुम जो इसराईल कहलाते और यहूदाह के क़बीले के हो, ध्यान दो! तुम जो रब के नाम की क़सम खाकर इसराईल के ख़ुदा को याद करते हो, अगरचे तुम्हारी बात न सच्चाई, न इनसाफ़ पर मबनी है, ग़ौर करो!


बेदीनों का यह हाल नहीं होता। वह भूसे की मानिंद हैं जिसे हवा उड़ा ले जाती है।


“मैं तो नालायक़ हूँ, मैं किस तरह तुझे जवाब दूँ? मैं अपने मुँह पर हाथ रखकर ख़ामोश रहूँगा।


तुम उस बलूत के दरख़्त की मानिंद होगे जिसके पत्ते मुरझा गए हों, तुम्हारी हालत उस बाग़ की-सी होगी जिसमें पानी नायाब हो।


रब फ़रमाता है, “आओ, मुझे वह तलाक़नामा दिखाओ जो मैंने देकर तुम्हारी माँ को छोड़ दिया था। वह कहाँ है? या मुझे वह क़र्ज़ख़ाह दिखाओ जिसके हवाले मैंने तुम्हें अपना क़र्ज़ उतारने के लिए किया। वह कहाँ है? देखो, तुम्हें अपने ही गुनाहों के सबब से फ़रोख़्त किया गया, तुम्हारे अपने ही गुनाहों के सबब से तुम्हारी माँ को फ़ारिग़ कर दिया गया।


लेकिन अगर बीमारी जल्दी से फैल गई हो, यहाँ तक कि सर से लेकर पाँव तक पूरी जिल्द मुतअस्सिर हुई हो


वह हिम्मत हारकर काँपते हुए अपने क़िलों से निकल आते हैं।


क्या जो बदी करके मेरी क़ौम को रोटी की तरह खा लेते हैं उनमें से एक को भी समझ नहीं आती? वह तो रब को पुकारते ही नहीं।


लेकिन बाग़ी और गुनाहगार सबके सब पाश पाश हो जाएंगे, रब को तर्क करनेवाले हलाक हो जाएंगे।


मैं ख़ुद रब के इंतज़ार में रहूँगा जिसने अपने चेहरे को याक़ूब के घराने से छुपा लिया है। उसी से मैं उम्मीद रखूँगा।


ऐ याक़ूब की औलाद, ऐ इसराईल, बात यह नहीं कि तूने मुझसे फ़रियाद की, कि तू मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करने के लिए कोशाँ रहा।


जब मैं आया तो कोई नहीं था। क्या वजह? जब मैंने आवाज़ दी तो जवाब देनेवाला कोई नहीं था। क्यों? क्या मैं फ़िद्या देकर तुम्हें छुड़ाने के क़ाबिल न था? क्या मेरी इतनी ताक़त नहीं कि तुम्हें बचा सकूँ? मेरी तो एक ही धमकी से समुंदर ख़ुश्क हो जाता और दरिया रेगिस्तान बन जाते हैं। तब उनकी मछलियाँ पानी से महरूम होकर गल जाती हैं, और उनकी बदबू चारों तरफ़ फैल जाती है।


मूसा की शरीअत में मज़कूर हर वह लानत हम पर नाज़िल हुई जो नाफ़रमानों पर भेजी गई है। तो भी न हमने अपने गुनाहों को छोड़ा, न तेरी सच्चाई पर ध्यान दिया, हालाँकि इससे हम रब अपने ख़ुदा का ग़ज़ब ठंडा कर सकते थे।


सब तनूर की तरह तपते तपते अपने राहनुमाओं को हड़प कर लेते हैं। उनके तमाम बादशाह गिर जाते हैं, और एक भी मुझे नहीं पुकारता।


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